एनटीडी रोगों के उन्मूलन के लिए एकजुटता आवश्यक

स्वास्थ्य कर्मियों ने ली शपथ, एनटीडी रोगों के खिलाफ कार्रवाई पर जोर

पटना।

विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) दिवस के अवसर पर गुरुवार को राज्य मलेरिया कार्यालय, पटना में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम “जनप्रतिनिधि और समुदाय को एकजुट कर एनटीडी रोगों के उन्मूलन की अपील” रही।

इस अवसर पर स्वास्थ्य कर्मियों ने महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण किया और कुष्ठ रोग को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने तथा इसके उन्मूलन हेतु संकल्प लिया। इसी दिन विश्व कुष्ठ दिवस भी मनाया गया, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों ने कुष्ठ रोग के गंभीर संक्रमण को लेकर जागरूकता फैलाने की शपथ ली।

फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर प्रयास जारी:
अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी फाईलेरिया, डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने बताया कि फाइलेरिया, कालाजार, डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और रेबीज जैसे रोग एनटीडी श्रेणी में आते हैं, जो मुख्य रूप से मक्खियों और मच्छरों के संक्रमण या स्वच्छता की कमी से फैलते हैं।

ये रोग गरीब और पिछड़े समुदायों को अधिक प्रभावित करते हैं, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि बिहार के सभी 38 जिले फाइलेरिया से प्रभावित हैं, और इसके उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है।

फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए दो प्रमुख रणनीतियों पर कार्य किया जा रहा है, जिसमें रोग प्रबंधन के लिए एमएमडीपी किट का वितरण किया जा रहा है, जिससे प्रभावित व्यक्तियों को सही देखभाल और उपचार मिल सके। वहीं, सर्वजन दवा सेवन अभियान, जिसके तहत स्वस्थ व्यक्तियों सहित फाइलेरिया रोगियों को वर्ष में एक बार फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराया जाता है।

उन्होंने बताया कि 10 फरवरी से राज्य के 24 जिलों में सर्वजन दवा सेवन अभियान शुरू किया जाएगा, जिसमें घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा सेवन सुनिश्चित किया जाएगा।
एनटीडी रोगों के खिलाफ सामुदायिक सहभागिता जरूरी

डब्ल्यूएचओ के एनटीडी राज्य समन्वयक डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि एनटीडी रोगों को अब तक “उपेक्षित” माना जाता था, लेकिन अब इन्हें प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इन रोगों के उन्मूलन के लिए सिर्फ स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और आम जनता की भागीदारी भी आवश्यक है। सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाकर और उचित स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करके ही इन रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

इस अवसर पर फाइलेरिया के राज्य समन्वयक डॉ. अनुज रावत, सीफार के रणविजय कुमार, रंजीत कुमार सहित पिरामल, पीसीआई, लेप्रा और जीएचएस के अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।

सभी ने एनटीडी रोगों के उन्मूलन की प्रतिबद्धता जताई और सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियानों को सफल बनाने के लिए सक्रिय सहयोग देने का संकल्प लिया। एनटीडी रोगों के खिलाफ यह लड़ाई सामूहिक प्रयासों से ही सफल हो सकती है, जिससे बिहार को एक स्वस्थ और रोगमुक्त राज्य बनाया जा सके।

SHARE