नई दिल्ली।
भारत के गुरुओं को सरकारी अधिकारी से अधिक वेतन देकर सम्मान दिया जाए। दुनिया के अनेक देशों में शिक्षकों का वेतन अन्य सरकारी अधिकारियों से अधिक है। जर्मनी में जहां औसतन शिक्षकों का सालाना वेतन 72 लाख है जबकि वहां के अधिकारियों की औसतन सैलरी 71 लाख रुपये है।
AAP नेता और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश में शिक्षकों का वेतन किसी भी सरकारी कर्मचारी से अधिक मिलना चाहिए। यहां तक कि 30-35 साल के अनुभवी अध्यापक की सैलरी कैबिनेट सेक्रेटरी से अधिक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को सम्मानित करना बड़ा गौरव का काम होता है।
सिसोदिया ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां हम हजारों-हजार साल से गुरु को भगवान का दर्जा देते आये हैं, वहां एक शिक्षक की सैलरी किसी भी सरकारी अधिकारी से तो अधिक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली के बच्चे भारत में सबसे बेहतरीन शिक्षा पा रहे हैं उसका श्रेय यहां के शानदार शिक्षकों को ही जाता है।
सिसोदिया ने आगे कहा कि इसी तरह कई अन्य देश जैसे बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, जापान समेत बहुत से देशों में वहां के टीचर्स की आय काफी अधिक है। इसलिए अब वक्त आ गया है कि भारत के गुरुओं को सरकारी अधिकारी से अधिक वेतन देकर सम्मान दिया जाए। क्योंकि आज के स्कूलों में इन शिक्षकों के हाथों ही तो 2047 का युवा भारत तैयार हो रहा हैं।