📍सिक्स सिग्मा रिसर्च के प्रमुख बिन्दु :-
1. पहाड़ पर बर्फीले पानी में स्नान करके दर्शन करना और दर्शन के बाद भोजन करने की जिद से बदहाल,
2. चार धाम में 63% तीर्थ यात्री माउंटेन सिकनेस, बीपी, शुगर और हाइपरटेंशन का शिकार,
3. 78% यात्री हेल्थ चेक नहीं करवाकर पहुँच रहे हैं चारधाम ।
4. हेल्थ चेक अनिवार्य होने से ही रुकेगा मौतों का सिलसिला ।
5. यात्रा के दौरान ऑन द स्पॉट हेल्थ चेक करना फ़ायदेमंद नहीं है,
6. चार धाम यात्रा में 96% डेथ केस मर्त लाये (ब्रॉट डेड) जाते हैं ।
7. मौत का आँकड़ा कम करने के लिये सरकार को “क्विक रिस्पांस मोबाइल मेडिकल टीम” को जगह – जगह पर तैनात करना चाहिए।
8. चार धाम के सभी मेडिकल / पैरा मेडिकल को माउंटेन मेडिसिन में प्रशिक्षण बेहद ज़रूरी ।
9. अब तक 114 यात्री की मौत भी हो चुकी है !
👉चार धाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई और अब तक 10 लाख से अधिक तीर्थ यात्री दर्शन कर चुके हैं, और अब तक 114 यात्री की मौत भी हो चुकी है। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में साल 2023 में एक महीने में इतनी मौतें नहीं हुई थीं, जितनी मौतें इस बार की यात्रा में देखने के लिए मिली हैं , पिछले साल 245 यात्रियों ने चार धाम में अपनी जान गवाई थी ।
👉रिसर्च में सामने आया की सबसे ज़्यादा मौत केदारनाथ और युमनोत्री में होती हैं और 94% मौत के केस ट्रैक में होते हैं, जबकी चार धाम के हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत होना बेहद कम है। हैरानी की बात ये है कि 2024 यात्रा के शुरुआती दिनों में ही मौत के आंकड़ों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक चारों धामों की यात्रा के दौरान 114 लोगों की मौत हो चुकी है, केदारनाथ में हर दिन लगभग दो मौत हो रही है !
👉12000 फीट की ऊँचाई है और यात्री कह रहे हैं की पहले हम सभी स्नान कर लें फिर दर्शन करेंगे और दर्शन के बाद ही भोजन करेंगे, जी हाँ अगर आपका भी ऐसा ख़्याल है तो सावधान हो जाये ये मेडिकल रिसर्च आपकी जान बचा सकती है ।
👉हाई अल्टीट्यूड की जानी मानी संस्था – सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर चार धाम व पंच केदार में पिछले 30 दिन से मेडिकल सेवा प्रदान कर रही है । मेडिकल टीम की रिसर्च रिपोर्ट में पाया की चार धाम में 63% तीर्थ यात्री माउंटेन सिकनेस, बीपी, शुगर और हाइपरटेंशन का शिकार हैं और 78% यात्री अपना किसी भी प्रकार का यात्रा से पहले अपना हेल्थ चेक नहीं करवाते और चार धाम यात्रा पर निकल जाते हैं ।
