मयंक चतुर्वेदी की कहानी: दोस्ती की परख

मयंक चतुर्वेदी रोज आपके लिए नई-नई रोचक और जिंदगी की कहानियां लेकर आते हैं. आज जो कहानी मयंक चतुर्वेदी लेकर आए हैं उसमें छिपी है दोस्ती की परख और एक संदेश , क्‍या है ये कहानी और क्‍या है इसमें खास, जानने के लिए देखें ये.
एक बार की बात है , एक गाय थी , वो बहुत खुशी-खुशी अपने गांव में रहती थी , वो बहुत मिलनसार थी। बहुत सारी गाय उसकी सहेलियां थीं। उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। वो सभी से बात कर लेती थी और सभी को अपना दोस्त मान लेती थी।
सभी कुछ अच्छा चल रहा था। लेकिन एक बार वो गाय बीमार पड़ी और इस कारण वह धीरे-धीरे कमजोर होने लगी इसलिए अब वो पूरा-पूरा दिन घर पर ही बिताने लेगी। गाय ने जो खाना पहले से अपने लिए जमा करके रखा था , अब वो भी खत्म होते जा रहा था।
उसकी कुछ गाय सहेलियां उसका हाल-चाल पूछने उसके पास आईं , तब गाय बड़ी खुश हुई। उसने सोचा कि अपनी सहेलियों से कुछ और दिनों के लिए वह खाना मंगवा लेगी।
लेकिन वे गाय तो उससे मिलने के लिए अंदर आने से पहले ही उसके घर के बाहर रुक गईं और उसके आंगन में रखा उसका खाना घास-फूस खाने लगीं।
ये देखकर अब गाय को बहुत बुरा लगा और समझ में आ गया कि उसने अपने जीवन में क्या गलती की ?
अब वो सोचने लगी कि काश ! हर किसी को अपने जीवन का हिस्सा व दोस्त बनाने से पहले उसने उन्हें थोड़ा परख लिया होता है , तो अब इस बीमारी में उसकी मदद के लिए कोई तो होता।
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