जोगेन्द्रनाथ मंडल की गलती फिर दोहराई जा रही है

*जोगेन्द्रनाथ मंडल*

जबसे *CAA का जन्म हुआ है* तबसे एक नाम बहुत तेजी से उभरकर सामने आया, CAA जरुरी क्यों है इसके लिए भाजपा के कई नेताओं ने *जोगेन्द्रनाथ मंडल* का उदाहरण दिया, कल जब सदन में *प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जोगेन्द्रनाथ मंडल का नाम लिया,* भले ही दुसरे परिप्रेक्ष्य में लिया हो, तो मुझे लगा कि अब इस शख्स के बारे में थोड़ा पढ़ना चाहिए कि यह महान आत्मा है कौन

कल से ही मैने कई आर्टिकल पढ़ा जोगेन्द्रनाथ मंडल पर
मंडल पर बीच बीच में चर्चा होती रहती है मैने 2012, 2015, 2018, 2019 में मंडल पर लिखे तमाम आर्टिकल पढ़ा

पहले तो मुझे मंडल के बारे कुछ पता नही था परन्तु अब अगर कोई मुझसे पुछे कि जोगेन्द्रनाथ मंडल कौन था ?
इस सवाल के जवाब में बिना हिचक के मैं कह सकता हुं कि जोगेन्द्रनाथ मंडल भी जिन्ना की तरह एक गद्दार था जिसने मां भारती के टुकड़े करा दिया

मित्रों !
इस मंडल की बहुत लम्बी कहानी है , इस पर सब अपनी अलग अलग व्याख्या कर सकते हैं

पर मेरी संक्षिप्त व्याख्या यह है—-
जोगेन्द्रनाथ मंडल का जन्म 1904 में बंगाल में बरीसल जिले के मइसकड़ी के एक दलित परिवार में हुआ था,
मंडल 1939-40 तक कांग्रेस के शिर्ष नेतृत्व के करीब आए, पर कुछ समय बाद कांग्रेस से किनारा करके मुस्लिम लीग पार्टी में चले गये
जोगेन्द्रनाथ मंडल मुस्लीम लीग के खास सदस्यों में गिना जाने लगा, कारण यह था मंडल अखण्ड भारत का बहुत बड़ा नेता था इतना बड़ा कि डा. अम्बेडकर से भी बड़ा
कहा यह भी जाता है और इसके साक्ष्य भी मौजुद है कि अम्बेडकर को मंडल ने ही लांच किया था पर बाद में दोनो की विचारधारा अलग हो गई, मंडल अम्बेडकर के रिस्तों पर फिर कभी चर्चा करेंगे क्योंकि आज का मुद्दा सिर्फ मंडल पर ही केन्द्रित है एक बात और यह सारे तथ्य मेरे अर्थात रजनीश तिवारी राज के नही हैं यह सभी ऐतिहासिर तथ्य है, हां निष्कर्ष मेरा यह है कि जोगेन्द्रनाथ मंडल गद्दार था

मित्रों !
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान का निर्माण दलित+मुस्लिम के गठजोड़ के कारण हुआ था, आज जो टुटपुंजिया, दलितों के स्वघोषित सड़क छाप नेता जय भीम जय मीम का नारा दे रहे हैं उन निकम्मो को एक बार मंडल को पढ़ना चाहिए जय भीम जय मीम का पहला प्रयोग मंडल ने ही किया था और वह मंडल दलितों का बहुत बड़ा नेता था आज के नेता तो कुछ नही हैं उसके सामने यह समझ लो कि दलितो में मंडल की तूती बोलती थी इसलिए तो जिन्ना ने मंडल को हाथो हाथ लिया क्योंकि जिन्ना को पता था कि बिना दलितो के समर्थन के पाकिस्तान का निर्माण नही हो सकता
और मंडल की दलितो में अच्छी पैठ थी, अब इसीसे अंदाजा लगा लो कि मंडल कितना ताकतवर था मंडल के एक इशारे पर दलितो ने भारत का एक भू-भाग पाकिस्तान को दे दिया इसकी विस्तृत जानकारी आपको आगे मिलेगी बस आप पढ़ते रहिए

