भारत ने नेपाल और बंग्लादेश के षडयंत्र को तोडा

जी हां हम बात कर रहे हैं पाम आयल की। वैसे तो पाम आयल भारत के अलावा कहीं और नहीं खाया जाता। क्योंकि यह बहुत अच्छा नहीं माना जाता स्वास्थ्य के लिए। फिर भी भारत में इसका बहुतायत में आयात होता है।  यहां के लोग इसको खाते भी हैं और कुछ मिलावट करने वाले लोग भी इसको कई चीजों में मिलाकर देश को परोसने हैं। यह शर्मनाक है। इस षड्यंत्र को तोड़ने के लिए मलेशिया से सरकार ने आयात बंद किया था। अब वह नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते आ रहा था। वह भी कर मुक्त सुविधा द्वारा क्योंकि दोनों ही देश इसका निर्माण नहीं करते यह मलेशिया से या कहीं और से आयात करते हैं और फिर यहां कर मुक्त बेच देते हैं। भारत में तो यह षड्यंत्र के अंतर्गत चल रहा था। सरकार ने इस पर पूरी तरह रोक लगाकर भारत को मजबूती प्रदान की है।

भारत ने नेपाल और बांग्लादेश को तगड़ा झटका क्यूं दिया।

🔺 भारत ने नेपाल और बांग्लादेश को तगड़ा झटका दिया है। भारत ने इन देशों से तीन लाख टन से ज्यादा रिफाइन्ड पाम ऑयल के आयात की मंजूरी रद्द कर दी है !! दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (साफ्टा) के तहत, नेपाल और बांग्लादेश को भारत को पाम ऑयल बेचने के लिए आयात शुल्क नहीं चुकाना पड़ता है !! हालांकि, दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (साफ्टा) की जरूरी शर्त के मुताबिक दोनों देश खुद पाम ऑयल का उत्पादन नहीं करते हैं जिसकी वजह से भारत ने आयात को रद्द करने जैसा सख्त कदम उठाया है, नेपाल और बांग्लादेश से पाम ऑयल, मसाले और टायर समेत कई वस्तुओं पर आयात शुल्क नहीं लगता है लेकिन इसमें साफ्टा के कई प्रावधानों का दुरुपयोग किया जा रहा था, आयात में गड़बड़ी ये है कि ये देश खुद इन चीजों का उत्पादन नहीं करते हैं, कुछ लालची आयातक और व्यापारी अपने सामान को इन देशों के जरिए भारत को बेचने की कोशिश करते हैं।

🔺 भारतीय कारोबारी बी वी मेहता ने रॉयटर्स एजेंसी को बताया, “इतने सालों से नेपाल और बांग्लादेश से उत्पादन के स्रोत के नियम का उल्लंघन करते हुए पाम ऑयल का आयात जारी था !! कश्मीर की मुद्दे को लेकर जिस मलेशिया से भारत पाम ऑयल इंपोर्ट करना बंद कर दिया था !! ओर उसके अर्थनीति को एक तगड़ा झटका दिया था, तबसे मलेशिया की अर्थनीति धरातल में गिरते जा रहा था !! तब मलेशिया ने (साफ्टा) के देश को टार्गेट बनाया ओर बह है नेपाल ओर बंगलादेश, नेपाल ओर बंगलादेश मलेशिया से पाम ऑयल आयात करके उसे भारत को बेचने लगे !! ओर उन्हें भारत को निर्यात शुल्क देना भी नहीं पड़ता था !! ये दो देश दोनो तरफ से घी चाट रहे थे।

🔺एक नियम के मुताबिक, जहां से निर्यात किया जा रहा है, उसी देश में सामान का उत्पादन भी होना चाहिए, आखिरकार केंद्र सरकार ने इस तरह के आयात पर नकेल कसने का कदम उठा ही लिया.” इन देशों से पाम ऑयल आयात करने के लिए अधिकृत 39 लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं !! इनमें से ज्यादातर लाइसेंस पश्चिम बंगाल और बिहार के आयातकों के हैं !! इन परमिट के जरिए सबसे ज्यादा आयात नेपाल से ही होना था !! तीन लाख टन पाम ऑयल में से 2.93 लाख टन नेपाल से और 12,000 टन पाम ऑयल का आयात बांग्लादेश से किया जाना था।

🔺केंद्र सरकार रिफाइन्ड कुकिंग ऑयल के आयात को भी हतोत्साहित करना चाहती है ताकि घरेलू रिफाइनरियों को अपनी क्षमता बढ़ाने का मौका मिल सके, जनवरी महीने में सरकार ने पाम आयल के आयात को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया था, इस कदम के बाद पाम ऑयल के आयात के लिए डीजीएफटी (डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड) की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया गया था, फरवरी महीने में सरकार ने कच्चे पाम ऑयल पर 44 फीसदी आयात शुल्क और रिफाइन्ड ऑयल पर आयात शुल्क 54 फीसदी कर दिया था।

एसईए डेटा के मुताबिक, आरडीबी पाम ऑयल के आयात में नवंबर से अप्रैल महीने के बीच 70 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. जबकि इसी अवधि में कच्चा पाम ऑयल और पाम कर्नेल ऑयल के आयात में भी 14 फीसदी की कमी आई है।

🔺भारत के नेपाल और बांग्लादेश से पाम ऑयल के आयात को रद्द करने के फैसले पर भारतीय उद्योगों ने खुशी जताई है, इंडस्ट्री का कहना है कि लंबे वक्त से मुक्त व्यापार समझौते के उल्लंघन को देखते हुए ये कदम बेहद जरूरी था।

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