– सनातन को नष्ट करने की कोशिश, तिरुपति इसका उदाहरण: सतपाल
– अंतिम गांव और अंतिम व्यक्ति का विकास करना ही सोच थी दीनदयाल जी की
– पलायन रोकने, नष्ट हो चुके गांवों को फिर से बसाने का काम कर ही है सरकार
फरह, मथुरा ।
रविवार को उत्तराखंड के पर्यटन सांस्कृतिक मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि तिरुपति का प्रसाद सनातन को नष्ट करने की कोशिश है, लेकिन ऐसी कोशिश सफल नहीं होंगी। पं. दीनदयाल उपाध्याय के सपने को साकार करने के लिए अंतिम व्यक्ति-अंतिम गांव का विकास करना होगा। आध्यात्म की राह पर चलकर स्वयं के अंदर भगवान से जुड़ना होगा।
रविवार को पं.दीनदयाल उपाध्याय स्मृति महोत्सव मेला में आयोजित सद्भावना सम्मेलन में मौजूद हजाराें लाेगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा तिरुपति में जो हुआ, वह गलत है, लेकिन ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो सनातन धर्म को नष्ट कर सके। आज समाज में सद्भावना की सभी को आवश्यकता है। ऋषियों ने भी संसार के भले की साेची थी। वह अपने गांव और गोत्र के बारे में नहीं सोचते। वह तो संसार और प्राणियों का भला चाहते थे।
एकात्म दर्शन चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कहां कि दीनदयाल जी की सोच व्यापक थी। अंतिम व्यक्ति और अंतिम गांव का विकास उनके दर्शन में शामिल था। केंद्र और उत्तराखंड की सरकार दीनदयाल जी के दर्शन को साकार करने में जुटी है। गंगोत्री में उजड़ चुके अंतिम गांव को बसाकर पर्यटन के लिए तैयार किया जा रहा है। जब तक अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति का विकास नहीं होता है, तब तक देश और समाज का विकास नहीं होगा। आखिरी पायदान पर बैठे व्यक्ति का विकास होना चाहिए, इसलिए अंतिम गांव के विकास की सरकार योजना बना रही है। जो गांव खाली हुए हैं, उन्हें फिर विकसित कर बसाया जा रहा है, जिससे पर्यटक आ सके और आजीविका बढ़े।
ग्रामीणों का पलायन रोकने को मोटे अनाज को आधार बनाते हुए सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में रागी, कोदो और सांबा जैसे अनाज फिर से पैदा होने लगे हैं। केंद्र सरकार के प्रयास से मोटे अनाज की खेती को अब अन्य प्रदेशों में भी बढ़ावा मिल रहा है, इससे पर्यावरण और सेहत को भी फायदा होगा। ग्रामीणों का गांव से होने वाला पलायन भी रुकेगा। सद्भावना को धर्म से जोड़ते हुए पर्यटन मंत्री ने कहा कि सद्भावना बढ़ाने के लिए लगन जरूरी है, इसलिए सद्भावना में आध्यात्मिक आवश्यक है। इसके लिए उन्होंने कृष्ण अर्जुन संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि ज्ञान हमेशा सद्गुरु से प्राप्त होता है, आध्यात्मिक को जानने के लिए आध्यात्मिक शिक्षक के पास जाना पड़ता है, प्रभु से मिलने के लिए धर्मगुरु के पास आना पड़ता है। गो सेवा और गंगा की चर्चा करते हुए सतपाल महाराज ने भक्तों का मार्गदर्शन किया। कहा कि महापुरुषों के सानिध्य से आध्यात्म और ज्ञान बढ़ता है्। आज सद्भावना को बढ़ाना है, गंगा का उद्धार करना है, गो माता का भी उद्धार करना है तो संतों का सहारा लें। मंच पर उनके साथ विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य दिनेश जी मौजूद रहे।
इससे पूर्व सदभावना सम्मेलन का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा पंडित दीनदयाल जी के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मुख्य वक्ता सतपाल महाराज और विहिप केंद्रीय मार्गदर्शक दिनेश जी का महोत्सव समिति की ओर से अध्यक्ष सोहन लाल, मंत्री मनीष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष नरेंद्र पाठक, सर्व व्यवस्था प्रमुख नीरज गर्ग, स्मारक समिति अध्यक्ष मधुसूदन दादू ने अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया।
इस अवसर पर अजीत महापात्र अखिल भारतीय गौ सेवा अद्धैत चरण दत्त अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, क्षेत्र प्रचारक महेंद्र शर्मा, आयरेंद्र ग्राम्य विकास प्रमुख बृज प्रांत, निदेशक सोनपाल, हरि संतोषानंद बलिराम दास, हरिशंकर शर्मा, योगेश आवा, आचार्य ब्रजेंद्र नागर, पूर्व विधायक कारिंदा सिंह, श्रवण शर्मा, मुकेश शर्मा आदि सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
संचालन महात्मा सत्य बौधानंद राष्ट्रीय संगठन सचिव मानव उत्थान सेवा समिति ने किया।
– भजनों की बही सरिता:
सद्भावना सम्मेलन में सतपाल महाराज से पहले भजन मंडली में शामिल कलाकारों ने भजन सुनाए, जिससे श्रोता नाचते रहे। श्रद्धालुओं को संभालने का दायित्व भी मानव सेवा संस्थान के कैडर कार्यकर्ता संभालत रहेे।
झलकियां
– जैसी ही राष्ट्र संत सतपाल महाराज मंच पर आए शंख नाद और ढोल नगाड़ों से स्वागत किया गया। पंडाल में उपस्थित दस हजार की संख्या में उपस्थित भक्तों ने खड़े होकर तालियों और गगनभेदी जयकारों से स्वागत किया।
– सतपाल महाराज को सुनने के लिए जनता पड़ाल के बाहर खड़े होकर सुनती रही।
– भजन मंडली के भजनों पर पंडाल में उपस्थित महिला पुरुष सुधबुध खोकर नाचते रहे।
– दिनेश जी मार्गदर्शक मंडल विहिप ने सतपाल महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया।
– कार्यक्रम में महराज को सुनने विदेश भक्त भी भारी संख्या में रहे।
– मानव उत्थान सेवा दल के स्वयं सेवक ड्रेस में व्यवस्था संभाल रहे थे।
– कार्यक्रम के दौरान भजनों पर श्रोता नाचते रहे तो करतल ध्वनि भी होती रही।