मेरी अहमदाबाद यात्रा – राम महेश मिश्र

आज अभी हम अहमदाबाद पहुँचे। गुजरात प्रान्त का प्रमुख जनपद। यह राजधानी ज़िला भी है, राजधानी गांधीनगर यहाँ से १५ किलोमीटर दूर है। विराट सत्संग महोत्सव के सिलसिले में यहाँ पर चार दिनों का प्रवास रहेगा।

अहमदाबाद भारत का एक जाना-माना पर्यटन स्थल है। महात्मा गांधी की कर्मस्थली यानी साबरमती आश्रम यहीं पर है। महानगर के बीचोंबीच बहने वाली साबरमती नदी स्वच्छता एवं सौंदर्यीकरण की एक अनुपम मिसाल है। अहमदाबाद के दर्शनीय स्थलों में सरदार पटेल प्रतिमा, साइंस सिटी, आदि प्रमुख हैं।

सनातन संस्कृति से जुड़ा यहाँ का अक्षरधाम मन्दिर दर्शनीय है। उत्तर प्रदेश के मूल निवासी श्री घनश्याम पाण्डेय जी कालान्तर में भारत के एक प्रख्यात सन्यासी सन्त हुए, जिन्होंने स्वामी नारायण सम्प्रदाय की स्थापना की थी। श्री पाण्डेय जी गोंडा जिले में छपिया के मूल निवासी थे। रेल मंत्रालय ने गोंडा से गोरखपुर रेलमार्ग पर उनके नाम पर ‘स्वामीनारायण छपिया’ नाम का रेलवे स्टेशन भी बनाया है। अहमदाबाद और दिल्ली सहित देश भर के सभी अक्षरधाम मन्दिर इसी परम्परा के विशालकाय मन्दिर हैं, जिनकी सुव्यवस्था देखते ही बनती है। अब इस सम्प्रदाय की लगभग सात धाराएँ बन गयी हैं लेकिन सभी की अटूट श्रद्धा पूज्यपाद स्वामी नारायण जी महाराज के प्रति ही है। हमें अतीत में इस परम्परा के कई वरिष्ठ सन्तों व अधिकारियों से मिलने और साथ बैठने का अवसर मिला है।

यहाँ के कई स्थल पुरातात्त्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। यह एक स्वच्छ, शान्त और अपराधमुक्त नगर है। कहते हैं कि अर्धरात्रि तक में यहाँ आभूषणों से लदी महिला अकेले भी निकल जाय तो कोई उस ओर देखने का भी साहस नहीं कर सकता। यहाँ तक कि अपराध के लिए बदनाम सम्प्रदायों के इलाक़ों में भी यह ईमानदारी और अनुशासन देखा जा सकता है। इसका श्रेय गुजरात प्रान्त में विगत दो दशकों के सफल और सख़्त शासन व्यवस्था को जाता है।

गीतानायक भगवान श्रीकृष्ण की राजधानी द्वारिका को दर्शनार्थ जाने वाले अनेक तीर्थयात्री आज हमारे साथ थे। बताते हैं कि भगवान कृष्ण यानी द्वारिकाधीश वाली वाली द्वारिका तो समुद्र में डूब चुकी है, उसके प्रमाण अक्सर जनमानस में संज्ञान में लाये जाते हैं।

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