बुर्का पहनकर वोट डालने आने वाली महिलाओं की पहचान की जाए, बुर्के की आड़ में होता है फर्जीवाड़ा

बुर्का पहनकर वोट डालने आने वाली महिलाओं की पहचान की जाए, क्योंकि बुर्के की आड़ में फर्जीवाड़ा होता है। धार्मिक मान्यता की आड़ में मुस्लिम अपनी महिलाओं को बुरका पहनाकर फर्जी वोट डलवाते हैं। क्योंकि कोई अधिकारी किसी महिला का बुरका हटाकर उसके चेहरे का सत्यापन नहीं कर पाता है जिसका फायदा उठाकर मुस्लिम महिलाएं फर्जी वोट डालने में कामयाब हो जाती हैं।

हाल ही में बिहार के दरभंगा में इसी प्रकार फर्जी वोट डालते हुए कई बुरके वाली मुस्लिम महिलाओं को पकड़ा गया था। उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था लेकिन धर्म की आड़ में अनेक मुस्लिम लोगों ने थाने पर ही धावा बोलकर उन बुर्कानशी महिलाओं छुड़ा लिया, जोकि गैरकानूनी है।

दिल्ली में मतदान से पहले ‘बुर्के’ को लेकर विवाद छिड़ गया है। भाजपा के एक विधायक ने मांग की है कि बुर्का पहनकर वोट डालने आने वाली महिलाओं की पहचान की जाए।

एआईएमआईएम के मुखिया औवेसी ने आगे कहा कि पर्दानशीन औरतों को लेकर निर्वाचन सदन के साफ नियम-कानून हैं। चाहें वो बुर्के में हों, घूंघट में हों या मास्क में, बिना जांच के किसी को भी वोट देने नहीं दिया जाता है। फिर भाजपा को ऐसी खास मांग क्यों करनी पड़ी? बस मुस्लिम औरतों को निशाना बनाया जाए, उनको सताया जाए और उन्हें वोट देने में बाधा बनाया जाए।

लेकिन औवेसी ने ये नहीं कहा कि बिहार के दरभंगा में बुर्कानशी महिलाएं फर्जी वोट डालते हुए पकड़ी गई थीं। मक्कारों के मुखिया ने ये नहीं कहा कि तेलंगाना में बुर्के की आड़ में फर्जीवाड़ा हुआ। ये लोग बुर्के और धर्म को आगे करके अपनी मुस्लिम राजनीति करते हुए अनपढ़ मुसलमानों को बेवकूफ बनाने का काम करते हैं।

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