बेहतर पारिवारिक जीवन हेतु आवश्यक है परस्पर बेहतर संवाद एवं आपसी फिजिकल आवश्यकताओं का ध्यान -डॉ.एन.पी. गाँधी


नव युवा पति पत्नी में बढ़ रहे तलाक के मामले ,पैकेज ,गौरा सांवला रंग नहीं अपितु स्वभाव देखे
रिश्तो से पूर्व मायके का दखल से  बिगड़ रहे  पति-पत्नी के रिश्ते, वजह ‘फोन कर बिटिया को ससुराल की हर बात पर देते राय

दुनियाभर में पति-पत्नी के बीच  दिनों दिन झगड़े बढ़ते जा रहे हैं. यही वजह है कि दंपती के बीच होने वाले तलाक की संख्या में भी साल दर साल इजाफा हो रहा है और यह सब विशेषकर हो रहा है एकल परिवार में ,संयुक्त परिवार में हलाकि ऐसा काम ही देखा जा रहा है,क्योकि अधिकतर मेटर आपसी बातो से घर के वरिष्ठ परिजनों से हो जाता है।  ग्लोबल इंडेक्स के अनुसार भारत एक विविधताओं वाला देश है जहा समाज संस्कृति को महत्व दिया जाता रहा है ,और तलाक की प्रक्रिया बहुत आसान भी नहीं है ,इसलिए सर्वाधिक मामलो में पति पत्नी अपने झगड़ो में लगातार होने पर भी समाज को दृष्टिगत रखते हुए स्वयं ही अलग अलग रहने लगते है ,और आवश्यकता पड़ने पर मिलजुल कर काम कर पारिवारिक सामाजिक कार्यक्रमों में उपस्थिति दर्शाते हुए बिना तलाक के अपना जीवन व्यतीत करते है। इससे भारत जैसे उच्चतम युवा जनसंख्या वाले देश में तलाक के आंकड़े स्पष्ट दृष्टिगत नहीं होते। वैसे तो विश्व में तलाक के मामलों में भारत सबसे पीछे है यानी भारत में तलाक की दर सबसे कम है, लेकिन पिछले कुछ समय में भारत में तलाक के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है.

भारत में भी तेजी से तलाकशुदा युवा युवतियों की संख्या बढ़ रही हैं.  दिल्ली महानगर में देखा जाये तो हर वर्ष 8 से 9 हजार तलाक के मामले आते हैं. जो देश में सबसे ज्यादा हैं. इसके बाद मुंबई और बेंगलुरु में सबसे ज्यादा 4 से 5 हजार तलाक के मामले सामने आते हैं. यहां पिछले एक दशक में आंकड़े दोगुने हुए हैं. 1980 के बाद से भारत में 2024 तक विवाहित  तलाकशुदा युवा युवतियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है ,एक रिपोर्ट के अनुसार पुरे भारत में औसतन लगभग पंद्रह से बिस हजार आंकड़े हर वर्ष भारत में दर्ज हो रहे है।

