कांग्रेस संगठन में बदलाव के नाम पर खड़गे ने बनाई दागियों की टीम

सैक्स स्कैंडल, घोटालेबाज और बोगस नेताओं की एआईसीसी में पकड़ मजबूत
-रितेश सिन्हा
दो सालों की लंबी जांच-पड़ताल के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सचिव और संयुक्त सचिवों की नियुक्तियां कर संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत करने की एक कोशिश की है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की हस्ताक्षरों से सचिव और संयुक्त सचिवों की नियुक्ति की चिट्ठी आखिरकार जारी हो गई। 90 के दशक में कांग्रेस ने संयुक्त सचिवों की नियुक्तियों का सिलसिला बंद कर दिया था। उस दौरान महासचिव और सचिव ही संगठन में कार्य करते थे, लेकिन राजनीतिक रसूख के मद्देनजर एक बार फिर से संयुक्त सचिव का पद कांग्रेस में पुनर्जीवित हो गया। कांग्रेस में दागदार संदीप सिंह का दबदबा कम होने का नाम नहीं ले रहा। संदीप ने प्रियंका गांधी के नाम पर यूपी में संगठन को अपनी जेब में रख लिया है।

यूपी से प्रभार बदलने के बावजूद संदीप अपनी जेबी के वामपंथी सोच वाली पुरानी टीम को बचाए रखने में फिर से कामयाब हो गए। आपको बता दें कि इस टीम के धीरज गुर्जर, प्रदीप नरवाल, राजेश तिवारी और तौकीर आलम के अलावा सत्य नारायण पटेल और नीलांशु चतुर्वेदी को जोड़ा गया है। राजेश तिवारी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के ओएसडी के तौर पर इस टीम के लिए धन उपलब्ध कराने के नाम पर करीब हो गए थे। तौकीर पर बरेली की एक महिला ने आपत्तिजनक आरोप लगाए थे। वहीं संदीप और उनके साथियों पर मेरठ से प्रत्याशी रही, छोटे पर्दे की मशहूर नायिका व दलित अर्चना गौतम के साथ मारपीट और शारीरिक उत्पीड़न के गंभीर मामले दर्ज हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के साथ राहुल गांधी के सलाहकार के राजू, शक्तिशाली महासचिवों के सी वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक के होते हुए दलित महिला नेत्री की दिनदहाड़े पिटाई मामले को पूरी तरह से दबा दिया गया।

संदीप ने हिमाचल प्रदेश में भी अपनी टीम की तैनाती करवा दी है जिसका नाम विदित गुर्जर है। दिल्ली के पॉश कॉलोनी वसंत कुंज में रहने वाले विदित चौधरी अपनी बिरादरी के धीरज गुर्जर के माध्यम से संदीप की टीम में शामिल हुए। धमकाने और वसूली के मामले में बुलंदशहर के जिलाध्यक्ष ने इन पर गंभीर आरोप लगाए थे और कांग्रेस उम्मीदवार के पैसे हड़पने का मामला भी सामने आया था। इसमें प्रदीप नरवाल भी सहयोगी की भूमिका में थे। मिला-जुला कर एक कमजोर टीम यूपी ही नहीं, देश के अधिकांश राज्यों में नजर आ रही है। दानिश अबरार, दिव्या मणेरना, नीटा डिसूजा जैसे जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों को पद देकर शांत कर दिया गया। कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन पर नजर रखने के लिए भी राहुल की टीम के अलंकार ने नितिन कुंभलकर को नागपुर से लाकर बिठा दिया गया। नाम के लिए नीलेश पटेल भी सचिव बनाए गए हैं।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिन दो लोगों को कांग्रेस सचिव के तौर पर भर्ती करायी है, उनमें भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को राष्ट्रीय सचिव व बिहार कांग्रेस का प्रभारी सचिव नियुक्त किया गया है। देवेंद्र यादव 10 जून 2024 को बलौदाबाजार में हुई आगजनी केस में जेल की सलाखों के पीछे हैं। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहे देवेंद्र यादव ने बघेल पर लगने वाले सभी आरोप अपने ऊपर ले लिए।
यही वजह है कि बघेल ने उनको सचिव बनवाकर कांग्रेस मुख्यालय में फरारी काटने का इंतजाम करवा दिया। उन पर कोयला लेवी घोटाले के भी आरोप है। इस मामले को लेकर ईडी उनसे कई बार पूछताछ भी कर चुकी है। इसी प्रकरण में मार्च 2024 महीने में उनकी जमानत की दायर याचिकाएं भी खारिज हो चुकी हैं। इतने ही मामला नहीं टिका। विधानसभा चुनाव 2023 की वोटिंग से पहले नवंबर 2023 में भिलाई विधायक देवेंद्र यादव का नाम एक कथित सेक्स एमएमएस कांड से जुड़ा था, लेकिन भूपेश बघेल ने अपनी रसूख भिड़ाते हुए उनको टिकट दिलावाया। फिर मुख्यमंत्री के जलवे की वजह से विधायक भी बन गए।
छत्तीसगढ़ के प्रभारी पी एल पुनिया के साथ बिहारी सचिव रहे चंदन यादव उनका अच्छा-खासा दोहन के साथ टीम राहुल के नाम पर प्रताड़ित करते रहे। लेकिन चंदन को छत्तीसगढ़ से हटाकर ही बघेल ने दम लिया। चंदन यादव फिलहाल मध्यप्रदेश के सचिव हो गए हैं, जहां उनके ऊपर दिवंगत अहमद पटेल के ’हाथी’ को साथ लगा दिया गया है। बिहार में लालू और तेजस्वी के सामने खुद कांग्रेस अध्यक्ष भी दूरी बनाकर रखते हैं, ऐसे में भिलाई के विधायक यादव क्या करेंगे, इसकी जानकारी तो खड़गे के पास ही होगी। यादव के नाम पर बिहार में पप्पू यादव का बोलबाला है। सांसद पप्पू यादव की विवादास्पद छवि और उनकी पत्नी राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन के दबदबे को कम किया गया है। वहीं लालू के इशारे पर पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी यादव को सचिव बनाकर निर्विवाद चेहरा देने की कोशिश की गई है।

बहुचर्चित व राहुल की हनक दिखाने वाले वीरेंद्र सिंह राठौड़ संगठन से लापता हो गए हैं। एक दौर में जहां कहीं भी चुनाव होता, राठौड़ वहीं फिट हो जाते थे। इनका खेल वहां बिगड़ गया जब ये जबरन राहुल गांधी को एक अदालती पेशी मामले में बिहार ले गए थे, जिस पर पीठासीन अधिकारी जज ने सलाह दी थी कि ऐसे मामले में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को आने की जरूरत नहीं है। वहीं से इनको साइडलाइन कर दिया गया। सही मायनों में मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके सिपाहसलारों ने एक कमजोर और नन-परफॉर्मर टीम बनाकर संगठन को कमजोर रखने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है। कांग्रेस में इन नियुक्तियों को लेकर खासा असंतोष का माहौल है। दो साल तक सोने वाले कांग्रेस अध्यक्ष ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों की आड़ में कमजोर और नाकाबिल लोगों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी कर ली है जिसमें दागदार, भ्रष्टाचारी और संगठन को कमजोर करने वालों नासमझ लोगों की भीड़ है। इससे संगठन का भले ही भला न हो, कुछ लोगों का भला जरूर हो जाएगा। देखना है कि ये टीम कितनी प्रभावी साबित होगी।

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