प्रकृति का सनातनी विज्ञान

भारत की सनातन संस्कृति विश्व में सर्वाधिक वैज्ञानिक आधार पर खरी उतरती है। इसी तरीके से प्रकृति और पर्यावरण के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने कुछ नियम बनाए थे। उनको आज हम भूलते जा रहे हैं। आज हमें खाने में भी जहर खाना पड़ रहा है। प्रदूषण की मार झेलनी पड़ रही है। ऊपर से यह कोरोना आ गया कुछ ऐसे कीटाणु विषाणु इनसे लड़ने की क्षमता भी हमारे आयुर्वेद में है, लेकिन हम लोग अपनी विद्याओं को भूलकर पश्चिमी विद्याओं पर विश्वास करने लगे। उसका कारण यही रहा कि हमारी सरकारों ने इस तरफ कभी ध्यान नहीं दिया। आज सरकार कुछ अच्छा सोच रही है। सनातन संस्कृति की हमारी अपनी विद्याओं पर ध्यान दे रही है। आज पूरा संसार ही हमारी संस्कृति को समझने का प्रयास कर रहा है।

*👆क्या कभी आपने सोचा हैं कि इस देश के नेताओं ने पीपल, बरगद, नीम आदि पेड़ों को क्यों लगवाना बंद किया?

आइये जानें  #पर्यावरण और वैज्ञानिक सनातन संकृति

पहले अंग्रेजी राज में कुछ नए पेड़ पौधों की नस्लें भारत में लाई गई। फिर हमारे अपने काले अंग्रेजों ने भी इनमें से एक मुख्य रूप से यूक्लिप्स को खूब लगवाया था। यह पौधा जमीन से पानी दूर-दूर तक सोख लेता है। भूमि में पानी की कमी हो जाती है, क्योंकि यह पौधा दलदल के लिए था। दलदल को मैदानों में परिवर्तित करने के लिए इस पौधे का बीजारोपण दलदल में किया जाता था। इस पौधे को भारत में लाया गया और भारतीयों ने इसको अनजाने में खुशी-खुशी अपनाया। अपने खेतो में खूब लगाया। जिसके कारण भूमि का जल स्तर अत्यधिक नीचे चला गया और आज परिणाम यह है कि भूजल का स्तर हमारा बहुत नीचे है। इस पेड़ ने सारे भारत में फैल कर हमारी भूमि को खोखला कर दिया। जल रहित कर दिया। पीपल, बड़, नीम जैसे हमारे परंपरागत पेड़ों जो हमारी भूमि के थे, हमारे वातावरण के थे, हमारे प्रकृति के अनुसार ठीक थे। वह हमसे छीन लिए। उनका पौधरोपण उतना नहीं हुआ। यही कारण है कि प्रदूषण दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है।

🌳 पिछले 68 वर्षों में पीपल, बरगद, पकड़ी और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है

🌳 *पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजार्बर है, बरगद 80% और नीम 75 %*

🌳 अब सरकार ने इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया जो जमीन को जल विहीन कर देता है।

🌳 आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है। वो अत्यंत ही घातक है।
अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही, तापमान, प्रदूषण सब बढ़ेगा तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही। जलस्तर नीचे जायेगा ही।

🌳 सडकों पर , पार्कों में हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्थान होगा।

🌳 वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए, पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है। जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं। इसीलिये पीपल को वृक्षों का राजा कहते है।

 

🌳 अब हमारे करने योग्य कार्य

🌳 इन जीवनदायी पेड़ों (पीपल/नीम/बरगद आदि) को ज्यादा से ज्यादा लगायें तथा यूकेलिप्टस आदि सजावटी पेड़ों को न लगाएं व सरकार द्वारा भी इन पर प्रतिबंध लगाया जाये। फिर भी हमें स्वयं आगे बढ़कर इन पेड़ों को लगाना चाहिए।

🌳 आइये हम सब मिलकर अपने भाग का दायित्व निभाते हुएं अपने “भारत” को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने की तैयारियां शुरू करें।

*🌳 हम सभी सनातनी अपने व अपने बच्चों के जन्मदिन, विवाह, बर्षगांठ आदि पर पीपल, नीम, बरगद, सहजन अथवा कोई भी फलदार पेेेड़ जरूर लगायें। हमारे पूूूर्वज, ऋषि, मुनि, महापुरुष इसी तरह के कार्य चाहते थे। आइए उनके कार्यों में आगे बढाये। प्रकृति प्रेमी बनेl*🌱🌳🕉️

गुरुजी भू

विश्व चिन्तक, प्रकृति प्रेमी

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