प्रोफ़ेसर गजेंद्र विक्रम सिंह को टीबी मरीजों पर शोध के लिए मिला प्रतिष्ठित डॉ. ओए शर्मा ओरेशन अवॉर्ड

– प्रोफ़ेसर गजेंद्र विक्रम सिंह को टीबी मरीजों पर शोध के लिए प्रतिष्ठित डॉ. ओए शर्मा ओरेशन अवॉर्ड दिया गया
– पोस्ट टीबी लंग डिसीज़ के मरीजों को होने वाली परेशानियों एवं उपचार पर किया शोध
– टीबी से बचाव ही सर्वोत्तम उपाय- डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह
आगरा,
सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज, आगरा के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश क्षय रोग उन्मूलन स्टेट टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह को क्षय रोगियों के चिकित्सा में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण के लिए ट्यूबरकुलोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएआई) द्वारा वर्ष 2024 का चिकित्सा के क्षेत्र में मिलने वाला अति प्रातिष्ठित डा. ओए शर्मा ओरेशन अवॉर्ड प्रदान किया गया है।

डॉ. सिंह को यह सम्मान उन्हें जयपुर में क्षय और वक्ष रोगों पर 79 वें राष्ट्रीय सम्मेलन, “नैटकॉन 2024” के दौरान दिया गया। आगरा तथा एसएन मेडिकल कॉलेज को गौरवान्वित करते हुए डॉ. सिंह ने टीबी की बीमारी ठीक होने के बाद भी मरीज़ों के जीवन में होने वाले दुष्प्रभावों पर किए गए अनुसंधानों को अपने व्याख्यान के शीर्षक “पोस्ट-ट्यूबरकुलोसिस लंग डिजीज: द अनफिनिश्ड बैटल अगेंस्ट टीबी” द्वारा देश के विभिन्न राज्यो से आये वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों के सामने प्रस्तुत किया।

उन्होंने प्रमाणों के साथ बताया कि इलाज के पूर्ण होने के बाद भी लगभग 50 प्रतिशत क्षय रोगी जीवनपर्यंत रोग के कारण अंगों में होने वाली विकृतियों से पीड़ित रहते हैं। विश्व भर में इस समय लगभग 15 करोड़ लोग टीबी सर्वाइवर है। अर्थात् क्षय रोग सही होने के बाद भी जीवित है। जिनमें से आधे से अधिक टीबी उपरांत होने वाली बीमारियों से जूझ रहे है।

देश तथा विदेशों के क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रमों में केवल क्षय रोगियों के कीटाणु मुक्त होने पर ही उपचार केंद्रित रहता है, लेकिन पोस्ट टीबी रोगों पर कोई ठोस दिशा निर्देश नहीं हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि इन रोगियों में मृत्यु होने की संभावना भी सामान्य लोगो की अपेक्षा तीन गुना अधिक होती है। अभी तक ऐसी कोई औषधि या तकनीक ज्ञात नहीं है जो क्षय रोग के बाद होने वाले दुष्प्रभावों को रोक सके।

ऐसे में टीबी संक्रमण और रोग से बचाव ही सर्वोत्तम बचाव उपलब्ध है। डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि पल्मोनरी रिहेबिलिटेशन कार्यक्रम ऐसे रोगियों के उपचार का विश्वसनीय उपाय है जिसे एसएन के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में ऐसे रोगियों पर विभाग में किए कि शोध द्वारा भी देखा गया है।

प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज, आगरा अपने गौरवशाली इतिहास के पथ पर अग्रसरित होते हुए देश एवम् विदेश में चिकित्सा के क्षेत्र में निरंतर योगदान दे रहा है।

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