केजरीवाल को आखिर नई शराब पॉलिसी क्यों लानी पड़ी? इस मजबूरी का इतिहास लम्बा है – एक अवलोकन

नई दिल्ली।

केजरीवाल दरअसल जॉर्ज सोरोस का एजेंट है। जॉर्ज सोरोस ने अपनी ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के माध्यम से केजरीवाल की एनजीओ संस्था ‘सम्पूर्ण परिवर्तन‘ को 2001 से फंड देना शुरू कर दिया था।

1998 के बाद जब भारत ने परमाणु बम का परीक्षण किया था और भारत ने अमेरिका का पिछलग्गू बनने से इंकार कर दिया तब अमेरिका ने भारत को दबाने के लिए 1999 में पाकिस्तान से कारगिल युद्ध करवाया। फिर भी अटलजी की सख्ती के सामने अमेरिका की एक न चली। तब जॉर्ज सोरोस ने सोचा इंडिया में हमारे ऐसे एजेंट होने चाहिए जिससे इंडिया की सरकार को काबू में कर सके। इसके लिए एक नया मूवमेंट आरटीआई चालू कराया गया जिससे आरटीआई के माध्यम से इनफॉर्मेशन कलेक्ट करके सरकारों पर दवाब डाला जा सके।फलस्वरूप 2005 में आरटीआई एक्ट आ गया।

दूसरी तरफ अमेरिका ने 26/11 की घटना को 2008 में पाकिस्तान की तरफ से अंजाम दिया गया लेकिन वह पूरी तरह सफल नहीं हो पाया।

लेकिन जब 2008/2009 में आयी recession से उबर गया और अमेरिका पिट गया तब अमेरिका को चिंता हुई तो जॉर्ज सोरोस तथा फोर्ड फाउंडेशन ने केजरीवाल को बहुत ज्यादा फंड देना शुरू कर दिया क्योंकि प्रणव मुखर्जी की retrospective Tax system से जॉर्ज सोरोस बिलबिला गया और उसने केजरीवाल को आरटीआई एक्ट की सहायता से कांग्रेस सरकार को परेशान करने लगा फलस्वरूप अन्ना आंदोलन का जन्म 2011 में शुरू हो गया। दूसरी तरफ डॉ सुब्रमण्यम स्वामी भी कांग्रेस के पीछे पड़ गए।

जब प्रणब मुखर्जी retrospective tax system को हटाने के लिए तैयार नहीं हुए तो कांग्रेस ने अमेरिका और यूरोप खासकर Uk को खुश करने के लिए प्रणव मुखर्जी को वित्त मंत्री से हटाकर 2012 में प्रेसिडेंट बना दिया और चिदंबरम जी को वित्त मंत्री बना दिया।

लेकिन 2011 से जब अन्ना आंदोलन कांग्रेस के भ्रष्टाचार विरोध का प्रमुख केंद्र बन गया तो बीजेपी ने इस मूवमेंट को हाईजैक कर लिया चूंकि लाल कृष्ण आडवाणी जी पाकिस्तान प्रेम के कारण बीजेपी में कमजोर हो रहे थे, मोदी जी ने इस अवसर को इसको अपने पक्ष में कर लिया।

लेकिन जब केजरीवाल ने देखा इसका फायदा बीजेपी और आरएसएस को हो रहा है तो उसने आपने आका जॉर्ज सोरोस की सलाह पर तुरंत आप पार्टी की स्थापना कर ली जबकि शुरू में पॉलिटिकल पार्टी बनाने का कोई प्रोग्राम नही था।

2014 में मोदी जी जब सत्ता में आए तब मोदीजी को यह विदेशी षड्यंत्र समझ आया तो उन्होंने नोटबंदी की। आखिर में मोदी सरकार को काबू में रखने के लिए 2018/2019 में शाहीन बाग जैसे आंदोलन करवाए गए। जिसके लिए जॉर्ज सोरोस तथा फोर्ड फाउंडेशन के माध्यम केजरीवाल और पीएफआई जैसी संस्थाओं को फंड आया।