मित्रों !
जोगेन्द्रनाथ मंडल जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान के निर्माण की बात करने लगा, और दलितों से यह कहने लगा कि दलित और मुस्लिम के लिए एक अलग देश होगा, जहां हम लोगों का अच्छे से ख्याल किया जायेगा, अपना एक नया देश पाकिस्तान बनने के बाद हम सभी दलित भाई भारत छोड़कर पाकिस्तान चलेंगे और बड़े आराम से वहां रहेंगे।

जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अपने ताकत से असम को खंडित कर दिया, बात 1947 की है।

3 जून, 1947 की घोषणा के बाद असम के #सयलहेट को जनमत संग्रह से यह तय करना था कि वह पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा या हिंदुस्तान का, उस इलाके में हिंदु मुसलमान की संख्या बराबर थी।
हिंदू निर्णायक होता जनमत संग्रह में वह हिस्सा हिंदुस्तान के पास ही रहता पर जिन्ना की कुटिल चाल काम कर गई जिन्ना ने मंडल को असम भेजा और कहा सारे दलितों का वोट पाकिस्तान के पक्ष में डलवाओ, ऐसा ही हुआ मंडल के एक इशारे पर दलितो ने पाकिस्तान के पक्ष में वोट कर दिया। क्योंकि वहां दलित हिंदू ही बहुतायत थे
और इस प्रकार से असम का वह हिस्सा पाकिस्तान का हो गया जो कि आज बांग्लादेश में है।

शायद इसी जनमत संग्रह को लेकर सावधान रहती थी भाजपा। जब भी कांग्रेस सहित तमाम पार्टियां कहती थी कि कश्मीर में जनमत संग्रह करा लो कि कश्मीर किसके साथ रहना चाहता है। पाकिस्तान या भारत
इस पर भाजपा कड़ा विरोध करती थी कि कश्मीर में जनमत संग्रह नही होगा, क्योंकि आज भी भारत में जयचंदो की कमी नही है। आज भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

बहरहाल !
पुन: आते हैं जोगेन्द्रनाथ मंडल पर
बड़े ही उत्साह के साथ मंडल ने जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान का निर्माण किया तथा लाखों दलितो के साथ भारत को अलविदा कहकर पाकिस्तान चला गया।

भीमराव आंबेडकर के लाख समझाने, पाकिस्तान का समर्थन ना करने पर भी मंडल नही माना। मंडल अम्बेडकर को अपने से छोटा नेता मानते थे।

जोगेन्द्रनाथ मंडल ने भारत के साथ जो गद्दारी की उसका उसे इनाम भी मिला पाकिस्तान में।
मंडल को पाकिस्तान संविधान सभा का सदस्य एवं अस्थाई अध्यक्ष बनाया गया।

जोगेन्द्रनाथ मंडल पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री बने।
मंडल को पाकिस्तान का श्रम मंत्री व कश्मीर मामलो का भी मंत्री बनाया गया।

पर जो एक कहावत है कि जो मुसलमान अपने बहनो के भाई नही होते वह मंडल के भाई कैसे हो सकता है।
धीरे धीरे मंडल की अवहेलना होने लगी, जय भीम जय मीम को धता बताते हुए पाकिस्तानी मुसलमान दलितों पर घनघोर अत्याचार करने लगे। न जाने कितनो को इस्लाम कबूलने पर मजबूर कर दिया जो इस्लाम नही कबूलते उनके बहन बेटियों का सरेआम बलात्कार होता। पुरे परिवार को प्रताड़ित किया जाता।
मंडल को भी शक के निगाह से देखा जाने लगा, उसके देशभक्ति पर भी सवाल उठने लगा।
दलितो पर भयंकर अत्याचार हो रहा था। जोगेन्द्रनाथ मंडल बेबस था। अपने लोगो के लिए कुछ भी करने में असमर्थ था क्योंकि अब पाकिस्तान को मंडल की जरुरत नही थी।
इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में मंडल ने कई पत्र लिखेंं जवाब एक का भी नही मिला।

