लखनऊ:
सनातन धर्म के प्रति बढ़ती आस्था और राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक, हिन्दू हृदय सम्राट अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय संयोजक संतोष कुमार वशिष्ठ और शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर के नेतृत्व में आज एक ऐतिहासिक घर वापसी समारोह संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में सैकड़ों मुस्लिम समाज के लोगों ने सनातन धर्म को अपनाकर अपनी मूल संस्कृति में वापसी की।
कार्यक्रम के दौरान धर्म की महत्ता, भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा और सनातन धर्म के व्यापक दर्शन पर प्रकाश डाला गया। संतोष कुमार वशिष्ठ ने इस अवसर पर कहा कि, “सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक धर्म है, जो समस्त मानवता को प्रेम, करुणा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। घर वापसी किसी पर दबाव डालकर नहीं, बल्कि अपनी जड़ों की पहचान कराकर कराई जाती है।
“हिंदुत्व और इस्लाम में मूलभूत अंतर:
लखनऊ में घर वापसी कार्यक्रम के दौरान अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय संयोजक संतोष कुमार वशिष्ठ ने हिंदुत्व और इस्लाम के बीच के मूलभूत अंतर को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की सनातन पद्धति है, जबकि इस्लाम एक विशिष्ट धार्मिक प्रणाली पर आधारित मत है।
हिंदुत्व की विशेषताएँ:
1. सर्वधर्म समभाव: हिंदुत्व संपूर्ण मानवता को स्वीकार करता है और किसी पर मत थोपने की प्रवृत्ति नहीं रखता।
2. ईश्वर की व्यापकता: हिंदू धर्म में ईश्वर को निराकार, साकार, कण-कण में विद्यमान और अनगिनत रूपों में स्वीकार किया जाता है।
3. अनेक मतों का सम्मान: इसमें विविधता को अपनाने की स्वतंत्रता होती है, कोई भी सनातन संस्कृति में किसी भी देवी-देवता की आराधना कर सकता है या नास्तिक भी रह सकता है।
4. पुनर्जन्म और कर्म सिद्धांत: हिंदू धर्म का मूल आधार कर्म और पुनर्जन्म पर टिका है, जो व्यक्ति को स्वयं के कार्यों के प्रति उत्तरदायी बनाता है।
5. धर्मांतरण का अभाव: हिंदू धर्म में किसी को जबरन धर्म परिवर्तन कराने की परंपरा नहीं है, बल्कि आत्मबोध और ज्ञान के आधार पर ही धर्म स्वीकार किया जाता है।
इस्लाम से अंतर:
1. एकेश्वरवाद और कड़ा अनुशासन: इस्लाम केवल एक ईश्वर (अल्लाह) में विश्वास करने पर बल देता है और अन्य किसी भी मत को मान्यता नहीं देता।
2. धर्मांतरण का आग्रह: इस्लाम में गैर-मुसलमानों को ‘दावाह’ (प्रचार) के माध्यम से या जबरन इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है या दबाव दिया जाता है।
3. शरिया कानून: इस्लामी जीवन पद्धति में शरिया कानून का पालन करना आवश्यक होता है, जिसमें कठोर धार्मिक नियमों का पालन करना पड़ता है।
4. नास्तिकता और मूर्ति पूजा का निषेध: इस्लाम में मूर्ति पूजा को हराम माना जाता है और केवल पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं को अंतिम सत्य माना जाता है।
5. एकरूपता: इस्लाम में एक ही ग्रंथ (कुरान) और एक ही पैगंबर को अंतिम सत्य मानने की अनिवार्यता होती है, जबकि हिंदू धर्म में अनेकों ग्रंथ, ऋषि-मुनि और दार्शनिक परंपराएँ हैं।
वशिष्ठ जी का संदेश:
संतोष कुमार वशिष्ठ ने कहा, “हिंदुत्व किसी पर जबरन थोपने का सिद्धांत नहीं रखता, बल्कि यह आत्मबोध और सत्य की खोज का मार्ग है। इस्लाम और अन्य अब्राहमिक धर्मों में जो कठोरता और कट्टरता देखी जाती है, वह हिंदुत्व में नहीं मिलती। यही कारण है कि लोग अपनी मूल संस्कृति में लौट रहे हैं और सनातन धर्म को आत्मसात कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि “घर वापसी” कोई नया धर्म अपनाना नहीं, बल्कि अपनी खोई हुई जड़ों को पहचानने और स्वीकार करने की प्रक्रिया है। सनातन धर्म सहिष्णुता, वैज्ञानिक सोच और सार्वभौमिक प्रेम का प्रतीक है, इसलिए दुनिया में इसे सबसे पुरातन और प्रगतिशील परंपरा माना जाता है।
वहीं, जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर ने कहा कि, “यह कोई धर्मांतरण नहीं, बल्कि अपने मूल धर्म की पुनर्स्थापना है। जो लोग ऐतिहासिक कारणों से अलग हो गए थे, वे आज पुनः अपने धर्म में लौट रहे हैं।”
घर वापसी करने वाले लोगों ने इसे अपनी “आत्मिक जागृति” बताते हुए खुशी जाहिर की और सनातन धर्म के रीति-रिवाजों को अपनाने की शपथ ली। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चारण और यज्ञ के माध्यम से सभी का विधिपूर्वक शुद्धिकरण किया गया।
इस ऐतिहासिक पहल से हिंदू समाज में हर्ष और उत्साह की लहर दौड़ गई है। यह आयोजन सनातन संस्कृति की महानता को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।