पारवती बरुआ को मिला पद्म पुरस्कार, इसी परिवार में पहले भी मिल चुका है पद्म पुरस्कार

असम की पार्वती बरुआ को पद्म पुरस्कार मिला है। इसी परिवार में पहले भी पद्म पुरस्कार मिल चुका है। देश की पहली महिला महावत के रूप में अपनी पहचान बनाने के बाद बरुआ ने अपना जीवन पशु संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया है। वह इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के एशियाई एलिफेंट एक्सपर्ट ग्रुप की सदस्य हैं।

असम में मानव-हाथी टकराव का एक लंबा इतिहास रहा है, और बरुआ ने उन्हें कंट्रोल करने के लिए सरकारी नियमों को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है। पारवती बरुआ जंगली हाथियों को काबू करने में माहिर मानी जाती हैं। जंगली हाथियों के व्यवहार पर उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें न केवल असम में बल्कि साउथ के कई राज्यों में प्रसिद्ध है। पारबती बरुआ ने जंगली हाथियों को कृषि क्षेत्रों से जंगलों में वापस खदेड़ने में भी वन विभाग के अधिकारियों की काफी मदद की है। ‘क्वीन ऑफ द एलिफेंट्स’ ब्रिटिश ट्रैवल राइटर और प्रकृतिवादी मार्क रोलैंड शैंड ने उनके बारे में लिखी गई किताब का टाइटल है, जो 1996 में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद बीबीसी ने इन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी ,जिसे बहुत सराहा गया है

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