अब शायद मंडल को अपने गलती का पश्चाताप होने लगा था।
मुसलमानो का असली रंग समझ में आ गया, जय भीम जय मीम का विलय किसी काम का नही रह गया।
अब मंडल को वही भारत याद आने लगा जिसे कभी ठुकराकर व उसके टुकड़े करके पाकिस्तान चला गया था। जो मंडल पहले यह कहता था कि दलित हिंदुस्तान के बजाय पाकिस्तान में सुरक्षित रहेंगे। आज वही मंडल बेबस बेसहारा होकर खुद को पाकिस्तान में असुरक्षित महसुस करने लगा।

दलितो का बड़ा नेता व पाकिस्तान का पहला कानूनमंत्री जोगेन्द्रनाथ मंडल का अब मुसलमानो का कथित सहानुभूति का भ्रम टूट चुका था। मंडल को अपनी गलती का एहसास तब पुरी तरह से हो गया जब पाकिस्तान में सिर्फ एक दिन में 20 फरवरी, 1950 को 100000 (द हजार) से उपर दलित मारे गये। लेेेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यह बाते किसी संघी की किताब अथवा कोई भाजपाई ने नही कहा बल्कि खुद यह बाते जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अपने इस्तीफे मेें कही है।

जिन्ना के मौत के बाद एक लम्बा चौड़ा इस्तीफा लिखा मंडल ने उसमें दलितो पर हो रहे भयंकर अत्याचार का जिक्र किया और पाकिस्तान सरकार आँख बंद करके सब देखती रही।

अंतत: जोगेन्द्रनाथ मंडल 1950 में उसी भारत में आकर शरण लिया जिसे कभी जय भीम जय मीम के लिए तोड़ दिया था।

लाखो दलितों को मौत के मुंह में छोड़कर जोगन्द्रनाथ मंडल एक शरणार्थी बनकर भारत आया और गुमनामी में रहने लगा शायद अपने कृत्य पर वह शर्मिंदा था।

इसी गुमनामी में जीते हुए एक दिन 5 अक्टूबर, 1968 को पश्चिम बंगाल में आखिरी सांस ली।

कई इतिहासकार मंडल को लाखों हिन्दुओं का हत्यारा कहते हैं और अगर विस्तृत परिदृश्य में देखा जाय तो वास्तव में मंडल हिन्दु दलितों का कातिल था।

क्योंकि जो दलित पाकिस्तान गया था वह मंडल के ही कहने पर गया था, जब वहां दलितो पर भंयकर अत्याचार होने लगे तो सभी दलितों को उनके हालात पर छोड़कर दलितो का महानायक जोगेन्द्रनाथ मंडल शरणार्थी बनकर भारत आ कर अपनी जान बचायी।

वही दलित हिंदू धीरे धीरे शरणार्थी बनकर भारत आने लगे उन्ही शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए मोदी सरकार ने नया कानून बनाया CAA।

पर दु:खद यह कि जो खुद से अपने आपको दलितो का महाहितैषी घोषित किये हैं वो खुद इस कानून का विरोध कर रहे हैं और वह भी मुसलमानो के साथ मुसलमानो ने छल से फिर दलितों को मिला लिया है।

आज फिर जय भीम जय मीम का नारा गुंज रहा है ऐसे से बस एक बात कहना चाहुंगा कि तुम मंडल के पैरों की धूल भी नही हो, पर मंडल का जो हश्र हुआ एक बार पढ़ लो सारे भ्रम दुर हो जायेंगे।

संकलनकर्ता

गुरुजी भू

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