तीन राज्यों के प्रगतिशील किसान खेती सीखने पहुंचे बस्तर, मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म

*देश का पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित जैविक हर्बल फार्म  है, छत्तीसगढ़ में कोंडागांव में, 20 साल पहले विशेष दर्जा मिला था देश के सर्वश्रेष्ठ्ठ जैविक हर्बल फार्म का ,*
*किसानों का मक्का मदीना बना कोंडागांव का मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर,*
*महामहिम राष्ट्रपति श्री एपीजे अब्दुल कलाम छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी , माननीय गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार सहित देश विदेश के हजारों कृषि विशेषज्ञ तथा गणमान्य हस्तियां आ चुकी हैं इस फार्म पर*
*महाराष्ट्र , पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश के सत्तर प्रगतिशील किसान एक साथ पहुंचे उच्च लाभदायक खेती के तरीके सीखने*
*काली मिर्च से लदे हुए आस्ट्रेलियन टीक तथा पेड़ों के नीचे हल्दी सफेद मुसली एवं स्टीविया की खड़ी फसल देखकर हुए बेहद उत्साहित,*
*यह सारे किसान अपने स्वयं के व्यय पर अपने साधनों से उच्च लाभदायक खेती सीखने के लिए स्वप्रेरित  होकर मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म कोडागांव आए थे।*
*अखिल भारतीय किसान महासंघ (आइफा) तथा संपदा समाज सेवी संस्थान के  संयुक्त तत्वावधान में तीन राज्यों के प्रगतिशील किसानों की चौपाल आयोजित की गई*
कोंडागांव का मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म यू तो किसी पहचान का मोहताज नहीं है ,लेकिन साल 2018  का अंतिम दिवस कई मायनों में कोंडागांव के लिए महत्वपूर्ण रहा । आज के दिन भारत के 3 राज्यों के लगभग 70 सत्तर प्रगतिशील किसान जैविक खेती तथा उच्च लाभदायक हर्बल की खेती एवं विभिन्न प्रकार के वृक्षारोपण देखने व समझने   के लिए मां दंतेश्वरी हर्बल एवं रिसर्च सेंटर पहुंचे। किसानों में महाराष्ट्र कि कई फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के प्रगतिशील किसान थे तथा मध्य प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल के किसान भी पहुंचे। उल्लेखनीय है कि यह तीनों दल अलग-अलग आए थे, लेकिन फार्म का भ्रमण इन्होंने एक साथ किया। इन्हें उन्नत तरीके से हर्बल की खेती करने की विधि की जानकारी  उत्पादन निदेशक अनुराग त्रिपाठी, जसमती नेताम तथा अपूर्वा त्रिपाठी के द्वारा दी गई। किसानों ने बस्तर में ऑस्ट्रेलियन टीक के  एक पेड़ पर लगभग 16 किलो काली मिर्च फली हुई देख कर आश्चर्य से दांतो तले उंगली दबा ली। महाराष्ट्र के किसानों ने ऑस्ट्रेलियन टीक के वृक्षारोपण की नाप-जोख करके एक एकड़ पर लकड़ी की खड़ी फसल का मूल्यांकन लगभग ₹ पांच करोड़ बीस लाख का किया गया, पेड़ों पर लगी हुई कालीमिर्च ठीक खड़ी फसल का मूल्यांकन लगभग ₹ बीस लाख, प्रति एकड़ का किया। मध्य प्रदेश के किसानों ने स्टीविया अर्थात मीठी तुलसी की लगी हुई फसल तथा इसको लगाने की विधि भी देखी और समझी। भारत के शीर्ष शोध संस्थान सीएसआइआर -आईएचबीटी  के द्वारा विकसित की गई कड़वाहट रहित प्रजाति की स्टीविया की शक्कर से 30 गुना अधिक मीठी पत्तियों को सभी किसानों ने चख कर देखा और बेहद सराहना की। पहली बार किसानों के द्वारा खेतों पर लगी फसलों का मौके पर जाकर मूल्यांकन करके प्रति एकड़ लागत तथा आमदनी का आकलन किया गया, जिससे की प्रति एकड़ व्यावहारिक आय का सही सही अनुमान लगाया जा सके।
  उल्लेखनीय है कि मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म पर विगत 20 वर्षों में लाखों किसान जैविक पद्धति की खेती-बाड़ी तथा ज्यादा लाभ देने वाली विभिन्न फसलों की खेती को को देखने समझने आ चुके हैं। इनकी वेबसाइट पर अब तक लगभग 16 लाख लोगों ने उनसे इस खेती की जानकारी ली है।
मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर के भ्रमण के उपरांत अखिल भारतीय किसान महासंघ आईफा तथा संपदा के संयुक्त तत्वावधान में मां दंतेश्वरी हर्बल स्टेट  में सभी अतिथि एवं प्रगतिशील किसानों की समन्वित कृषि  कार्यशाला *”चौपाल”* आयोजित की गई जिसमें किसानों की खेती किसानी एवं विपणन से संबंधित समस्याओं तथा उनके निराकरण पर विचारमंथन किया गया ।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराष्ट्र से आए फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के अध्यक्ष श्री कदम थे , कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय समन्वयक तथा मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के संस्थापक तथा  वनऔषधि खेती तथा जैविक खेती के जाने माने अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ डॉ राजाराम त्रिपाठी ने की, पत्रकार संघ के अध्यक्ष जमील खान, नीलेश कुमार, जसमती नेताम संपदा संस्थान तथा अनुराग त्रिपाठी  विशिष्ट आमंत्रित अतिथि के रुप में सम्मिलित हुए तथा कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में संपदा समाज सेवी संस्थान की प्रमुख शिप्रा त्रिपाठी के द्वारा आभार व्यक्त किया गया।
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