आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में मछुआरे ने पकडी 1500 किलोग्राम की ‘बाहुबली’ मछली

मछलीपट्टनम।

आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में स्थानीय मछुआरे ने 1500 किलोग्राम की ‘बाहुबली’ मछली पकडी तो वह खुशी से झूम उठा। जैसे ही मछुआरे के जाल में यह विशालकाय मछली फंसी, वो दंग रह गया। जब उसे दिखा कि यह तो व्लेह शार्क है, वो खुशी से झूम उठा। इस विशालकाय मछली को फिर क्रेन की मदद से गिलकलाडिंडी बंदरगाह के किनारे पर लाया गया। यहां चेन्नई के व्यापारियों ने इसे तुरंत मोटी रकम देकर खरीद लिया।

व्हेल शार्क लगभग 40 फीट तक लंबी हो जाती है। इनका वजन 40 टन तक हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि व्हेल शार्क लगभग 60-100 साल तक जीवित रह सकती है। व्हेल शार्क मुख्यतः छोटे जीवों जैसे छोटी मछलियां, झींगे और स्क्विड खाती हैं।

व्हेल शार्क एक धीमी गति से चलने वाली फिल्टर-फीडिंग मछली की प्रजाति है। व्हेल शार्क महासागरों के खुले पानी में रहती हैं। गुजरात के समुद्री तट का तापमान उनके अनुकूल है, जिसकी वजह से व्हेल शार्क अंडे देने के लिए गुजरात के तट पर आती हैं। इसके कारण व्हेल शार्क गुजरात की बेटी भी कही जाती है।

मछुआरे ने बताया कि दवाएं बनाने में काम आने वाली इस व्हेल शार्क मछली को चेन्नई के व्यापारियों ने अच्छे खासे दाम में खरीदा है। इसली उल्टी भी करोड़ों की कीमत में बिकती है। व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल परफ्यूम्स बनाने के लिए भी किया जाता है।

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