लोक संगीत को नई दिशा देने वाली शख्सियत थीं शारदा सिन्हा, ‘स्वर कोकिला’, पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, अहिल्या देवी अवार्ड, पद्मभूषण से सम्मानित 

पटना।

‘स्वर कोकिला’, पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, अहिल्या देवी अवार्ड, पद्मभूषण से सम्मानित

लोक संगीत को नई दिशा देने वाली शख्सियत थीं शारदा सिन्हा। शारदा सिन्हा का निधन मंगलवार रात को हो गया। उन्हें ‘स्वर कोकिला’ के नाम से सम्मानित किया गया था। एक समय था जब उनकी धुन समस्तीपुर के महिला महाविद्यालय में गूंजती रहती थी। वह यहां संगीत विभाग की प्रोफेसर थीं। इसके बाद संगीत विभाग की हैड भी बनीं।

शारदा सिन्हा 72 वर्ष की थी और बीते 11 दिन से उनकी तबीयत खराब थी। सोमवार को उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था उसके बाद मंगलवार की रात छठ पर्व के नहाय खाय के दिन उनका देहावसान हो गया। शारदा सिन्हा ने मैथिली भोजपुरी भाषाओं में कई गीत गाए और लोकप्रियता के ऊंचे शिखर को छू लिया।

शारदा सिन्हा को उनके संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें 1991 में पद्मश्री, 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2006 में राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवार्ड, 2015 में बिहार सरकार पुरस्कार, और 2018 में पद्मभूषण शामिल हैं।

1990 में शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में ‘कहे तोसे सजना’ गीत गाया, जो जबरदस्त हिट हुआ। इस गीत ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक नया मुकाम दिलाया और तब से उनकी पहचान केवल लोक संगीत के गायन तक सीमित नहीं रही, बल्कि वे बॉलीवुड में भी एक प्रमुख गायिका बन गईं। इस फिल्म में सलमान खान के साथ इस गीत ने दर्शकों के बीच अपार लोकप्रियता हासिल की थी।

उन्होंने भारतीय लोक संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनका निधन समस्तीपुर जिला वासियों के लिए अपूर्णीय क्षति है, क्योंकि उनकी शिक्षा, संगीत और व्यक्तित्व ने क्षेत्र को गौरवान्वित किया था। उनकी यादें और योगदान हमेशा समस्तीपुर जिला वासियों के दिलों में जीवित रहेंगे।

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