221 उदासीन परिवारों के बच्चों का किया टीकाकरण

  • स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उदासीन परिवारों की काउंसलिंग बताए नियमित टीकाकरण के फायदे
  • काउंसलिंग के बाद किया नियमित टीकाकरण

आगरा।

नियमित टीकाकरण बच्चों के जीवन और भविष्य की सुरक्षा के लिए सबसे प्रभावी और किफायती तरीकों में से एक है, समय से शिशुओं का टीकाकरण कराने पर वह गंभीर रोगों से बच सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को 11 जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत टीकाकरण किया जाता है। लेकिन कुछ परिवार नियमित टीकाकरण के प्रति उदासीन होते हैं, वह भय व भ्रांतियों के कारण बच्चों का टीकाकरण करवाने से मना करते हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे 221 उदासीन परिवारों के बच्चों का नियमित टीकाकरण कराया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जो परिवार नियमित टीकाकरण के प्रति उदासीन होते हैं, विभाग द्वारा ऐसे परिवारों की लगातार काउंसलिंग करके उन्हें टीकाकरण के फायदों से अवगत कराया जाता है, जो लोग मान जाते हैं, इसके बाद इन परिवारों के बच्चों को टीका लगाया जाता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जो परिवार नियमित टीकाकरण के प्रति उदासीन होते हैं, विभाग द्वारा ऐसे परिवारों की लगातार काउंसलिंग करके उन्हें टीकाकरण के फायदों से अवगत कराया जाता है, जो लोग मान जाते हैं, इसके बाद इन परिवारों के बच्चों को टीका लगाया जाता है।

सीएमओ ने बताया कि नियमित टीकाकरण के प्रति उदासीन परिवारों को टीकाकरण के लिए जागरुक कर शत-प्रतिशत लाभ जन समुदाय को दिलाना ही प्राथमिकता है। शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को 11 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता हैँ जैसे डिप्थीरिया एक संक्रामक रोग है। यह रोग कोराइन बैक्टीरियम डिप्थीरिया के कारण होता है जो गले और ऊपरी वायुमार्ग को संक्रमित करता है तथा टॉक्सिन एवं अन्य अंगों को प्रभावित करता है। दूसरे प्रकार का डिप्थीरिया गले और कभी-कभी टॉन्सिल को प्रभावित करता है। डिप्थीरिया के खिलाफ टीकाकरण से होने वाली मृत्यु दर कम हुई है। अपने बच्चे को सरकारी अस्पताल में डिप्थीरिया का टीका जरूर लगवाएं। यह निःशुल्क लगाया जाता है। टीकाकरण अभियान सभी की सहभागिता से ही सफल हो सकता है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन (डीआईओ) ने बताया कि टिटनेस बैक्टीरिया की वजह से होता है, जो शरीर के अन्दर त्वचा पर पडे दरार के माध्यम से प्रवेश करते है और एक विष उत्पन्न करते है जो तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण करता है। इससे शरीर मे दर्दनाक कसाव और जबड़ो मे जडाव पैदा होता है, जिससे संक्रमित व्यक्ति उसका/उनका मुँह नही खोल सकता या निगल सकता है। जब टिटनेस सांस लेने में मदद करने वाली मांसपेशियों को प्रभावित करता है, तब रोगी तुरन्त ही मर भी सकता है।

डीआईओ ने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत टीकाकरण से वंचित वैब (वैक्सीन अवॉइडेंस बिहैवियर) झिझक /उदासीन परिवारों को मोबिलाइज कर टीकाकरण कराने में स्वास्थ्य विभाग सभी की सहभागिता से ही सफल हो सकता है। आशा और एएनएम छूटे हुए बच्चों को चिन्हित करने के बाद ई कवच पोर्टल पर अपडेट कर रही हैं। टीकाकरण होने के बाद भी जानकारी पोर्टल पर अपडेट की जा ही हैं। डीआईओ ने बताया कि इस दौरान यूपीएचसी जगदीशपुरा, नगला बूढ़ी, सिकंदरा, हरीपर्वत ईस्ट, मंटोला, ताजगंज, जमुनापार, नरायच, इस्लाम नगर, शाहगंज फर्स्ट, शाहगंज द्वितीय क्षेत्र के परिवारों में यह सफलता हासिल हुई है। इस गतिविधि यूनिसेफ के रीजनल कोऑर्डिनेटर, डीएमसी राहुल कुलश्रेष्ठ, एमओआईसी डॉ. आरएस लकरा, डॉ. गायत्री, डॉ. राहुल सारस्वत, डॉ. प्रताप सिंह, डॉ. अरुक्षिका यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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