-रितेश सिन्हा, वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक
– एसी कमरों के हीरो, प्रदेशों में जीरो सिपाहसलारों ने तोड़ा खड़गे के पीएम का ख्वाब
नईदिल्ली-
पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के निशाने पर हैं। इसको भांपते हुए इनके गैर-राजनीतिक पत्रकार से नेता बने सलाहकारों ने बजाए कांग्रेस के इंडिया गठबंधन की बैठक की योजना पर अमल करवा दिया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नाराजगी अब खुलकर सामने आई। राहुल की नाराजगी को कम करने की कोशिशों में जुटे खड़गे ने शुक्रवार को संध्या 4-6 चाय पर समीक्षा बैठक का आह्वान किया है। खड़गे इंडिया गठबंधन की बैठक में हार की हुई समीक्षा बैठक में अपना राजनीतिक कद नाप रहे थे जिसे सिरे से नकारते हुए ममता, नीतीश, लालू, अखिलेश और केजरीवाल ने इंडिया गठबंधन में उनकी औकात बता दी। आनन-फानन में फ्लाप शो, मीडिया में हुई फजीहत, राहुल और कांग्रेसियों की नाराजगी को कम करने की कोशिशों में एआईसीसी के केंद्रीय कार्यालय में मीटिंग रखी गई है जिसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के क्षत्रपों को दिल्ली तलब किया गया है जिसमें पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल होंगे। बुरी तरह हार की समीक्षा के बहाने खड़गे अपना कद भी नापेंगे। अब तक संगठन में बतौर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे मनमानी कर रहे थे, जिस प्रकार के सीडब्लूसी का गठन किया था, इसमें चापलूसों, चहेतों के साथ मंत्री पुत्र की सिफारिशें साफ नजर आई। वहीं अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पवन कुमार बंसल को एआईसीसी से चलता करने पर मजबूर कर दिया। जय प्रकाश अग्रवाल को मध्य प्रदेश के प्रभारी से हटाने का खेल भी खड़गे के घर से खेला गया था। मध्य प्रदेश की कुछ टिकटों में खड़गे पुत्र ने प्रदेश के सचिव सीपी मित्तल को खुली छूट दिलवायी जिसका खामियाजा कमलनाथ और दिग्विजय की जोड़ी ने खासा भुगता। मध्य प्रदेश में हार की समीक्षा के लिए प्रदेश के कप्तान कमलनाथ, कपड़े फाड़ने और विधायक को कालिख पुतवाने के साथ-साथ फर्जी चिट्ठी के जरिए दवाब बनाने वाले राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह भी मौजूद रहेंगे। गोविंद सिंह, अरुण यादव, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया, उमंग सिंघार और जीतू पटवारी को भी दिल्ली बुलाया गया है। राजनीतिक शैतानी खड़गे के घर से हो रही है जिसमें सदन के पूर्व नेता रहे अजय सिंह को न्यौता नहीं भेजा गया है, जिसकी चर्चा पूरे सूबे में हो रही है। अजय बतौर नेता सदन शिवराज सरकार को घेरते रहे हैं। यही उनकी सबसे बड़ी बाधा है। दिग्विजय उमर सिंघार के बहाने जिन पर कई संगीन आरोप हैं, के नाम को आगे बढ़ाते हुए नेता प्रतिपक्ष के पद पर अपने पुत्र को बिठाने की योजना को अमलीजामा पहनाना चाहते हैं। वहीं कमलनाथ पूर्व एआईसीसी सचिव बाला बच्चन के पीछे पूरी ताकत झोंक रहे हैं। उमर सिंघार पूर्व में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खासमखास माने जाते रहे हैं जो अब गांधी परिवार पर खासा हमलावर हैं। हालांकि खड़गे और उनके गैर-राजनीतिक और नाकारा सिपाहसलारों की कोशिश थी कि ये मीटिंग उनके निवास पर हो, जिस पर टीम राहुल ने कड़ा ऐतराज जताते हुए