गुलेल का पाकिस्तानी सम्बन्ध ?

गुलेल क्या पाकिस्तान से तार जुड़े होने की ओर इशारा कर रहे हैं ??

वरिष्ठ पत्रकार निशीथ जोशी की अत्यंत महत्वपूर्ण पोस्ट ।

दिल्ली दंगे में जो गुलेल पकड़ी गई हैं जानते हैं, उनका प्रयोग कौन करता था। पाकिस्तान के तस्कर। दशक 2000 के अंतिम और और 2010 के शुरुआती सालों में पाकिस्तान से स्मैक और दूसरे सामानों की तस्करी के लिए अटारी बार्डर और फिरोजपुर बॉर्डर पर इसका जम कर प्रयोग हुआ था। काफी बड़ी मात्रा में नशे की सामग्री पकड़ी भी गई थी।
उस समय पंजाब के खांटी पत्रकार नरिंदर शर्मा ने राष्ट्रीय सहारा अख़बार में इसकी बड़ी खबर भी सबसे पहले लिखी थी। नरिंदर शर्मा को हम दशक 90 के शुरुआती दिनों से जानते हैं। वे अमृतसर राष्ट्रीय सहारा अख़बार के लिए काम करते थे। नरिंदर शर्मा अकेले ऐसे हिन्दू पत्रकार हैं जिन्होंने जब पंजाब में दहशत गर्दी अपने चरम पर थी। स्वर्ण मंदिर परिसर में जरनैल सिंह भिंडरावाले का इंटरव्यू लिया था। ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले। उस दौर में नरिंदर शर्मा पर कातिलाना हमला भी हुआ था। नवंबर के महीने में खालिस्तान कमांडो फोर्स के पंजवड़ ग्रुप के आतंकियों ने उन पर एक 47 का बस्ट खोल दिया था। पेट में कई गोलियां लगी थीं। आतंकी उनको मरा समझ कर चले गए। किसी तरह नरिंदर शर्मा की जान बच गई। जब नरिंदर शर्मा से आज हमने बात की तो उन्होंने ने गुलेल से पाकिस्तान बॉर्डर के पार से भारत में तस्करी की नशे की खेप फेंके जाने वाली खबर की पुष्टि भी कर दी जो उस समय उन्होंने लिखी थी।
अब सवाल यह उठता है कि क्या दिल्ली दंगे के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं। गुलेल का ठीक वैसा ही प्रयोग एक दशक के बाद। उस समय यह गुलेल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की देन थी, तो क्या दिल्ली के दंगा वाले इलाकों में आई एस आई ने अपने एजेंट पहुंचा दिए थे। क्या कुछ लोग बॉर्डर पार से दिल्ली के दंगा वाले इलाकों के साजिश रचने वालों के साथ संपर्क में थे और निर्देश दे रहे थे। साफ है दिल्ली में जिस तरह से दंगा हुआ उसमें बाहरी लोगों की भूमिका बड़ी थी। ये लोग कहां से आए थे? किसने भेजे थे? किसने उनको मोहल्लों में पनाह दी थी? बहुत से सवाल हैं। निश्चित तौर पर पुलिस का पूरा ध्यान मोहल्लों में पथराव और महिलाओं के धरने प्रदर्शन में लगा कर मोहल्लों के अंदर दंगो की तैयारी होती रही थी। खुफिया एजेंसियां कुछ भी भांपने में फेल रहीं। क्योंकि साजिश कर्ता उनको इधर उधर भरमाने में लगे रहे। दंगो के तत्काल बाद बाहर से आए दंगाई भाग निकलने में सफल रहे। इनमे दिल्ली से लगे पश्चिम यूपी के लोगों के होने की संभावना अधिक है। जहां से हथियार भी सप्लाई की गई थी। अब आईबी के अंकित शर्मा की हत्या के आरोपी और उनके साथियों से जांच एजेंसियों को क्या जानकारियां मिलती हैं बहुत कुछ उस पर निर्भर करेगा। अंकित शर्मा की हत्या का तरीका और नृशंसता देख कर रोहिंग्या की याद आती है। तो क्या इन दंगो में वे भी शामिल थे और बांग्ला देशी भी। गहरी चाल है जांच बहुत गहराई से होनी चाहिए।

-निशीथ जोशी

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