भारत में 2025 में कई महत्वपूर्ण फैसले होगें। इनमें जनगणना, परिसीमन, ‘एक देश, एक चुनाव’, वक्फ बोर्ड कानून और कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार शामिल हैं। ये सभी फैसले देश की प्रगति के लिए बहुत ही अहम होगें और इनका दूरगामी प्रभाव होगा।
साल 2025 का आगाज एक बहुप्रतीक्षित फैसले से हो सकता है और वह है देश में जनगणना। जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड और अन्य कारणों से इसे टलना पड़ा। देश में नई आर्थिक और सामाजिक नीतियों का निर्धारण करने के लिए जनगणना बेहद अहम है।
नए साल में लोकसभा के लिए नए सिरे से परिसीमन प्रक्रिया शुरू होनी है। परिसीमन के बाद लोकसभा में चुने जाने वाले सांसदों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं। लेकिन, इसका दूसरा पहलू भी है। इससे बड़ा विवाद भी पैदा हो सकता है। परिसीमन से पहले ही उत्तर बनाम दक्षिण भारत का विवाद शुरू हो चुका है। दक्षिण भारतीय राज्यों को परिसीमन में नुकसान होने की आशंका है और वे इसके लिए कानूनी और सियासी आंदोलन की रूपरेखा अभी से बनाने लगे हैं।
नव वर्ष में ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर भी बड़ा फैसला हो सकता है। इसी साल के अंत में केंद्र सरकार ने इससे जुड़े बिल का ड्राफ्ट तैयार कर उसे संसद के सामने पेश किया। अब अगले साल इसपर देशव्यापी मंथन के बाद इसे कानूनी रूप दिया जा सकता है। अगर ‘एक देश, एक चुनाव’ कानून के रूप में लागू हो गया, तो इसका बड़ा असर आने वाले सालों में देखा जा सकता है।
वक्फ बोर्ड को लेकर संसद में नया कानून पास हो सकता है। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस साल इससे जुड़े बिल को पास कराने की कोशिश की थी, लेकिन विपक्ष और सहयोगी दलों के दबाव के बाद इसे जेपीसी के पास भेज दिया गया। अब एनडीए सरकार किसी भी सूरत में साल की शुरुआत में कानून में बदलाव को मंजूरी देना चाहती है। अगर यह कानून पास हुआ, तो इसके व्यापक प्रभाव होंगे।
पिछले दो-तीन सालों में देश में मुफ्त की कल्याणकारी योजनाओं का प्रचलन बढ़ गया है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में चुनावी लाभ मिलने के बाद अब 2025 को इन योजनाओं पर भी कोई फैसला लिया जा सकता है।