टीबी मुक्त पंचायत के लिए जिला के चार प्रखंड के पांच पंचायत ने किया क्वालीफाई

 

– आने वाले कुछ ही दिनों में जिलाधिकारी के द्वारा गांधी जी कि कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र देकर किया जाएगा सम्मानित

– जिला के अन्य पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने के लिए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के स्तर पर किया जा रहा है प्रयास

मुंगेर।

टीबी मुक्त पंचायत के लिए जिला के चार प्रखंड के पांच पंचायत ने क्वालीफाई किया है। इस आशय कि जानकारी जिला के संचारी रोग पदाधिकारी (सीडीओ) डॉक्टर ध्रुव कुमार शाह ने दी । उन्होंने बताया कि मुंगेर जिला के धरहरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत वाहा चौकी, जमालपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत इटहरी, बरियारपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बरियारपुर ऊतरी और हवेली खड़गपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मंझगांय और कौरिया पंचायत टीबी मुक्त पंचायत के लिए क्वालीफाई कर लिया है। आने वाले कुछ ही दिनों में जिलाधिकारी के द्वारा गांधी जी कि कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र देकर इन सभी पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को सम्मानित किया जाएगा ।

टीबी मुक्त पंचायत घोषित करने के लिए ये हैं मापदंड :
उन्होंने बताया कि किसी भी पंचायत के टीबी मुक्त घोषित होने के लिए आवश्यक है कि उस पंचायत में एक साल के अंदर एक हजार कि आबादी पर कम से कम तीस संभावित टीबी मरीजों कि जांच की गई हो। उस पंचायत में एक साल के अंदर एक हजार कि आबादी पर एक या एक से कम टीबी के मरीज चिन्हित किए गए हों और उन सभी टीबी के मरीजों का निक्षय पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया गया हो और निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 500 रुपए मिल रहा हो। इसके अलावा पाए गए टीबी के मरीजों का यूनिवर्सल डीएसटी यानी कौन सा मरीज टीबी मेडिसिन सेंसेटिव और कौन सा मरीज टीबी मेडिसिन रेजिस्टेंट हैं इसकी जानकारी के लिए जांच की गई हो। उन्होंने बताया कि पंचायत में चिन्हित किए गए कुल मरीजों में से 60% मरीजों का यूनिवर्सल डीएसटी टेस्ट होना आवश्यक है। इसके अलावा उस पंचायत में चिन्हित टीबी मरीजों को निक्षय मित्र के द्वारा पोषक आहार भी मिलना आवश्यक है।
इन सभी मापदंडों पर खरा उतरने वाले पंचायतों का टीबी मुक्त पंचायत के रूप में प्रोसेसिंग शुरू हो जाती है। इसके बाद जिला और राज्य स्तरीय टीम के द्वारा वेरिफिकेशन किए जाने के बाद सब कुछ मापदंड के अनुरूप पाए जाने पर उस पंचायत को प्रथम वर्ष के लिए गांधी जी की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र जिला प्रशासन के द्वरा दिया जाता है। इसके बाद लगातार दूसरे वर्ष इन सभी मापदंडों को पूरा करने पंचायत को गांधी जी की रजत प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र जिला प्रशासन के द्वारा दिया जाता है और इसी तरह लगातार तीसरे वर्ष टीबी मुक्त पंचायत के लिए निर्धारित सभी मापदंडों को पूरा करने वाले पंचायत को जिला प्रशासन के द्वारा टीबी मुक्त पंचायत घोषित करते हुए गांधी जी की स्वर्ण प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाता है।

जिला के अन्य पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने के लिए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के स्तर पर किया जा रहा है प्रयास :
जिला के टीबी/ एचआईवी कोऑर्डिनेटर शैलेंदु कुमार ने बताया कि जिला के अन्य पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने के लिए विभिन्न पंचायतों में कार्यरत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से कार्य किया जा रहा है। उक्त हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर क्षेत्र में काम करने वाली सभी आशा कार्यकर्ता को सप्ताह में कम से कम एक टीबी के संभावित मरीज को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लाकर बलगम का सैंपल जमा कराने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के ओपीडी में आने वाले टीबी के संभावित मरीज का बलगम सैंपल जमा करने का निर्देश दिया है। वहां से स्वास्थ्य विभाग के कुरियर बॉय के द्वारा जमा किए गए सभी बलगम का सैंपल अपने नजदीकी पीएचसी/ सीएचसी या डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर पहुंचाया जाता है जहां जांच के बाद टीबी के मरीजों कि पहचान होती और फिर उनका निक्षय पोर्टल पर नोटिफिकेशन के बाद छह महीने तक नियमित इलाज और दवाइयां शुरू हो जाती है।

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