हजारों रोगों की जड़ तो कम्प्यूटर व मोबाइल खेल है – गुरुजी भू

हजारों रोगों की जड़ तो कम्प्यूटर व मोबाइल खेल है, जिनका अभी कोई उपचार नहीं है

अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रकृति से प्रेम और प्रतिदिन 20 मिनट मुस्कान योग करो

    आज हम अत्याधुनिक तकनीक के युग में विचरण कर रहे है। प्राचीनकाल से ही विज्ञान को वरदान और अभिशाप दोनों माना गया है। आज ये अधिक भयानक मोड़ में दिखाई दे रहा है।  

मुस्कान योगी, प्रकृति प्रेमी आसानी से रोगी नहीं होते। मानव को शरीर में रासायनिक संतुलन बनाए रखने के लिये शरीर से सक्रिय रहना अत्यंत आवश्यक है। हम लोगों की पीढ़ी में शरीर का सक्रिय रहना तेजी से कम हुआ है।  पिछली पीढ़ी के लोग जितने सक्रिय थे उतने ही स्वस्थ भी। हमारी पीढ़ी की क्रियाशीलता उनसे तेजी से कम हुई है।  इस कारण अब हमारे शरीर का संतुलन गड़बड़ा गया है।  अवसाद (डिप्रेशन) तो उसका केवल मात्र एक परिणाम है। शुरूआत में लोग उदास रहने लगते हैं।  इस स्थिति में बहुत देर तक रहें, तो उनमें से कई पागल हो जाते हैं।  वे हिंसक भी हो सकते हैं। ऐसे लोग आत्महत्या की ओर भी अतिशीघ्र ही आकर्षित हो जाते है। फिर उन लक्षणों को कम करने के लिए तरह तरह के उपचार करने होते हैं।  कई बार ‘लोबोटॉमी’ जैसे तरीके ( एक तरह के दिमागी आपरेशन) किए जाते हैं।  इनसे व्यक्ति की क्षमता नष्ट हो जाती है। रोगो से बचने का सबसे आसान तरीका प्राकृतिक खान पान, प्रकृति की गोद में मुस्कान योग से शरीर को सक्रिय रखना ही है। दूसरी बात यह है कि प्रकृति के पांचो तत्वों के धरती, पानी, हवा, सूर्य का प्रकाश और आकाश के संपर्क में निरंतर रहें। अब आप पूछेंगे कि क्या पहले लोग इनके संपर्क में लगातार रहते थे? सच तो ये है कि उन्हें रहना ही पड़ता था। डिप्रेशन की पहली लहर यूरोप में आई थी।  उसके बाद अमेरिका और अब एशिया के लोग भी इसकी भयंकर चपेट में हैं। इसका मुख्य कारण संस्कार विहीन शिक्षा, विपरीत रहन-सहन व अनुचित खाने-पीने में अंधाधुंध प्रयोग हैं।  प्रकृति के प्रति जागरूक रहकर हम संतुलन लाने का प्रयास कर सकते है। शारीरिक स्तर पर खूब सक्रिय रहना इसका दूसरा पक्ष है।  इसके अलावा खेल कूद में कमी, कम्प्यूटर व मोबाइल खेल, जिस भावनात्मक असुरक्षा से आधुनिक पीढ़ी सर्वाधिक परेशान है, वह भी इसका एक बडा कारण है। भारतीय संस्कृति का परिवाद समाप्त होने से ऐसा कोई नहीं जिससे भावनात्मक रूप से जुड़ सकें, मन की बात कर सके। क्योंकि कोई भी हमेशा जुड़ा नहीं रहता।
मनोविकार बढ चुके है, बहुत अधिक खाना। बहुत कम व्यायाम, प्रकृति से दूरी, पंच तत्वों से अलगाव और भावनात्मक असुरक्षा ऐसे प्रमुख कारण हैं, जिसके कारण अवसाद आम बात बन गया है। ऐसा किसी एक के साथ नहीं हो रहा, वरन यह एक महामारी की तरह प्रतिदिन फैल रहा है।
आज हजारों रोगों की जड़ तो कम्प्यूटर व मोबाइल खेल है। जिनका अभी कोई उपचार नहीं है।    
पूर्ण निरोगी व स्वस्थ रहने के लिये आवश्यक है मुस्कान योग। 
शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध आहार, शुद्ध विचार, सुसंस्कारित शिक्षा। 
आओ चले प्रकृति की ओर
विचारक
श्री गुरुजी भू
मुस्कान योग के प्रणेता,
प्रकृति प्रेमी, विश्व चिंतक ,
बहुविध-बहुआयामी शोधार्थी
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