भारत में ड्रोन क्रांति के सकारात्मक परिणाम, चिकित्सा क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी

भारत में ड्रोन क्रांति के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। ड्रॉन आधुनिक तकनीक की अति महत्वपूर्ण उपलब्धि है लेकिन इसका इस्तेमाल करने वाले पर निर्भर करता है कि वह उसे विकास के लिए प्रयोग करता है या विनाश के लिए।

कर्नाटक के एक अस्पताल ने पैथोलॉजिकल टेस्टिंग के लिए एक सैम्पल भेजा। खास बात यह रही कि सर्जरी के बीच में ही यह ट्रायल किया गया ताकि यह पता लगाया जा सके कि टिश्यू कैंसरग्रस्त था या नहीं? देश में ड्रोन इकोसिस्टम के विस्तार के राष्ट्रीय मिशन को जारी रखते हुए आईसीएमआर ने बुधवार को अपनी आई-ड्रोन पहल के तहत ड्रोन से ऑन्को-पैथोलॉजिकल सैंपल को भेजने का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

आजकल ड्रोन का उपयोग कृषि, रक्षा, आपदा राहत और स्वास्थ्य सेवा में किया जा रहा है। खासकर आपातकालीन स्थितियों के दौरान दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में टीके, दवाएं और महत्वपूर्ण आपूर्ति तेजी से पहुंचाने में सक्षम होते हैं। कोविड महामारी के दौरान पहली बार आई ड्रोन का प्रयोग किया गया था। उस समय दूर-दराज के क्षेत्रों में ड्रोन के जरिए वैक्सीन पहुंचाई गई थी।

ड्रोन ने 37 किलोमीटर दूरी तय करने में 15-20 मिनट का समय लगाया जबकि सड़क मार्ग से लगभग 50-60 मिनट लगते हैं। सैंपल का तुरंत विश्लेषण किया गया और रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक रूप से अस्पताल को वापस भेज दी गई। इसके बाद, सर्जन ने प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर सर्जरी को आगे बढ़ाया।

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