इंटरनेशनल प्रशिक्षित लाइफ कोच एनपी गाँधी के अनुसार रिश्तो में मजबूती हेतु शुरुवाती दौर जब विवाह होता है उसके एक दो वर्ष सम्बन्धित माता पिता को अपने बच्चो के साथ रहना चाहिए। भारत में भी देखा जा रहा है अमेरिका जैसा कल्चर आ गया है शादी होते ही बच्चो को उनके कार्य स्थल मुंबई बेंगलुरु जयपुर इनडोर ,कोटा भोपाल सीधे अधिकतर भेज दिया जाता है ,जबकि भारतीय संस्कृति के अनुसार नव विवाहितो बच्चो को माता पिता या किसी बड़ो के निर्देशन में कुछ शुरुवाती वर्ष रहना चाहिए जिससे उनकी आपसी समझ परिजनों के समक्ष मजबूत हो सके ,उनमे संस्कार आपसी पारिवारिक अदब ,आवशयक स्वतंत्रता ,आधुनिकता के साथ सामाजिक परिवेश में वह एक दूसरे को ढल सके ,सामाजिक परिवेश में उनका कार्यिकी स्थल के स्टाफ मित्र ,विभिन्न क्षेत्रीय सामाजिक संस्थाओ के मित्रो ,अपने क्षेत्रीय उपयुक्त कोटि के कपल मित्रो आदि से जुड़ाव सम्बन्धितय महत्वपूर्ण बातो की प्राइवेसी ,एक दूसरे के साथ खुले मन मस्तिष्क से एक दूसरे की प्रोब्लेम्स शेयर करना ,समाधान करना ,एक दसूरे के लिए परस्पर हॉबीज हेतु डेली समस्य व्यतीत करना ,अधय्त्मा से जुड़ाव ,एक दूसरे पर आपसी समझ विकसित कर रिश्तो में समधुरता बनाये रखना। कहते है रिश्ते नाजुक होते है इन्हे मजबूत बनाने में समय लगता है परन्तु टूटने में समय बिलकुल नहीं लगता इसलिए आवश्यक है आज के एकांकी ,आधुनिक ,सुचना प्रौद्योगिकी के  परिवेश को ध्यान में रखते हुए परिजनों को नव विवाहित कपल के साथ रहना चाहिए तभी रिश्तो की मजबूत नीव बन पायेगी। क्योकि गृहस्थ जीवन में दो विभिन्न विचारधारा के दो व्यक्तित्व का मिलान होता है जिसमे उच्चतम स्तर तक जीवन पर्यन्त रिश्तो को संजोने हेतु संयम ,सहिष्णुता ,गंभीर ,वफ़ादारी ,ईमानदारी परस्पर स्नेह ,बेहतर व्यक्तिगत संवांद के साथ पारिवारिक आपसी समन्वयता  एवं दोनों परिवार की आकस्मिक जरूरतों कार्यो पर सदैव बिना रोक टोक के तत्पर रहना होता है। दोनों पति पत्नी में कभी नकारात्मक  ईगो ऐटिटूड न पनप पाए इस हेतु परिजनों को दोनों को मानसिक रूप से तैयार करना होगा ,जो है जो आप दोनों कर रहे हो वह आप दोनों का है ,अब एक दूसरे पर किसी को उसके पैकेज उसके खर्च ,उसकी लाइफ स्टाइल के लिए बेवजह भिड़ना नहीं है ,आप दोनों के लिए आपसी खुसी ,प्रसन्नता ,रिश्तो में ईमानदारी सर्वाधीक महत्वपूर्ण पहलु है। एक दूसरे की करियर प्रगति के लिए किसी एक को हमेशा अनुशासित में रहना होगा और आवश्यकता पड़ने पर त्याग भी करना होगा तभी दो पहिये की वैवाहिक गाड़ी चल पायेगी ,जो भी करे आपसी सहमति स्नेह समर्पण से करे बस यही वैवाहिक जीवन है। किसी अन्य की लाइफ को देखकर देखादेखी न करे यह याद रखे हरेक के संस्कार ,सोच अलग होती है ,इसलिए अपने परिवार समाज की मर्यादाओ का ध्यान रखे और अपने वैवाहिक जीवन को सफल बनाये। देखा जा रहा है आजकल मोबाइल फ़ोन के कई फायदे है तो नुकसान भी नव विवाहित युवतिया बात बात पर मायके कॉल लगा देती है उसके परिजनों से विभिन्न तरह तरह की आवश्यकताएं डिमांड अप्रत्यक्ष रूप से हस्बेंड पर दबाव बनाती है ,कई बार देखा गया है पति अनावशयक तनाव में आ जाता है परिवार में कलह लड़ाई झगड़ो का कारन वह अनावशयक वस्तुओ की पूर्ति करना पति के लिए जी का जंजाल बन जाता है वही दोनों पत्नी पति में आपसी तनाव पड़ता जाता है ,बात बात में हर पहलुओं पर पत्नी पति पै हावी होती है। कई झगड़ो में कारन फेमेली प्लानिंग  में आपसी सहमति न बना पाना या पहले या दूसरे प्रसव हेतु ज्यादा गेप होना भी झगड़ो का प्रमुख कारण है। एक सामान्य घर की लड़किया भी दूसरे महिला मित्र की देखा देखि में अपने पति पर दूसरे बच्चे की प्लानिंग के लिए तरह तरह के दबाव बनाने लगती है और इन सभी में मायके वालो से ज्यादा क्षय मिलना पत्नी को और उग्र बनता जाता है और जिससे पति पत्नी के रिश्ते बढ़ते जाते है। ऐसा देखा गया है दोनों में परस्पर तनावपूर्ण सम्बन्धो की वजह से दोनों में शारीरिक मानसिक व्याधिया ,विकृतिया हेल्थ सम्बन्धी समस्याये बढ़ती  जाती है।