🚨मेडिकल रिसर्च में देखा गया की, चार धाम यात्रा के दौरान हर तीसरा तीर्थ यात्री माउंटेन सिकनेस, ब्लड प्रेशर, शुगर और हाइपरटेंशन की समस्याओं का सामना कर रहा है। अध्ययन के मुताबिक, हजारों किलोमीटर की लंबी यात्रा के बाद यात्रियों को दर्शन के लिए लंबी लाइनों में घंटों तक इंतजार करना पड़ता है, जिससे वे लोग समय से खाना पानी नहीं खा पाते । मान्यताओं के अनुसार दर्शन के बाद ही भोजन का सेवन करने की जिद से भी कुछ यात्री बदहाल हो रहे हैं । 12000 फीट पर बर्फीले पानी में नहाना और भोजन छोड़ देना एक ख़तरनाक पहलू है । बर्फीली नदी के माइनस तापमान में स्नान करना अपनी मौत को दावत देने के बराबर है । केदारनाथ, बद्रीनाथ और गंगोत्री में ठण्डे पानी में नहाना / डुबकी लगाना एक आम बात हो गई है, रिसर्च में पाया गया की बर्फीले पानी में नहाने से यात्रियों को हाइपोथर्मिया की शिकायत हो जाती है और यही कारण बाद में हार्ट अटैक का भी कारण बन जाता है ।
डॉ० प्रदीप भारद्वाज, सीईओ – सिक्स सिग्मा ने कहा की अब चार धाम में भी अमरनाथ यात्रा की तर्ज़ पर हेल्थ चेक होना चाहिये । अमरनाथ यात्रा में कंपलसरी हेल्थ चेक के बिना आप यात्रा नहीं कर सकते लेकिन चार धाम में इस तरह का कोई कंपलसरी हेल्थ चेक नहीं है, जिसके कारण यात्रा में मौतों का सिलसिला हर साल बढ़ता जा रहा है ।
👉सरकार को चाहिए की चार धाम के लिए एक व्यक्ति की एक नियत वर्ष आयु तय की जानी चाहिए और यात्रियों की स्वास्थ्य जांच को अनिवार्य कर देना चाहिए। चार धाम यात्रा के किसी भी मेडिकल सेंटर में इलाज के दौरान मौत का आँकड़ा बेहद कम है । यात्रा के दौरान उसी स्थान पर हेल्थ चेक करना फ़ायदेमंद नहीं है, क्योंकि चार धाम में 96% डेथ केस मर्त लाये (ब्रॉट डेड) जाते हैं ।
👉चार धाम में मौत का आँकड़ा कम करने के लिये सरकार को “क्विक रिस्पांस मोबाइल मेडिकल टीम” को जगह – जगह पर तैनात करना चाहिए ।
👉चार धाम यात्रा में तैनात मेडिकल स्टाफ को माउंटेन मेडिसिन और माउंटेनियरिंग व रेस्क्यू में प्रशिक्षण ना के बराबर है । पहाड़ पर शरीर के सभी पैरामीटर बदल जाते हैं और ऐसे में माउंटेन मेडिसिन की शिक्षा / प्रशिक्षण ही काम में आता है, इसलिए अब समय की आवश्यकता अनुसार चार धाम सभी मेडिकल / पैरा मेडिकल को माउंटेन मेडिसिन में प्रशिक्षण देना ज़रूरी हो गया है ।
👉37 % क्रिटिकल यात्रियों से पूछने पर पता लगा है की वे लोग अपनी पूर्व से चल रही रोज की दवाएं समय से नही ले रहे है जिस कारण उन्हें समस्या का सामना करना पढ़ रहा है।
केदारनाथ के चिकत्सक बताते है की प्रतिदिन 350 मरीज उनके पास आते है। जिसमें 63% प्रतिशत लोग माउंटेन सिकनेस, बीपी, सुगर, हाइपरटेंशन के मरीज होते है।
डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि यात्री हजारों किलोमीटर लंबी यात्रा कर रहे है जिसमें उन्हें उचित आराम , तथा संतुलित आहार प्राप्त नहीं हो पा रहा है, यात्री बारिश में भीग जाते है तथा पूरी तरह नींद भी नही ले रहे है जिसके कारण भी उन्हें माउंटेन सिकनेस जैसी दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है।
📍भंडारे वाले खिला रहे है तला – भुना भोजन, इनका कोई फ़ूड मीनू निर्धारित नहीं :-
इस रिसर्च मिला की चार धाम में सरकार ने भंडारा हेतु कोई हेल्थी फ़ूड मेनू नहीं बनाया है और भंडारे वाले यात्रियों को तला – भुना खिलाकर भी सेहत को नुक़सान पहुँचा रहे हैं । हल्का व कम मसालेदार भोजन और आसानी से पचने वाले भोजन बनाने व खिलाने का प्रयास होना भी एक उचित कदम होगा ।
