विश्व मित्र परिवार, एवं प्रकृति परिवार द्वारा आयोजित दिल्ली के मावलंकर सभागार, कॉन्सटीट्यूशन क्लब में “वैश्विक प्रकृति महोत्सव” धूम धाम से सम्पन्न हुआ।
150वां गांधी जयंती वर्ष, महामना मदन मोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेयी जयन्ती के अवसर पर
विश्व मित्र परिवार एवं प्रकृति परिवार के इस कार्यक्रम में संस्था की 121वीं संगोष्ठी
‘प्रकृति, संस्कृति, अन्नदाता और जल विज्ञान’
का आयोजन किया गया। जिसमें देश के कई राज्यों के किसानों एवं विद्वानों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के परिचय में श्रीमती भावना त्यागी ने बताया कि विगत 22 वर्षों से सत्य, प्रेम, अहिंसा एवं मानवीय मूल्यों पर आधारित प्रकृति-पर्यावरण को समर्पित, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए प्रतिबद्ध सामाजिक संस्था ‘विश्व मित्र परिवार’ अपनी महिला इकाई ‘विश्व महिला परिवार’ एवं प्रकृति परिवार के साथ मिलकर वसुधैव कुटुम्बकम् पर आधारित सम्पूर्ण वैज्ञानिक भारतीय संस्कृति एवं प्रकृति-पर्यावरण संरक्षण पर कार्य कर रहा है। संस्था द्वारा सम्पूर्ण पर्यावरण संरक्षण, विष मुक्त कृषि व आरोग्य महाभियान चलाया जा रहा हैं। जिसमें भारत सहित विश्व भर के सामाजिक कार्यकर्ता, विद्वान, विदूषी, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, शिक्षाविद्, प्रकृति प्रेमी, पर्यावरणविद्, किसान, महिला, विद्यार्थी, संस्था सभी तरह के व्यक्तित्व भाग लेते है। आज संस्था की प्रकृति-पर्यावरण पर 121वीं संगोष्ठी थी।
अब कुछ सहयोगी संस्थाओं विश्व पर्यावरण विज्ञान प्रतिष्ठान, जागृति सेवा समीति, इसदा बी, प्रकृति परिवार, वैदिक नाद, जनसंर्घष वाहिनी के साथ मिलकर इस कार्यक्रम में 121वीं संगोष्ठी ‘‘प्रकृति, संस्कृति, अन्नदाता, आरोग्य और जल विज्ञान’’ में प्रकृति पर्यावरण पर वैज्ञानिक परिचर्चा हुई। कार्यक्रम के अन्त में खादी व पर्यावरण पर आधारित पर्या-फैशन शौ हुआ।
महोत्सव में मुख्य भूमिका में लेखक, कवि, निर्माता, निदेशक, कलाकार एवं लातूर के सांसद श्री बलीराम गायक्वाड, यू एन हेबीटेट के श्री मार्कण्डेय राय, पूर्व नासा वैज्ञानिक व कई विश्वविद्यालयों के कुलपति रहे प्रो श्री वी के गोस्वामी ने पर्यावरण रक्षा, किसानों की समस्याओं को हल करने के महत्वपूर्ण विचार दिये।
संस्थापक श्री गुरुजी भू ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, जल संरक्षण की आज बहुत आवश्कता है। बाढ़ों का पानी विकास की ओर मोडने की आवश्यकता है। किसानों की फसल का उचित दाम उनके खेत में ही मिले। उचित मूल्य का अर्थ है कि श्रम सहित लागत का कम से कम डेड गुणा मूल्य किसान को मिलने पर ही किसान समृद्ध हो पायेगा। उन्होने किसानो को भी विषमुक्त कृषि अर्थात जैविक कृषि, प्राकृतिक कृषि करने का आग्रह किया।
जल वैज्ञानिक श्री श्यामसुन्दर राठी ने अपने जल शोधपत्र पर संक्षिप्त चर्चा में बताया कि अगर बाढो का पानी बडे टैंकरों में संचित कर लिया जाय तो हमारी सभी तरह की जल समस्या समाप्त होगी, साथ ही हम सस्ती बिजली 10 पैसे यूनिट बना सकेगें, पर्यावरण संरक्षण भी होगा। गुरुजी गौतम ऋषि ने कहा कि भारतीय संकृति प्रकृतिवादी है, सबसे अधिक वैज्ञानिक भी है। धर्माचार्य वीर महेन्द्र सिंह, बलराम सिंह ने सभी आगंतुको की समस्याओं को सुना व किसानों के सुझावों का स्वागत किया।
तदुपरान्त भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी, प्रकृति सुकुमार महाकवि सुमित्रानन्दन पन्त व महामना मदन मोहन मालवीयजी की स्मृति में कवि सम्मेलन में आये कवि डॉ अरुण कुमार पाण्डेय, श्री विनय शील, डॉ पूनम माटिया, श्री गुरुजी भू , श्रीमती नन्दनी श्रीवास्तव, राहुल शेष व चिरणजीत सिंह ने अपनी कविताओं से कार्यक्रम में उत्साह भरने का काम किया। लेखक, कवि, निर्माता, निदेशक, कलाकार एवं लातूर के सांसद श्री बलीराम गायक्वाड ने एक मराठी कविता सुनाकर अटल कवि सभा को बहुभाषी बना दिया।
कार्यक्रम के अन्त में युवाओं को प्रकृति पर्यावरण से जोडते हुए खादी एवं पर्यावरण पर आधारित पर्या-फैशन शौ का आयोजन किया गया।
साथ में देशभर से आये नामांकनों में से निर्णायक मण्डल द्वारा चुने गये समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का चरणबद्ध संचालन श्रीमती गीतांजलि कौशिक, डॉ पूनम माटिया व मानवेन्द्र सिंह ने किया।