2024-25 का बजट जिस पर टिकी हुई थीं सबकी निगाहें, लेकिन अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि सरकार के पास पैसा कहाँ कहाँ से आता है और कहाँ कहाँ जाता है? वित्तमंत्री का पिटारा पूरे देश का गणित लिए हुए रहता है। जब यह पिटारा खुलता है तो सभी लोग अपने मतलब एवं लाभ की गुणा भाग में लग जाते हैं। लेकिन वित्त मंत्री को देश के सभी लोगों, वर्गों एवं सभी क्षेत्रों को ध्यान में रखना होता है।
लोग अक्सर बजट के बारे में चर्चा तो करते हैं, पर इसके बारे में विस्तार से जानकारी नहीं रखते। सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में आपके लिए क्या है यह जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि बजट में पैसा कहां से आता और कहां खर्च होता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम चुनावों से पहले इसी साल 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया था। आइए उसी के आधार पर समझते हैं कि बजट में किन-किन मदों से पैदा आता है और कहां-कहां खर्च होता है?
पिछले बजट में सरकार ने जो जारी दी थी उसके अनुसार बजट के एक रुपये का 28 पैसा ऋणों और अन्य प्रकार की देयताओं के जरिए जुटाया गया। ऋणों के बाद सरकार के खाते में सबसे ज्यादा राशि आयकर के जरिए जुटाए गए। इस मद से सरकार के खाते में आए एक रुपये का 19 पैसे आया। उसके बाद 18 से पैसे से अधिक की आमदनी माल व सेवा कर और अन्य करों की वसूली से हुई।
कंपनियों पर लगने वाले टैक्सों या निगम कर के जरिए सरकार ने अपने खाते में आने वाले एक रुपये के 17 पैसे जुटाए। अंतरिम बजट के आंकड़ों के अनुसार ऋण भिन्न प्राप्तियों के जरिए सरकार ने एक रुपये का सात पैसे जुटाया। वहीं, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से सरकार के खाते में पांच पैसे और सीमा शुल्क की वसूली से चार पैसे आए। ऋण भिन्न पूंजी प्राप्तियां से सरकार को प्रत्येक एक रुपये में से एक पैसे की आमदनी हुई।
पिछले बजट के आंकड़ों के अनुसार सरकार के पास जो एक रुपया आता है उसमें से 20 पैसे ऋणों की अदायगी में ही चले जाते हैं। अगले 20 पैसे करों और शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी मद में जाते हैं। सरकार अपने पास आने वाले एक रुपये का 16 पैसे केंद्रीय योजनाओं रक्षा और आर्थिक सहायता पर होने वाले खर्चे को छोड़कर खर्च करती है। आठ पैसे राज्यों में केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर खर्च होता है। आठ पैसे रक्षा क्षेत्र पर खर्च किया जाता है। वित्त आयोग और अन्य अंतरण मदों में भी आठ पैसे ही खर्च किए जाते हैं। आर्थिक सहायता मद में सरकार 6 पैसे खर्च करती है।