कश्मीर में 1400 से अधिक हिन्दुओं की धार्मिक एवं निजी संपत्तियों पर अतिक्रमण किया गया। नेता और अधिकारियों की मिलीभगत से ये सब किया गया है क्योंकि इनके सहयोग के बिना यह संभव नहीं है। ये अधिकारी और नेता खुद ऐसे कम कराते हैं और अपना हिस्सा लेते हैं। केपीएसएस का कहना है कि अगर इन लोगों को प्रशासन और राजनेताओं का समर्थन नहीं मिलता तो यह संभव नहीं हो पाता।
ऐसे समय में जब वक्फ बिल में संशोधन पूरे देश में बहस का विषय बन गया है, कश्मीरी पंडित केंद्र शासित प्रदेश में हिंदू धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए इसी तरह के बिल की मांग कर रहे हैं। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने कहा है कि यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
केपीएसएस का नया नारा है कि सनातन बोर्ड बनाया जाना चाहिए और सनातन और वक्फ बोर्ड दोनों को मिलकर काम करना चाहिए। अगर यह बनता है तो समुदायों के बीच भाईचारा होगा।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने कहा कि यह नैतिक रूप से निंदनीय और कानूनी रूप से अक्षम्य है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा जिसने 35 वर्षों में कभी भी अतिक्रमन किए गए मंदिरों, पवित्र धार्मिक स्थलों या हजारों कनाल हिंदू बंदोबस्ती भूमि के अवैध हस्तांतरण के बचाव में एक भी शब्द नहीं कहा, वह अचानक वक्फ संपत्तियों के विनियमन का सवाल उठने पर पीड़ा से भर जाती है और वक्फ बिल पर प्रदर्शन करने वाले राजनेता मानते हैं कि वक्फ बिल मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ है।
कितने आश्चर्य की बात है कि पीडीपी नेता बशारत बुखारी कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि कश्मीरी पंडितों की संपत्तियों की यहां क्या स्थिति है। लेकिन उन्हें वक्फ कानून की पूरी जानकारी है।