ब्रिक्स में भारत की बुलंदी
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
ब्राजील में हुआ ब्रिक्स सम्मेलन भारत की दृष्टि से काफी सार्थक रहा। इसमें पांच देशों- ब्राजील, भारत, चीन, रुस और दक्षिण अफ्रीका ने मिलकर जो संयुक्त वक्तव्य जारी किया है, उसमें वे सभी मुद्दे हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत उठाता रहा है। इसके अलावा हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण अत्यंत प्रेरक और प्रभावशाली था। इस पंचराष्ट्रीय संगठन के देशों की अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी है कि उसमें आधी दुनिया समा जाए याने विश्व अर्थव्यवस्था का 50 प्रतिशत हिस्सा इन सिर्फ पांच देशों के पास है। संयुक्तराष्ट्र संघ के अलावा दुनिया का हर अंतरराष्ट्रीय संगठन जनसंख्या के हिसाब से ब्रिक्स के मुकाबले छोटा है। इस सम्मेलन में इसके सदस्यों ने सुरक्षा परिषद के सुधार, आतंकवाद के विरुद्ध ठोस कदम और नई पारस्परिक भुगतान प्रणाली पर एक राय व्यक्त की। उन्होंने डाॅलर के बजाय सीधे लेन-देन को अपना माध्यम बनाने पर जोर दिया। वे अपने देशों की मुद्राओं का अब सीधा इस्तेमाल करेंगे याने वह एक वैकल्पिक विश्व अर्थव्यवस्था की शुरुआत होगी। मोदी के भाषण में इन सब मुद्दों पर जोर तो दिया ही गया, उन्होंने इन सब राष्ट्रों को भारत में अपनी पूंजी लगाने के लिए बड़ी ही गर्मजोशी से न्यौता दिया। उन्होंने बताया कि विदेशी पूंजी का जैसा हार्दिक स्वागत भारत कर सकता है, वैसा दुनिया में कोई नहीं कर सकता। अगले पांच साल में भारत को 50 खरब की अर्थ व्यवस्था बनाने के लिए हम कृतसंकल्प है। आप आइए और अपना पैसा लगाइए। मोदी ने रुस के पुतिन, चीन के शी और ब्राजील के बोलसोनारो से भी खुलकर बातचीत की। इसके अलावा मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ काफी ठोस तथ्य पेश किए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की वजह से पिछले 10 सालों में 2.25 लाख मौतें हुई हैं। विश्व अर्थव्यवस्था को 720 खरब रु. का नुकसान हुआ है। इससे विकासमान राष्ट्रों की विकास दर 1.5 प्रतिशत गिर गई है। मुझे विश्वास है कि इस भाषण का असर संयुक्तराष्ट्र संघ पर जरुर पड़ेगा, जो अभी तक आतंकवाद की परिभाषा तक नहीं कर सका है। अब ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोवरो अगले गणतंत्र दिवस पर हमारे मुख्य अतिथि होंगे। अब ब्राजील-यात्रा के लिए भारतीयों को वीजा-मुक्त भी कर दिया है।