जाति – धर्म के नाम पर कानूनी भेदभाव क्यों?

मेरे प्यारे भारतवासियों आज हम जाति और धर्म की घिनौनी राजनीति पर चर्चा करने जा रहे हैं। यह हमारे संविधान में ऐसे बीज बो दिए गए हैं जो लगता है कभी समाप्त नहीं होंगे। इनकी फसल लहलाती ही रहेगी। भेदभाव की राजनीति इस तरह तो देश में कभी समाप्त नही होगी। इस देश पर सब का समान अधिकार होना चाहिए। इस देश पर सभी नागरिक मतदाता हैं। मतदान देने के लिए हैं। वह प्रजातांत्रिक प्रणाली से सरकार चुनते हैं, लेकिन जब मतदाताओं के साथ उनके बच्चों के साथ सरकारी तौर पर कानूनी तौर पर भेदभाव हो तो इस देश का दुर्भाग्य ही है। नागरिकों के साथ इससे बड़ा छल कोई नहीं हो सकता। आज जब हम स्वतंत्र कहलाते हैं लेकिन हम जातियों की बेडियों में बंधे है। दोहरे मापदंडों से उबर नहीं पाए हैं। इससे हमें लडना ही होगा। भारत को एक होना होगा। आज कोरोना वायरस ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत ही नहीं समस्त विश्व हमारा परिवार है। अगर कोई आपदा आती है तो उसको कैसे निपटना है यह हम सब मिलजुल कर ही निपट सकते हैं, लेकिन जाति और धर्म का जहर देश में घोलने का प्रयत्न जो किया गया था वह आज भी जारी है। इसलिए सारे बंधन तोड़ कर केवल एक मानवता रूपी बंधन हो। मानवीय मूल्यों के संरक्षण हो। मानवीय मूल्यों की पढ़ाई हो शिक्षा में कोई भेदभाव ना हो। अरे क्या बिगाड़ा है उन बच्चों ने 90% अंक लाने के बाद भी 36% अंक लाने वालों से नीचे बैठते हैं, उनके एडमिशन नहीं होते हैं। उन बच्चों के साथ वैसा ही व्यवहार हो रहा है, जैसे ताजमहल बनवाने के बाद उन मजदूरों के हाथ काट दिए गए थे, जिन्होंने वह ताजमहल बनाया था। आज भी वो परम्परा जारी है। यही एक कारण है जिसके कारण आज भारत से प्रतिवर्ष प्रतिभा का पलायन होता है। हमारी प्रतिभा विदेशों में जाती हैं और विदेशों में उन्हें भरपूर सम्मान मिलता है। इसका अर्थ यह हुआ कि भारत को प्रतिभाशाली लोगों से वंचित किया जा रहा है और वह प्रतिभाशाली लोग विदेश चले जाते हैं। वहां अपने हुनर से नाम कमाते है। इसलिए हमें भेदभाव मिटाकर विद्यार्थियों को समान शिक्षा का अधिकार होना चाहिए।

 

सवर्ण कौन है?
सामान्य कौन है?

आओ बताता हूँ ….  ध्यान से सुनना …

सवर्ण (General Category) कौन हैं ?

जिस व्यक्ति पर एट्रोसिटी_एक्ट 89 के तहत बिना इन्क्वारी के भी कार्यवाई की जा सकती है,वो सवर्ण है‼

जिसको जाति सूचक शब्द इस्तेमाल करके बेखौफ गाली दी जा सकती है, वो सवर्ण है‼

देश में आरक्षित 131 लोकसभा सीटो और 1225 विधानसभा सीटो पर चुनाव नही लड़ सकता है, लेकिन वोट दे सकता है, वो सवर्ण है‼

जिसके हित के लिए आज तक कोई आयोग नही बना, वो सवर्ण है‼

जिसके लिए कोई सरकारी योजना न बनी हो,
वो सवर्ण है‼

जिसके साथ देश का संविधान भेदभाव करता है, वो सवर्ण है‼

मात्र जिसको सजा देने के लिए NCSC और NCST का गठन किया गया वो सवर्ण है‼

मात्र जिसे सजा देने के लिए हर जिले में विशेष SCST न्यायालय खोले गए हैं, वो अभागा सवर्ण है‼

जो स्कूल में अन्य वर्गों के मुकाबले चार गुनी फीस दे कर अपने बच्चों को पढाता है, वो बेसहारा सवर्ण है‼

नौकरी, प्रमोशन, घर allotment आदि में जिसके साथ कानूनन भेदभाव वैध है वो बेचारा सवर्ण है‼

सरकारों व सविधान द्वारा सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया जाने वाला सवर्ण है‼

सबसे ज्यादा वोट देकर भी खुद को लुटापिटा ठगा सा महसूस करने वाला सवर्ण है‼

सर्वाधिक टैक्स देकर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला है सवर्ण।

सभाओं में फर्श तक बिछा कर एक अच्छी सरकार की चाह में आपको सत्ता सौंपने वाला सवर्ण है ‼

देश हित मे आपका तन मन धन से साथ देने वाला सवर्ण है‼

इतने भेदभाव के बावजूद भी,
धर्म की जय हो,अधर्म का नाश हो प्राणियों में सद्भावना हो,विश्व का कल्याण हो की भावना जो रखता है,वो सवर्ण है‼

सबका साथ सबका विकास में हमारी स्थिति क्या है ? विचार अवश्य करें‼

और अन्त में

हां ये वही सवर्ण है जिनके पूर्वजों ने सनातन संस्कृति के लिए सर्वाधिक बलिदान दिये थे। जिसके कारण ये आज संख्या बल में कम हो गये है।

समस्त सवर्ण परिवारों की तरफ से भारत सरकार को समर्पित ।

अगर आप को उपरोक्त बातें सही लगी हो तो अविलम्ब शेयर करें।

 

 

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