– टीबी के प्रति जागरूकता और भ्रांतियों को दूर करने का करें प्रयास
– पोषण और जीवनशैली कारकों पर रखें ध्यान
पटना:
बिहार स्वास्थ्य विभाग ने टीबी उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के साथ साझेदारी की है। शनिवार को राज्य टीबी कार्यक्रम पदाधिकारी , डॉ. बी.के. मिश्रा ने सात जिलों के नौ सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रतिनिधियों के साथ संवाद किया और टीबी जागरूकता को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि टीबी उपचार और रोकथाम योग्य है और इसके लिए जल्दी पहचान और समय पर उपचार आवश्यक है।
टीबी के प्रति जागरूकता और भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास :
डॉ. मिश्रा ने टीबी से संबंधित गलत धारणाओं को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कई लोग जानते हैं कि टीबी हवा और ड्रॉपलेट्स से फैलता है, लेकिन यह समझने में असफल रहते हैं कि यह पूरी तरह से इलाज योग्य है। उन्होंने कहा कि लोगों को यह विश्वास दिलाना जरूरी है कि टीबी से पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है। जल्दी परीक्षण और इलाज के माध्यम से इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है।
उन्होंने सामुदायिक रेडियो से अपील की कि वे टीबी के उपचार और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने बताया कि टीबी की हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) में नि:शुल्क परीक्षण और उपचार उपलब्ध है। इसके अलावा, उन्नत डायग्नोस्टिक उपकरण जैसे सीबी-नैट और ट्रूनैट मशीनों को ब्लॉक स्तर पर उपलब्ध कराया गया है ताकि रोगियों को समय पर और सटीक निदान मिल सके।
पोषण और जीवनशैली कारकों पर रखें ध्यान :
डॉ. मिश्रा ने कहा कि धूम्रपान, तंबाकू और कुपोषण जैसे कारक टीबी के खतरे को बढ़ाते हैं। उन्होंने बच्चों के पोषण में सुधार करने और कुपोषण को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। पोषण का सही स्तर सुनिश्चित करना टीबी को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने रेडियो स्टेशनों से आग्रह किया कि वे स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने और सही खानपान के प्रति लोगों को जागरूक करें।
निक्षय पोर्टल से टीबी मरीजों को मिल रही पोषण सहायता राशि:
डॉ. मिश्रा ने निक्षय पोर्टल और टीबी आरोग्य साथी ऐप का उपयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि टीबी आरोग्य साथी ऐप टीबी उपचार की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि निक्षय पोर्टल के माध्यम से टीबी रोगियों को हर महीने 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है, जिससे उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताएं पूरी हो सकें। उन्होंने रेडियो स्टेशनों से अपील की कि वे इन डिजिटल साधनों का प्रचार करें और टीबी से संबंधित सामाजिक अंधविश्वास को खत्म करने के लिए सकारात्मक कहानियों को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि कहानियां समाज में सकारात्मक संदेश फैलाने में मददगार होंगी।
सामुदायिक रेडियो के साथ मिलकर काम करने की जरूरत:
डॉ. मिश्रा ने जिला स्तर के अधिकारियों से सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के साथ मिलकर काम करने और उन्हें समुदाय में जागरूकता फैलाने की गतिविधियों में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन रेडियो स्टेशनों को टीबी से संबंधित महत्वपूर्ण संदेशों को संबंधित समुदायों तक निरंतर पहुंचाने के लिए एक प्रभावी मंच के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि टीबी उन्मूलन की दिशा में जागरूकता और प्रयास जनता के बीच प्राथमिकता में बने रहें।
सामुदायिक रेडियो निभा रहा भूमिका :
सामुदायिक रेडियो ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जानकारी पहुंचाने का एक प्रभावी माध्यम बन गया है। 100-दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान के तहत, सामुदायिक रेडियो स्टेशन टीबी की रोकथाम, उपचार और कलंक को कम करने के संदेश फैलाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, जिससे यह अभियान जनभागीदारी का सशक्त उदाहरण बन रहा है।
इस दौरान बिहार के विभिन्न सामुदायिक रेडियो स्टेशनों ने भाग लिया। जिनमें रेडियो वर्षा (गोपालगंज), रेडियो रिमझिम (गोपालगंज), केवीके बाढ़ (पटना), वॉयस ऑफ इंडिया (सिवान), सीआर केवीके मानपुर (गया), रेडियो गूंज (वैशाली), रेडियो एक्टिव (भागलपुर), ग्रीन रेडियो (भागलपुर), रेडियो स्नेही (सिवान), और रेडियो मयूर (सारण) शामिल हुए ।