📌सिक्स सिग्मा द्वारा इलाज किये गये यात्री :-
– केदारनाथ – 5310
– बद्रीनाथ – 1870
– तुंगनाथ – 1415
– मध्यमहेश्वर – 389
– रुद्रनाथ – 204
📍चार धाम में मौत के मुख्य कारण :-
-अधिकतर श्रद्धालुओं की मौत हार्ट अटैक की वजह से होती है ।
-हाई ब्लड प्रेशर, शुगर व अस्थ्मा के कारण
-बिना हेल्थ चेक के यात्रा करना
-एक्यूट माउंटेन सिकनेस
-हाइपोक्सिया
-सही तरीक़े से acclimatization ना होना
– भूखा रहना और बर्फीले पानी में स्नान
📍मेडिकल रिसर्च के अनुसार यात्रियों को स्वस्थ रहने के लिए निम्न सलाहों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है :-
– अपना ख़ुद का फर्स्ट ऐड बॉक्स रखें
– अपना मेडिकल डाटा/ रिपोर्ट मोबाइल में रखें
– इमरजेंसी मोबाइल नंबर तथा अपना ब्लड ग्रुप लिख कर रखें.
– निर्देशित पगडंडियों तथा ट्रैकिंग पंथों का पालन करे
– 65 वर्ष से अधिक आयु वाले अकेले यात्रा ना करे
– किसी ना किसी को अपनी यात्रा कार्यक्रम की सूचना अवश्य दे।
– गर्भवती महिलाएं यात्रा ना करे
– माउंटेन सिकनेस, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अधिक मधुमेह या अस्थमा अटैक का इतिहास होने पर यात्रा ना करे
– अधिक मोटापे से प्रभावित होने पर (< 30 बी एम आई होने पर ) यात्रा ना करे
– पूर्व में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने पर ( कृपया निर्धारित दवाएं और डॉक्टर का संपर्क विवरण साथ रखें)
-पहाड़ों पर जाने से 2-3 दिन पहले ज़्यादा मात्रा में अल्कोहल वाले पेय पदार्थ न पिएँ ।
📍मेडिकल रिसर्च के अनुसार निम्न यात्री तुरंत मेडिकल सहायता लें –
– सीने, हाथ व पैर में दर्द
– अत्यधिक सांस फूलना
– बार बार चक्कर आना या चलने में दिक्कत
– होठ , नाक और उंगलियों का नीला पड़ना
– कमजोरी या शरीर के एक तरफ सुन्न पड़ना
📍चार धाम यात्रा के लिए बेहद खास बातें –
– डीप ब्रीथिंग करे और हाइड्रेट रहे
– यात्रा को पूरी तैयारी के साथ आरंभ करें।
– यात्रा की योजना कम से कम 7 दिनों के लिए बनाएं।
– यात्रा करने से पूर्व पंजीकरण एवं निवास स्थान सुनिश्चित करें।
– रात में ठहरने की जगह को पहले से सुनिश्चित करें।
– वातावरण के अनुरूप अनुकूलन के लिए समय दें।
– रोज़ाना कम से कम 10 मिनट के लिए टहलें।
– 50 वर्ष से अधिक आयु या पूर्व स्वास्थ्य परेशानी होने पर, यात्रा से पहले स्वास्थ्य जांच अवश्य कराएं ।
– यात्रा के मार्ग में आपकी सुविधा के लिए स्वास्थ्य केंद्र उपलब्ध हैं ।
– बदलते मौसम के अनुसार सामान पैक करें ।
– यात्रा के दौरान सूखे मेवे, बिस्किट, आदि और पौष्टिक आहार का सेवन करें ।
– यात्रा के दौरान पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ पिएं, और गुनगुने पानी का सेवन ज्यादा लाभदायक है।
– उचित विश्राम करें ।
– पैदल यात्रा में प्रति घंटे अथवा वाहनिक यात्रा के प्रति 2 घंटे में 5-10 मिनट का आराम करें।
– दिन में 800 – 1000 मीटर से अधिक चढ़ाई न करें।
