भारत ने ऑस्ट्रेलिया, हॉन्गकॉन्ग, जापान, सिंगापुर और कोरिया जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। भारत बड़े APAC देशों में (चीन को छोड़कर) 950MW के डेटा सेंटर क्षमता वाला देश बन गया है।
भारत के बाद जापान दूसरा सबसे बड़ा डेटा सेंटर है और उसकी क्षमता 892 मेगावाट है। जापान के बाद ऑस्ट्रेलिया 773 मेगावाट, फिर सिंगापुर 718 मेगावाट, हॉन्गकॉन्ग 613 मेगावाट और फिर कोरिया 531 मेगावाट की क्षमता वाला देश है।
कई बड़ी कंपनियां भारत में अपना डेटा सेंटर स्थापित कर चुकी हैं या करना चाहती हैं। यही वजह है कि भारत में डेटा सेंटर (डीसी) इंडस्ट्री ने काफी अच्छी ग्रोथ की है। जब कोविड महामारी की शुरुआत हुई थी, उसी दौरान भारत ने अपनी क्षमता को दोगुना कर लिया था। 2023 में 255 मेगावाट की क्षमता का इजाफा किया गया।
अब अलग-अलग शहरों में 330 वॉट के डीसी लगाए जा रहे हैं। सालाना लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि की जा रही है, जिससे 1370 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है।
डेटा सेंटर (डीसी) भारत सहित एपीएसी क्षेत्र में निवेशकों के लिए टॉप-3 पसंदीदा अल्टरनेटिव एसेट्स में से एक बने हुए हैं। वैश्विक निवेशकों की भारतीय डेटा सेंटर बाजार में गहरी रुचि बनी हुई है।
वैश्विक निवेशक कई समूह स्थानीय ऑपरेटरों के साथ साझेदारी और संयुक्त उद्यम पर नजर गड़ाए हुए हैं। खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या के कारण आने वाले वर्षों में ऑपरेटरों के बीच एम एंड ए गतिविधि में तेजी आने की संभावना है।