मुस्लिमों के एक वर्ग में प्रचलित तीन तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में लाने वाला ‘तीन तलाक विधेयक’ सोमवार को भी राज्यसभा में पेश नहीं हो सका। विपक्ष के हंगामे के चलते राज्यसभा को 2 जनवरी तक स्थगित कर दिया गया।
बता दें कि कांग्रेस इस बिल को सिलेक्ट कमिटी में भेजने की मांग पर अड़ी हुई है। भाजपा और कांग्रेस ने इस बिल के मद्देनजर अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सोमवार को सदन में मौजूद रहने का आदेश दिया था। इसके अलावा अन्य दलों ने भी इस महत्वपूर्ण बिल को पेश किए जाने के मौके पर अपने सांसदों से सदन में मौजूद रहने को कहा था। ऐसे में तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी दल बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग पर अड़े रहे जबकि सरकार का कहना था कि विपक्षी दल महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ हैं। लगातार हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही 2 जनवरी, 2019 तक के लिए स्थगित कर दी गई है, जिसके कारण मोदी सरकार को एक बार फिर झटका लगा है।
इसके पहले, लोकसभा में इस बिल को 245 सांसदों ने समर्थन दिया था और इसके विरोध में 11 सदस्यों ने वोट दिया था। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने राज्यसभा में अपने सदस्यों को उपस्थित रहने को कहा है, ताकि इस बिल पर सदन में चर्चा हो सके। विपक्ष इस बिल के तहत तीन साल की सजा के प्रावधान का विरोध कर रहा है और इसे ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग कर रहा है ताकि इस बिल की समीक्षा की जा सके। इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक बोलने वाले शख्स को तीन साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।