– धूम्रपान और नशीले पदार्थो का सेवन ना करे ।
💊💊डॉक्टरों की हिदायतें :-
1. डॉक्टर अनिता भारद्वाज, मेडिकल डायरेक्टर – सिक्स सिग्मा ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे अपनी जरूरी दवाएं साथ लेकर यात्रा पर निकलें ताकि उन्हें किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्होंने यात्रियों को समय पर भोजन करने की भी सलाह दी है । उचित नींद लें। यह सबसे महत्वपूर्ण बात है। यह तब होता है जब आपका शरीर ठीक हो जाता है और अगले दिन/ऊंचाई के लिए तैयार हो जाता है। अगर कोई ऐसी चीज है जो आपकी नींद में खलल डाल रही है, तो उसे हल करें या अपने साथियों और टीम लीडर को तुरंत बताएं।
2. डॉक्टर सपना बुढलाकोटी ने भी यात्रियों को अधिक से अधिक पानी पीने और तेलीय पदार्थों का सेवन कम करने की सलाह दी है तथा चार धाम यात्रा के बीच में एक दो दिन का विश्राम करने की भी सलाह दी है।
3. डॉक्टर अरुण कुमार, फिजिशियन – सिक्स सिग्मा ने यात्रियों को गरम कपड़े लाने तथा बारिश से बचने की सलाह दी है । ऊंचाई बढ़ने के साथ, वायुमंडलीय दबाव कम हो जाता है जिससे हवा के अणुओं को ज़्यादा जगह मिल जाती है और ऑक्सीजन के अणु एक दूसरे से दूर हो जाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि हर सांस में ऑक्सीजन का अणु कम होता है। हमारा शरीर इसका पता लगाता है और सांस लेने की दर (हाइपोक्सिया) बढ़ाकर प्रतिक्रिया करता है। हम इसे आम भाषा में सांस फूलना कहते हैं। हम ज़्यादा हवा लेने के लिए ज़्यादा साँस लेने की कोशिश करते हैं। ज़्यादा साँस लेने की प्रक्रिया हमारे रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता को कम करती है, जिसके परिणामस्वरूप हमारे रक्त का पीएच बढ़ जाता है, जिससे हमारा रक्त क्षारीय हो जाता है और हमारा शरीर बाइकार्बोनेट को बाहर निकालकर रक्त को फिर से अम्लीय बनाने के लिए ज़्यादा पेशाब करता है। (डायमॉक्स इस प्रक्रिया को बढ़ाता है जो किडनी की समस्याओं वाले रोगियों को दिया जाता है)
4. श्री संजीव कुमार का कहना है की यात्री गाइडलाइंस पढ़ के आए जिससे उन्हें यात्रा करने में काफी मदद मिलेगी ।
👉👉सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, सीमा सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स और एनडीआरएफ् से प्रशिक्षण प्राप्त सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर टीम किसी भी कठिन स्थिति में मेडिकल सेवा देने के अलावा रेस्क्यू करने में भी दक्ष है। इसके सदस्य किसी भी मौसम, कितनी भी ऊंचाई और बिना समय गंवाए मेडिकल सेवा देने के लिए तैयार रहते हैं। विषम स्थिति में सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर द्वारा किए जा रहे कार्य को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी सराहा । उन्होंने कहा था कि अगर सिक्स सिग्मा है तो सब ठीक है। उनके शब्दों ने पूरे सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर को गदगद कर दिया था।