इंदौर।
इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर बनाने के बाद अब रेबीज फ्री सिटी बनने की दिशा में एक कदम बढाया गया है। इसके लिए विशेष अभियान चलाकर छह माह में करीब 50 हजार कुत्तोंकी नसबंदी की जाएगी। नसबंदी करने वाले सरकारी डॉक्टरों को इन्सेंटिव भी दिया जाएगा। नसबंदी के बाद कुत्तों को सुरक्षित स्थानों पर छोड़ दिया जाएगा। इससे कुत्तों की जन्म दर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
इंदौर में डॉग बाइट के मामले दिनोदिन बढ़ते जा रहे हैं। इन पर नियंत्रण के लिए कुत्तों की नसबंदी का विशेष अभियान चलाने के निर्देश कलेक्टर आशीष सिंह ने दिए हैं। कलेक्टर ने नगर आयुक्त शिवम वर्मा, चिड़ियाघर के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव सहित अन्य संबंधित अधिकारी और नसबंदी कार्य में संलग्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर नसबंदी करने के निर्देश दिए हैं।
शहर में करीब 30 से 50 हजार आवारा कुत्ते ऐसे हैं, जिनकी नसबंदी नहीं हुई है। छह माह में उनकी नसबंदी पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें गाइड लाइन का पूरा पालन किया जाएगा। जिन कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है, उनको छोड़कर अन्य कुत्तों की पहचान करने की भी बात कलेक्टर ने कही है। यह पहचान उन्होंने कटे कान के माध्यम से करने के निर्देश दिए।