मृत्यु तो कटु सत्य है , फिर इतना भय क्यों ?

आज कोरोना नामक एक मामूली से वायरस ने विश्व इकोनॉमी को औंधे मुंह गिरा दिया है।
और, चीन समेत दुनिया के सभी देश डर के मारे बाप-बाप चिल्ला रहे हैं…!
कहा जाता है कि इस वाईरस के कारण चीन पांच साल पीछे चला गया।
साथ ही….. दुनिया भर को फतेह करने का ख्वाब देखने वाले चीन के वो सभी प्रोजेक्ट बंद पड़ चुके हैं जो उसने पच्चीस से ज्यादा देशों में चला रखे हैं।
वूहान जैसे कई शहर वीरान हो चुके हैं….
ईरान, इटली आदि का तो इससे भी ज्यादा बुरा हाल है…. और, वहां दस करोड़ से अधिक लोग अपने ही घरों में कैद हैं।
हजारों मारे गये….. और, दुनिया खरबों डॉलर का नुकसान झेल रही है।
और तो और…. मक्का मदीना वीरान पड़ा है।
अब समझ में आ गई होगी कि…. हमारा सनातन हिन्दू धर्म हजारों लाखों सालों से प्रकृति की पूजा पर इतना जोर क्यों देता है..?
हमारा सनानत धर्म…. अगर नदियों पेड़ों पहाड़ों सूर्य बादल हवा को पूजनीय बताता है…. तो, इसका ठोस वैज्ञानिक कारण है।
अब ये भी समझ आ गया होगा कि….
रोज नहाने (खुद की साफ-सफाई), सूर्य को जल चढ़ाने (उगते सूर्य के प्रकाश में खड़ा होना), हर पर्व-त्योहार में घर की सफाई…. यज्ञ-हवन आदि के माध्यम से घर समेत पूरे मुहल्ले को सैनिटाइज करने का महत्व क्या है ???
साथ ही… किसी से हाथ मिलाने की जगह उसे प्रणाम करना….
और, मृतक को दफनाने की जगह जला देने की परंपरा का महत्व समझ आ गई होगी दुनिया को.
इसीलिए एक बात याद रखें कि….
अगर धरती और धरती पर मौजूद मानव सभ्यता को बचाना है तो…
अंततः…. मानव की सभी सभ्यताओं को हिन्दू सनातन धर्म की शीतल छांव में आना ही होगा…!!
क्योंकि, यही एकमात्र पहला और अंतिम उपाय है…!

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