कब तक कोचिंग संस्थानों को कोसते रहेंगे पेरेंट्स को जरूरत है बच्चो के साथ रहने की

पेरेंट्स की नियमित मॉनिटरिंग प्रत्यक्ष विजिट बच्चो के मानसिक मजबूती के लिए है जरूरी

-राजेंद्र जैसे लाखो बच्चे है जो अपनी नहीं पेरेंट्स रिश्तेदार की सोच की वजह से रूचि के खिलाफ गलत करियर तैयारी में संलग्न है

कोटा-

लगातार जागरूक करने के बावजूद माता पिता हाल ही में नीट परीक्षा के सम्पन्न होने के बाद बच्चे के पेपर सही नहीं जाने एवं मानसिक तनाव बढ़ने और रुचिगत करियर नहीं होने की जानकारी मिली है और बच्चा पेरेंट को नोटिस लिखकर लापता हो गया
। यह सही भी है की पेरेंट्स को अपने बच्चो को बायो लोजी साइंस के आलावा भी उसकी रूचि के अनुसार दसवीं के बाद सब्जेक्ट चयन करना चाहिए। आजकल देखा जा रहा है ,हर जाती ,समाज में गावो के अंदर विशेषतः भेड़ चाल को फॉलो किया जाता रहा है। विशेष वार्ता में कोटा शिक्षा नगरी के अंतराष्ट्रीय लाइफ कोच एवं एनएलपी करियर कोच डॉ नयन प्रकाश गाँधी ने बताया की में खुद ग्रामीण कस्बे से पला बढ़ा हु और ग्रामीण क्षेत्र और कस्बो में निवासरत परिवारों के माता पिता परिजनों की बिना करियर काउंसलिंग करवाए अपने बच्चे का व्यक्तिगत जूनून जज्बा , इंटरेस्ट जाने बिना ,उसकी राय लिए बिना उसे स्वयं (माता पिता ) की इच्छाओ के सपनो में कैद रखा जाता है। में यह इसलिए कह सकता हु की क्योकि कई ग्रामीण क्षेत्रों के लोगो से सम्पर्क में आता रहा हु जो आज काफी विकसित हो चूका है फिर भी अधिकांश माता पिता बच्चो हेतु साइंस सब्जेक्ट्स या कॉमर्स सब्जेक्ट्स के आलावा कुछ नहीं देखते हमारे एक छोटे से गांव में हमारे समय जब में बारहवीं पास करके निकला था तो एक बच्चे ने अगर नर्सिंग में एडमिशन लिया तो देखादेखी कर कैसे भी करके बच्चो को नर्सिंग में एडमिशन करवाते रहे फिर फार्मेसी में ऐसा ही हुआ एक को देखा उसकी दुकान अच्छी चल रही उसको देखकर कई बच्चे जिन्हे बिजनेस करना तक नहीं आता उन्होंने भी फार्मेसी में बंगलौर कोई एमपी से जाकर करके आ गया और दुकाने खोल ली एक ने अगर बीएड ,की तो सभी बीएड करने चले गए ,एक ने बीपीएड की तो दूसरे मित्र भी उसके देखकर माता पिता ने करने भेज दिया ,एक ने चार्टेड अक्काउंटेंट के लिए इनडोर एडमिशन लिया तो उसके साथ के कई सेम कोर्स करने चले गए , से कुछ ही अपने टेलेंट के बेस पर जिन्दा है कुछ ने पुस्तैनी बिजनेस होने से सक्सेस पा ली परन्तु वह कब तक रहेगी उसका कोई ठिकाना नहीं।
इनमे से किसने किस डिग्री का अपने करियर में उपयोग किया यह वह खुद जानता है ,और यह सही भी है की असफलता या गलत के बाद ही सफलता या सही होता है .
मेरे कहने का तात्पर्य यह है की पेरेंट्स को अपने बच्चो को अपनी सहूलियत के आधार पर करियर हेतु दबाव नहीं बनाना चाहिए अपितु उसके समर्थ्यता ,उसकी सब्जेक्ट्स नॉलेज उसके बेसिक कांसेप्ट के आधार पर उसकी करियर रूचि के आधार पर करियर के लिए अध्ययन हेतु भेजना चाहिए ,फिर देखे वह कुछ बनकर ही आएगा या असफल होने पर भी अपनी रूचि से बदलाव ला कर उस क्षेत्र से सम्बन्धित कुछ अच्छा करेगा ,उसकी अभिलाषाओं को मत दबाओ उसे मौका दो कुछ अलग सोचने का जिस पर वह कुछ घंटे भी दे ,समय दे तो उससे वह ऊबे नहीं अपितु उससे उसे संतुष्टि हो सब्जेक्ट में आसक्ति हो , स्वयं को आनंदित महसूस करे। में कहता हु अभी भी समय है हाल ही में बिना सुसाइड के समान्यतः अपनी अरुचि प्रदर्शित कर कल एक कोटा कोचिंग से लापता नीट का स्टूडेंट ने कई माता पिता को आगाह किया है की या तो माता पिता में से कोई एक अपने बच्चो के साथ रहे ताकि उसके मानसिक स्तर और डेली तनाव को भापकर बच्चो को सकारात्मक प्रोत्साहित कर गलत कदम से बचाया जा सके। यही नहीं बच्चो को माता पिता का अपनत्व भी मिलता है उससे अगर वह अनुशासन हिन् है या गलत फ्रेंडशिप में आसक्त
हो जाये तो समय रहते उसे भी सुधारा जा सकता है ताकि बेवजह बच्चो की तैयारी में रूकावट न आये। वस्तु स्थति को देखकर ऐसा लगता है कोचिंग संस्थानों की गुणवत्ता पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकता है क्योकि संस्थान संगठन के रूप में अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रहे है ,यहाँ भूमिका पेरेंट्स की है जिसे उन्हें स्वयं निभाना होगा। माता पिता को चाहिए की अपने बच्चो हेतु दसवीं के बाद से ही उपयुक्त विषय का चयन प्रशिक्षित करियर कॉउंसलर के परामर्श पर ही ले, न की सीधे एकेडेमिक विषय विशेष में प्राप्त मार्क्स के आधार पर। ध्यान रहे बच्चो की विषयगत रूचि के आलावा ,तकनिकी ,मनोरंजन ,स्वास्थ्य सम्बन्धी पहलु भी जज करे और उसके आधार पर फैसले ले,न की पडोसी या मित्र रिश्तेदारों के बच्चो को देखकर।