• एनीमिया पर लगाम लगाने के लिए लड़के-लड़कियों में भेदभाव समाप्त करना आवश्यक- डॉ. अमिता सिन्हा
• पोग्स, फोगसी, आईसोपार्ब एवं सिफार के तत्वावधान में किशोर स्वास्थ्य पर बैठक आयोजित
पटना।
किशोर स्वास्थ्य पर जनमानस में जागरूकता का प्रचार-प्रसार फैलाने के उद्देश्य से पोग्स, फोगसी, आईसोपार्ब एवं सिफार के तत्वावधान में किशोर स्वास्थ्य पर बैठक का आयोजन शनिवार को आईएमए हॉल में किया गया। बैठक में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत किशोर किशोरी स्वास्थ्य, माहवारी स्वच्छता, किशोरियों में गर्भधारण एवं पोग्स, फोगसी एवं आईसोपार्ब द्वारा किशोर-किशोरी स्वास्थ्य में सहभागिता पर चर्चा की गयी।
बैठक में वक्ताओं द्वारा बताया गया कि बिहार एक युवा राज्य है जहाँ करीब 22 प्रतिशत आबादी किशोरों की है। इस समूह में स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से राज्य के 21 जिलों में 208 युवा क्लिनिक संचालित संचालित किये जा रहे हैं जिनके माध्यम से किशोरों के बीच स्वास्थ्य संबंधी सभी पहलुओं की जानकारी दी जा रही है।
पियर एजुकेशन के माध्यम से राज्य के 5 जिलों गया, जमुई, सीतामढ़ी, कटिहार एवं पुर्णिया में जागरूकता फैलाने के प्रयास किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 6 दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है और फिर यह ग्रुप किशोर स्वास्थ्य पर जागरूकता एवं शिक्षा फैलाने के प्रयास करता है। बैठक में बताया गया कि स्कूल हेल्थ एंड वेलनेस प्रोग्राम राज्य के 22 जिलों में संचालित किया जा रहा है।
बैठक को संबोधित करते हुए पोग्स की सचिव डॉ. अमिता सिन्हा ने कहा कि लोगों के व्यव्हार में परिवर्तन लाना आवश्यक है क्यूंकि तब ही किशोरियों में एनीमिया की समस्या से निजत पाया जा सकता है। समुदाय में लड़के-लड़कियों में भेदभाव समाप्त करना जरुरी है ताकि बालिकाओं एवं किशोरियों के स्वास्थ्य एवं उनके पोषण की आपूर्ति हो सके।
फोगसी में किशोर स्वास्थ्य की चेयरपर्सन डॉ. सुप्रिया जयसवाल ने कहा कि 78 फीसदी किशोरियां सेनेटरी पैड के बारे में जानती हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 2011 में माहवारी स्वच्छता कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। इसके लिए जागरूकता की अहम् भूमिका है और इस विषय के बारे में खुलकर बिना संकोच के बातचीत करने की जरुरत है।
बैठक को संबोधित करते हुए आईसोपार्ब की अध्यक्ष एवं एम्स पटना में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. हिमाली सिन्हा ने कहा कि किशोरावस्था में गर्भधारण माँ एवं उसके बच्चे दोनों में एनीमिया का खतरा उत्पन्न करता है।
उन्होंने कहा कि किशोरियों का संवेदीकरण जरुरी है ताकि वह कम उम्र में गर्भधारण के खतरे की समझ सकें और जागरूक हों। उन्होंने कहा कि स्कूलों में गर्भ निरोधकों के बारे में जानकारी देना एवं जागरूकता फैलाना जरुरी है। बैठक में डॉ. मीना सामंत, पोग्स की अध्यक्ष ने बताया कि संस्था द्वारा इससे संबंधित चिकित्सकों को हर महीने प्रजनन एवं मातृ स्वास्थ्य पर जागरूक किया जाता है।
बैठक में राज्य स्वास्थ्य समिति से राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़ी मिनी, सिफार की टीम के साथ पिरामल स्वास्थ्य के मुकेश, सी 3 के प्रतिनिधि एवं मीडिया के प्रतिनिधि शामिल रहे।