ज्यादा वर्किंग आवर के मामले में भारत की कंडीशन कांगो और बांग्लादेश जैसे देशों से भी खराब है ।भारत के साप्ताहिक एवरेज वर्क आवर (170 देशों में 13वें नंबर पर हैं। भारत की उच्च दबाव वाला वर्किंग कल्चर चीन से भी खराब है। चीन में लोग औसतन 46 घंटे प्रति सप्ताह काम करते हैं।
भारत के इन्फॉर्मेशन और कम्युनिकेशन सेक्टर में ओवरवर्क का दबाव सबसे ज्यादा है। ILO के आंकड़ों से पता चलता है कि इस सेक्टर के कर्मचारी सप्ताह में 57.5 घंटे काम करते हैं, जो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड से लगभग 9 घंटे ज्यादा है। करीब 20 सेक्टर्स में से 16 क्षेत्रों में कर्मचारी सप्ताह में 50 घंटे या उससे ज़्यादा काम करते हैं। भारत में प्रोफेशनल्स, वैज्ञानिक और टेक्निकल सेक्टर में भी सप्ताह में 55 घंटे काम करने की मांग की जाती है। भारत में सप्ताह में सबसे कम 48 घंटे का काम एग्रीकल्चर और कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों में होता है।
आंकड़ों से पता चलता है कि यंग कर्मचारी अपने सीनियर की तुलना में ज्यादा घंटे काम करते हैं। 20 से 30 साल की उम्र तक भारतीय कर्मचारी सप्ताह में लगभग 58 घंटे काम करते हैं। 30 से 40 की उम्र तक वे लगभग 57 घंटे काम करते हैं। जब औसत कर्मचारी 50 के आसपास पहुंच जाते हैं, तब वे सप्ताह में 53 घंटे काम करते हैं। हालांकि यह भी इंटरनेशनल स्टैंडर्ड यानी 48 घंटे से काफी ज्यादा है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत में काम का एक घंटा जीडीपी में 8 डॉलर (करीब 650 रुपये) का योगदान होता है। ऐसे में लंबे समय तक काम करने से तभी पैसा कमाया जा सकता है जब लोग प्रोडक्टिव हों। जबकि लंबे समय तक काम करने से प्रोडक्टिविटी कम हो जाती है।