जोधपुर के बालोतरा की अनीता मरने के बाद भी चार इंसानों को नया जीवन दे गई। इसे कहते हैं ” परोपकार, जीवन के साथ भी, जीवन के बाद भी”। मरकर भी अमर हो गई है अनीता। बालोतरा के सिणधरी की अनीता बीते दिनों सड़क हादसे में घायल हो गई थीं। उसके बाद वह ब्रेन डेड हो गई थी।
दुनिया में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति की मौत निश्चित है। मृत्यु दुनिया का अंतिम और अनिवार्य सत्य है। हर इंसान यह शरीर छोड़कर इस दुनिया से जाना ही है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी मौत को महोत्सव बना देते हैं। वे इस दुनिया को छोड़कर जाते-जाते भी कई घरों की उम्मीदों को पूरा कर जाते हैं। बालोतरा के सिणधरी इलाके की रहने वाली अनीता भी ऐसी ही शख्सित बन गई है। अनिता रविवार को दुनिया से विदा हो गई लेकिन जाने से पहले चार लोगों को जिंदगी दे गई।
अनीता का बीते दिनों एक्सीडेंट हो गया था। इस हादसे में अनीता की मासूम बच्ची और वह खुद गंभीर घायल हो गई थी। अनीता को प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर के एम्स में भर्ती करवाया गया था। वहां डॉक्टर्स ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। अनीता के स्वस्थ होनी की कोई उम्मीद नहीं बची थी। ऐसे में अनीता के पति ठाकराराम और उसके पिता ने यह निर्णय लिया कि अनीता की अंगों को दान करेंगे।
परिजनों की ओर से सहमति दिए जाने के बाद अनीता के शरीर से उसका हार्ट, दोनों किडनी और लिवर को निकाला गया। उसके बाद हार्ट और एक किडनी को जोधपुर से जयपुर भेजा गया। जबकि एक किडनी और लीवर का जोधपुर के एम्स में प्रत्यारोपण किसी जरुरतमंद को प्रत्यारोपित किया गया।