गनीमत रही अमेरिका में 2016/2020 तक ट्रंप सरकार रही जिससे इंडिया और अमेरिका का रिश्ता संतुलित रहा लेकिन जॉर्ज सोरोस का ट्रंप का मोदी के साथ यह रिश्ता पसंद नही आ रहा था, अतः वह ट्रंप को भी हराने में जुट गया। यही कारण था। 2020 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप हार गए और जॉर्ज समर्थित जो बाइडेन जीत गए लेकिन जो बाइडेन अपनी गलत विदेश नीति की कारण अलोकप्रिय हो गए और इधर मोदीजी अपनी विकास पुरुष की छवि लोक प्रिय हो रही थी तथा अपनी विदेशी कूटनीति के कारण, अमेरिका और यूरोप अपनी गलत यूक्रेन रूस युद्ध नीति के कारण उनकी इकोनॉमी तबाह हो रही है। इस कारण भी अमेरिका और यूरोप नही चाहते मोदी जी इस इलेक्शन में जीत कर आए। अमेरिका ने काफी कोशिश की किसी भी तरह इंडिया युद्ध में चीन से उलझ जाएं या रूस का यूक्रेन युद्ध में विरोध करे जिससे यह देश मिलकर रूस जैसे मजबूत मित्र से इंडिया को अलग कर सके जिससे वह फिर इंडिया पर अटैक कर सके और इंडिया की इकोनॉमी को अपने इशारे पर नचा सके।

आखिरकार मोदी सरकार ने इन देशों की करतूतों और षडयंत्रों को देखते हुए इन विदेशी फंड का मिसयूज रोकने का मन बनाया और FCRA amendment act 2020 लेकर आए । इस नए कानून से केजरीवाल जैसे सपोलों पर काफी अंकुश लग गया। लेकिन अब केजरीवाल को अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए फंड की कमी होने लगी। 2020 में corona की वजह से कुछ खास नहीं हो पाया लेकिन Nov 2021 में नई शराब नीति की घोषणा की गई, जिससे आप पार्टी अपने इलेक्शन फंड का बड़े स्तर पर प्रबंध कर सके ,आप पार्टी ने इस फंड का गोवा चुनाव में भरपूर उपयोग भी किया ।

लेकिन 2022 में कांग्रेस तथा बीजेपी को आप पार्टी इस बदनीयत का पता लगा तो मीडिया में यह मुद्दा छाया रहा। आखिरकार आप पार्टी को इस पॉलिसी को बंद करना पडा।

आखिर में अब मोदी सरकार ने लंबे समय से चले आ रहे इन विदेशी षड्यंत्र को विफल करने के लिए हर देशद्रोही शक्तियों को कुचलने का मन बना लिया है जिसका प्रमुख केंद्र केजरीवाल है। जिसमें कांग्रेस और अन्य पार्टियां भी अपना राजनैतिक स्वार्थ देख रही है और उसका विरोध नहीं कर पा रही है। जॉर्ज सोरोस का भी इन सभी विपक्षी खासकर कांग्रेस पर काफी दबाव है। यह विदेशी शक्तियां हवाला के माध्यम से इन पार्टियों को फंड उपलब्ध करा रही है, जिससे भाजपा इस चुनाव में मजबूती के साथ नहीं आ पाए और अमेरिका अपना दबाव बना सके इसमें कोई शक नही है। जॉर्ज सोरोस की टीम अभी भी पूरी कोशिश कर रही है कि इस बार 2024 में अमेरिका में ट्रंप सरकार नही आ पाए।

इसलिए भारत में मोदी सरकार और अमेरिका में ट्रंप सरकार का आना ना केवल दोनों देशों के रिश्ते के लिए अच्छा है बल्कि विश्व शांति की लिए भी उत्तम है।

अतः हम सभी देश प्रेमियों को मोदीजी की दूरदर्शिता और उनके देश प्रेम को शत शत प्रणाम करना चाहिए जो देश को अगले 1000 साल के लिए मजबूती के लिए प्रयासरत है।

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