आजकल दो सदस्यों या बच्चो सहित तीन चार सदस्यों का घर का कार्य में पत्नी हावी होती जा रही है जबकि मनु स्मृति वेदो के अनुसार जिन बातो पर एक पुरुष को डिसीजन लेना होता है आज हर चीजों पर एक महिला युवती डिसीजन लेती है पति को अनावश्यक ईगो ऐटिटूड  अपने मायके वालो ,फ्रेंड सर्किल ,सोसाइटी को दिखाने या अपंने ससुराल में अपनी धमक प्रभाव दिखाने के लिए आजकल की पत्निया अपने पति को  दबाव में रखती है ,इसमें कही हद तक भारत में बने महिलाओ के लिए लीगल प्रोटेक्शन रूल्स है जिससे आजकल महिला अत्याचार की वजह पुरुष अत्याचार बढ़ता जा रहा है ,जिसे कोई समझ नहीं पा  रहा है,एक आंकड़ों के अनुसार फेमिली कोर्ट में आयी शिकायतों में साथ प्रतिशत से ऊपर झूठे जबरन ससुराल वालो पर पत्नी द्वारा केस लगाए गए बाद में कई सालो की मशक्क्त  बाद पता चला की यह सब एक पत्नी अपने मायके वालो के दिखावटी जीवन ,अपने महिला मित्रो की लाइफ स्टाइल ,अपनी वुमन किती ग्रुप की बातो पर पत्नी को परेशां और हर चीज में जवाब और दबाव बनाती  थी,दो तीन सदस्यों और छोटा घर होने के बावजूद दिखावटी लाइफ स्टाइल के चक्कर में पत्निया आजकल बरतन वाली साफ सफाई वाली खाना बनाने वाली बाई तो रख लेती है परन्तु स्वयं के आलस्य शेडूल या बातूनी मित्रो की वजह से प्रोफेशनल कार्यो के बावजूद समय होने पर भी अधिकतर समय गपशप और फिजूल मोबाइल चेटिंग और टाइम पास में गुजर देती थी इससे भारतीय महिलाओ में पुरुष के मुकाबले शहरो में ही नहीं ग्रामीण कस्बो में भी महिलाये बेवजह मोटापे के कारन तनाव के कारन अनफिट होने लगी है। यह सब आज की महिलाओ की गलत खान पान ,मिर्च मसाला तड़का ,ज्यादा मीठा खाना,सफाई स्वछता में अनदेखी करना ,पति से बेवजह झगड़ो द्वारा खुद और परिवार को तनाव में रखना और इन सभी में महत्वपूर्ण है योग एक्सरसाइज नियमित रूप से न करना यह सभी स्वास्थ्य के लिए गलत ह।    ऐसी महिलाये दिनों दिन उग्र और उत्तेजित होती जाती है ,और पति अंदर ही अंदर तनाव और उसके कार्यिक स्थल में वह मानसिक रूप से कमजोर होता जाता है ,फलस्वरूप झगडे बढ़ते जाते है और तब या तो बहुत देर हो जाती है या दोनों में से एक असमय आत्महत्याएं कर लेते है या अगर स्वयं मोटिवेटेड है तो स्वतः अलग रहने लग जाते है। हाल ही में दिल्ली और जयपुर में हुए दो मामलों में पति पिछले दस सालो से पत्नी से परेशान था उसने जब मामला गंभीर हो गया और दोनों पक्ष से उसकी गलती न होने के बावजूद उसे गलत दोषी ठहराया  जा रहा था सीसीटीवी कैमरे जब लगवाए गए तो सच्चाई जब सामने आयी तो पुरे परिवार रिश्तेदार और समाज जो पति को गलत दोषी था रहे थे ,तब पति के आत्महत्या करने पर जाँच में पता चला की पत्नी पति पर हर सही बातो पर झगड़ती थी चिल्लाती थी ,अपना प्रभाव ज़माने के चक्कर में उससे बेवजह परेशां करती थी ,पति द्वारा दी गयी स्वतंत्रता ने दोनों के रिश्ते को ख़राब कर दिया और जिन्दगिया तबाह हो गयी। ध्यान रहे महिला सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है ,परन्तु सशक्तिकरण पति को उसकी पत्नी के शैक्षणिक स्टेंडर्ड ,पारिवारिक माहौल और उसके स्वभाव को जाँच परखकर करना चाहिए ,बेवजह परिवार समाज में प्रतिष्ठा हेतु महिला सशक्तिकरण के चक्कर में प्रोफेशनल और सामाजिक स्तर पर बिना सोचे समझे अपनी पत्नी को ज्यादा सशक्त न करे अन्यथा यह पारिवारिक कलह और अशांति का कारन भी बन सकता है। आप चाहे सिंगल फेमेली के रूप में घर परिवार समाज से अलग रहते हो फिर भी अपने ग्रुप फेमेली बड़ो से महत्वपूर्ण बाटे साझा करे ताकि गलत सही का अनुभव आपको मिल सके ,सामाजिक मान्यताये मर्यादा और अपने पति के बजट और सामाजिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए ही विभिन्न आवश्यकताओं को पूरी करने के फैसले लेने चाहिए ,अन्यथा वित्तीय स्तर पर नुकसान के साथ साथ फिजूलखर्ची और बेवजह अनहेल्थी स्वास्थ्य रहित  जिंदगी जीने को आपको मजबूर होना पड़ सकता हैl
लेखक :डॉ नयन प्रकाश गाँधी अंतराष्ट्रीय लाइफ एवं एनएलपी करियर कोच है और नेशनल यूथ एक्सीलेंस अवार्डी भी है। For free Counselling mail question on  globalcareernlpcoach@gmail.com

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