तिरूपति मंदिर की सफाई एवं महाशांति यज्ञ द्वारा मंदिर का शुद्धिकरण किया गया। पिछले कुछ दिनों से आंध्र प्रदेश का विश्व प्रसिद्ध तिरूपति मंदिर सुर्खियों में बना हुआ है। मामला उस वक्त गरमा गया और विवाद खड़ा हो गया कि मंदिर के लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी में बीफ चर्बी समेत जानवरों की चर्बी की मिलावट की गई थी। हिंदू लोगों की भावनाएं आहत हुईं और हमेशा की तरह राजनीतिक दलों ने राजनीतिक आरोप लगाने के लिए इसका फायदा उठाया।
जबकि पूरे मामले की जांच चल रही है, सोमवार 23 सितंबर को मंदिर प्रशासकों द्वारा मंदिर की सफाई की गई थी। सुबह 5:40 बजे शुरू हुआ सफाई अनुष्ठान आठ पुजारियों द्वारा किया गया। इस कार्य के लिए तीन ‘आगम शास्त्र’ सलाहकारों ने पुजारियों का मार्गदर्शन किया। (अगम शास्त्र सलाहकार वैदिक विद्वान होते हैं जो मंदिर के अनुष्ठानों की देखरेख करते हैं।) शुद्धिकरण कार्य दो घंटे तक चला। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी शमाला राव और अन्य अधिकारियों ने शुद्धिकरण अनुष्ठान में भाग लिया।
पंचगव्य का उपयोग शुद्धिकरण अनुष्ठानों में किया गया था। पंचगव्य का अर्थ है गाय से प्राप्त पांच पवित्र चीजों का मिश्रण। पंचगव्य में पांच सामग्रियां होती हैं – गाय का दूध, गोमूत्र, गाय का गोबर, गाय का घी और गाय का दही। मंदिर में जहां प्रसाद बनता है उस पूरे क्षेत्र को पंचगव्य से धोकर शुद्ध किया गया, ताकि मंदिर की शुद्धता और पवित्रता बहाल की जा सके।
शनिवार, 21 सितंबर को, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने घोषणा की, कि वह मंदिर के इस अपमान का प्रायश्चित करने के लिए 11 दिनों की धार्मिक तपस्या कर रहे हैं। उन्होंने इस घटना को ‘हिंदू धर्म पर दाग’ करार दिया और कहा, ‘पवित्र तिरुमाला लड्डू प्रसादम पिछले शासकों की भ्रष्ट प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप अशुद्ध हो गया है। ‘सनातन धर्म’ के अनुयायियों को अब जागने की जरूरत है।’