केंद्रीय कार्यालय या वार रूम में करने का सुझाव दिया था। चुनाव नतीजों से कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेसी दिग्गजों के कद को नकाराते हुए इंडिया गठबंधन के प्रतिनिधियों के साथ राजनीति में 50 साल पूरे होने पर स्वयं ही अपना सम्मान समारोह आयोजित करते हुए एक पुस्तक का विमोचन करवा लिया। मंच पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बतौर कांग्रेसी जगह मिली। बाकी जेएनयू से कांग्रेस विरोध की राजनीति से पनपे कामरेड सीताराम येचुरी, राजद सांसद मनोज झा और डीएमके सांसद टीआर बालू को मंच पर जगह दी गई जिन्होंने खड़गे की किताब के बहाने इशारों ही इशारों में महिमामंडन करते हुए पीएम का दावेदार साबित कर दिया जिसे कांग्रेसी दिग्गज दर्शक दीर्घा में बैठ चुपचाप सुनते रहे।हालांकि इस पुस्तक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जैसे नेताओं के जरिए अपनी राजनीतिक काबिलियत को कांग्रेसियों के सामने रखने की कोशिश की, पर इनमें से किसी विशिष्ट अतिथियों को भी इस कार्यक्रम में नहीं देखा गया। टीम खड़गे ने इस कार्यक्रम के जरिए कांग्रेसियों को बिठाकर अपनी राजनीतिक चतुराई का संदेश देते हुए गठबंधन दलों के छुटभैये नेताओं से खड़गे का महिमामंडन करवाते हुए उनको 2024 के लिए सर्वमान्य नेता बताने की जरूर कोशिश की। पुस्तक में खड़गे ने दलित सीएम के वादे को ‘तोड़ने’ पर के.चंद्रशेखर राव से सवाल करते हुए सोनिया गांधी के “सबसे कमजोर और कमजोर लोगों को सशक्त बनाने” के प्रयासों पर जोर देने के नाम पर खुद को सबसे आगे रखवा लिया।
खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का सुझाव देने वाले राजस्थान के अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विशेष कार्याधिकारी के जरिए अब बड़ा मोर्चा खोल दिया। इस अधिकारी ने हाईकमान के नाम पर खड़गे पर सीधा हमला किया है। खड़गे से पहले ही कांग्रेसी नाराज चल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में तैनात कुमारी शैलजा के साथ जिलेवार आबजर्वरों ने मिलकर जीती हुई बाजी हार में पलट दी। वहीं मध्य प्रदेश के इंचार्ज बने रणदीप सुरजेवाला और स्क्रीनिंग चेयरमैन भंवर जितेंद्र सिंह पर टिकट में जमकर खेलने का भी आरोप लगा। इसमें दबी जुबान से प्रदेश के लिए एआईसीसी सचिव और खड़गे पुत्र की भूमिका की चर्चा जोरों पर है। एमपी में अब प्रभारी सुरजेवाला प्रदेश के अनुभवी नेताओं से प्रदेश अध्यक्ष और नेता सदन के लिए उपयुक्त नामों पर मशविरा मांग रहे हैं। इस समीक्षा बैठक के बाद कांग्रेस संगठन में फेरबदल संभव है। देखना है कि कांग्रेस इस करारी हार से क्या सबक लेती है, क्या राहुल की तर्ज पर खड़गे भी अपनी जवाबदेही तय करेंगे या फिर हार की समीक्षा के नाम पर कुछ लोगों की बलि ली जाएगी। सूत्र बताते हैं कि कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, भूपेश बघेल, अशोक गहलोत दिल्ली में अपने नए ठिकानों की तलाश में हैं। तेलंगाना में रेवंत रेड्डी को बतौर मुख्यमंत्री बनाकर उनको पुरस्कृत किया जा चुका है। पार्टी मुख्यालय में हार की समीक्षा के बाद खड़गे किस प्रकार कांग्रेसियों से आंख मिला पाते हैं, इस पर सबकी नजर बनी हुई है। वहीं राष्ट्रीय संगठन के पुनर्गठन में वर्षों से जमे-जमाए नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।