रितेश सिन्हा।
हरियाणा में कांग्रेस की हवा बनी हुई है। भाजपा अपने एक दशक के शासन से उत्पन्न जनता में रोष के साथ, हरियाणा के पहलवान खिलाड़ियों और किसानों के साथ अत्याचार और कई स्थानीय मुद्दों से जूझ रही है। मगर भाजपा के रणनीतिकार कांग्रेस में हो रही गुटबाजी से फायदा उठाते हुए तीसरी बार नॉन-जाट की राजनीति को पिछड़ों से जोड़ते हुए नायाब सिंह सैनी की अगुवाई में एक बार फिर से सरकार बनाने को बेताब है। भाजपा ने चुनाव से पूर्व ही जेजेपी और कांग्रेस में अच्छी-खासी सेंधमारी कर दी है। भाजपा के लिए ये चुनाव आसान नहीं है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में गुटबाजी हावी होती नजर आ रही है। 3 गुटों में बंटी हरियाणा कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई भाजपा की राह को सत्ता में पहुंचने के लिए एक बार आसान कर सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूरे दमखम के साथ मैदान डटे हैं। सांसद कुमारी शैलजा और पार्टी के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला भी दिल्ली में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। माकन इन तीनों को लडव़ाते हुए आप की हिस्सेदारी के साथ किसी और की ताजपोशी चाहते हैं।
हरियाणा में कांग्रेस की बढ़त को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव के बाद सीएम पद से बाहर रखने का खेल अजय माकन के नेतृत्व में शुरू हो चुका है। कांग्रेस में अजय माकन किसी की मदद करने की बजाए काटने के माहिर हैं। पवन बंसल की कुर्सी पर उनकी नजर एक लंबे अरसे से थी जिसे उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के बूते खींचते हुए बंसल को निगल लिया। एक समय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत के बाद 10 जनपथ की पहली पसंद पवन कुमार बंसल का अब अता-पता भी नहीं है। एक जमाने में एआईसीसी और 10 जनपथ में जनार्दन द्विवेदी की तूती बोल रही थी। जनार्दन को एआईसीसी से दर-बदर करने में भी माकन ने बड़ी भूमिका निभाई।
दिल्ली सरकार में शीला दीक्षित मंत्रीमंडल में रहते हुए उन्होंने पूरी दिल्ली से ही प्रदेश बड़े नेताओं को ठिकाने लगाने की कोशिशों में पूरी कांग्रेस को ही ठिकाने लगा दिया। इसका नतीजा है कि दिल्ली में अब राउज एवेन्यू के आफिस तक प्रदेश कांग्रेस सिमट कर रह गई है। माकन राज्यसभा में अपने साथ हुए धोखे को अब तक नहीं भूले हैं। स्क्रीनिंग कमिटी के चेयरमैन होने के नाते वे हुड्डा को उनकी असली जगह पहुंचाने में जुटे हैं। आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस के समझौते का फार्मूला अजय माकन का ही बनाया हुआ है जिसे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम पर अमलीजामा पहनाने की कवायद तेज है। एआईसीसी में किसी से न मिलने वाले माकन अपने घर पर चुने-चुनाए लोगों से ही मिलते हैं। उनकी पूरी तैयारी इस बार हुड्डा और हरियाणा से कांग्रेस को साफ करने की तैयारी है। इसके लिए खास तौर से एआईसीसी में कुमारी शैलजा के खासमखास कर्मचारी आजकल हरियाणा मामलों में माकन के लिए विशेषज्ञ बने हुए हैं।
इंडी गठबंधन की दो पर्टियों आप और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर दिखावटी संघर्ष दिखाई दे रहा है। मामला अंदर ही अंदर तय है। 10 सीटें आप को देने के लिए माकन ने आप नेत और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा से हामी भरी हुई है। केसी वेणुगोपाल के साथ राघव चड्ढा की बातचीत बाकी कांग्रेसियों में भ्रम बनाए रखने के लिए काफी है। मजे की बात ये है कि हरियाणा के प्रभारी दीपक बावरिया को माकन, वेणुगोपाल और राघव चड्ढा की तिकड़ी ने प्रदेश का सूचना अधिकारी बनाकर छोड़ दिया है। कांग्रेस ने वर्तमान 28 में 27 विधायकों के नाम फाइनल करते हुए 66 सीटें क्लियर कर दी है, घोषणा बाकी है। बाकी 24 सीटों में आप, हुड्डा, शैलजा और रणदीप के नाम पर दो-दो, तीन-तीन नाम फाइनल कर अंतिम समय में घोषणा करेगी।
इन सभी सीटों पर बगावत होने के पूरे आसार दिख रहे हैं। अजय माकन, टी एस सिंह देव, मधुसूदन मिस्त्री, मणिकम टैगोर, जिग्नेश मेवानी और श्रीनिवास के बीच चर्चाओं का दौर जारी है। इसी बीच विनेश फोगाट और बजरंज पुनिया के प्रति प्रदेश में सहानुभूति और लोकप्रियता को कांग्रेस भुनाना चाहती है। माकन उनकी मुलाकात राहुल गांधी से करवाकर इसकी भूमिका बांध चुके हैं। कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा भूपेंद्र हुड्डा की चौधराहट को समेटने में जुटा है। हरियाणा के कुछ नेता जो दिल्ली में बड़ी हैसियत रखते हैं, प्रदेश में जाते ही उनका कद खुद-ब-खुद बौना हो जाता है। देखना है भूपेंद्र हुड्डा का दवाब आम आदमी पार्टी को कितनी सीटों पर रोकने में कामयाब होता है। उम्मीदवारों की घोषणा के साथ तस्वीर जल्द ही पूरी तरह साफ हो जाएगी।