• राज्य के 13 जिलों में 10 अगस्त से शुरू हुआ अभियान
• भ्रांतियों पर ध्यान न देने की भी नसीहत
पटना-
राज्य के 13 जिलों में 10 अगस्त से शुरु हुए सर्वजन दवा सेवन अभियान में अब इमारत-ए-शरिया भी शामिल हो चुका है। इमारत-ए-शरिया के चिकित्सा अधीक्षक डॉ एस निसार अहमद ने पत्र जारी करते हुए एमडीए/आइडीए अभियान में शामिल जिलों में मस्जिद के इमाम और मदरसों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की है।
डॉ अहमद ने कहा कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। समान्य भाषा में इसे हाथीपांव भी कहते हैं। सर्वजन दवा सेवन अभियान को इंसानियत का हिमायती बताते हुए डॉ अहमद ने कहा कि मस्जिद में आने वाले नमाजियों, मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को, शुक्रवार को होने वाले नमाज में और माइकिंग के माध्यम से इस अभियान के बारे में बताएं और समाज में इस दवा को खाने की अपील करें। वहीं इस अभियान के दौरान दी जाने वाली दवाओं के बारे में उपजे वहम से दूर रहने रहने को कहा।
ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के सामने खानी होगी दवा
सर्वजन दवा अभियान में स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था पिरामल स्वास्थ्य के टीम लीड, एनटीडी, विकास सिन्हा ने बताया कि 10 अगस्त से राज्य के 13 जिलों में शुरु होने वाले अभियान में ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर आशा दीदी या अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर घर जाकर लोगों को अपने सामने दवा खिलाई जा रही है। लोगों को यह दवा उनके सामने ही खानी होती है।
बिहार के 13 जिले में 10 अगस्त से फाइलेरिया रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सर्वजन दवा सेवन अभियान चल रहा है। इनमें से 8 जिलों (भोजपुर, बक्सर, किशनगंज, मधेपुरा, मधुबनी, नालन्दा, नवादा और पटना ) में लाभार्थियों को 2 दवायें यानी अल्बेडाज़ोल और डी.ई.सी. खिलाई जाएगी। जबकि, शेष 5 जिलों (दरभंगा, लखीसराय, पूर्णिया, रोहतास और समस्तीपुर) में 3 दवायें अल्बेडाज़ोल, डी.ई.सी. और आईवरमेक्टिन खिलाई जायेगी।
2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार फाइलेरिया रोधी दवायें प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने खिलाई जायेंगी।
स्वस्थ व्यक्ति को भी खानी है दवा:
पीरामल स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, एनटीडी, बासब रूज ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित मच्छर से होने वाली बीमारी है। इसके लक्षण उभरने में सामान्य तौर पर 10 से 15 साल लग जाते हैं। बासब रूज ने बताया कि शुक्रवार को होने वाले नमाज में और माइकिंग के माध्यम से इस अभियान के बारे में बता कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसकी जानकारी आसानी से पहुचाई जा सकती है और अपने लोगों को इस खतनाक बीमारी से बचाया जा सकता है।