सूर्य ग्रहण: तुलसी बीज एवं श्रीयंत्र से मनोकामना पूर्ति के अचूक गुप्त उपायः ग्रहणकाल में अभिमंत्रित बीजों का विशेष महत्वः – गुरुजी भू

900 वर्षो बाद बनें है ये ग्रहण योग। इस ग्रहणकाल का विशेष महत्व

समस्त ब्रह्माण्ड में ऊर्जा गतिमान है, जो निरन्तर प्रवाहित होती रहती है। ब्रह्माण्डीय ऊर्जा का ही जीवन में सर्वाधिक महत्व है। कई बार मनूष्य सब कुछ जानते हुएं भी अनजान बना रहता है। मानव जीवन में हर मनुष्य के मन में कुछ ना कुछ कामनाएं, अनेको इच्छाएं होती है। जिन्हे हम मनोकामना कहते है। कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता देते हैं, तो कुछ तो बताते ही नही। ठीक इसी तरह उसके भाग्य में कुछ कष्ट, परेशानी, काम में बाधाएं, बनते काम बिगड़ जाना आदि, तरह तरह के कारण बनते है। कभी कभी तो बने बनाये काम ही बिगड़ जाते है। यदि आप चाहते हैं कि आपकी सोची मनोकामना पूरी हो जाए तो आपको तुलसी के ये कुछ उपाय करने ही चाहिये। सतकर्म और मंत्र, तप, जप और पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होने लगती है। हमारे शास्त्रों के गहन अध्ययन से पता चलता है कि ग्रहण काल में मंत्रों को सिद्ध करने से अचूक फल मिलता है। पूरे मनोभाव से, पूरी पवित्रता से, भरपूर श्रद्धा से इन उपाय को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।

 

 

*भरपूर श्रद्धा से करें उपाय*

विज्ञान भी मानता है कि हमारे मन से ही शरीर संचालित होता है। समस्त ब्रह्माण्ड में जो ऊर्जा गतिमान होती रहती है, वो भी मन के संतुलन एवं एकाग्रता से ही शरीर को प्राप्त होती है। इसलिये कोई भी मनोकामना पूर्ति हेतु मनोभावों का प्रबल होना आवश्यक है।
ग्रहणकाल में विशेष विधि से अभिमंत्रित तुलसी बीज व श्री यंत्र को लक्ष्मी के बीज मंत्र ऊँ श्री श्री श्री महालक्ष्माये नमः मंत्र का 108 बार जाप से सिद्ध करें। उसके तीन भाग करें। एक लाल या पीले कपडे मे थोडा तुलसी बीज अपने दाहिने हाथ मे भी बाध लें। अथवा गलें में पहन लें। या पर्स में ही रख लें। स्मरण रहे पर्स चमड़े का ना हो, पीछे की जेब में भी नही रखना है। दूसरा भाग तुलसी बीज श्री यंत्र के साथ अपने घर के या कार्यालय के मन्दिर में रखें। तीसरा भाग अपने कोष मे रखें।
तुलसी के पौधे को रविवार को छोड़कर प्रतिदिन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।
बड़ के पत्ते पर मनोकामना लिखकर ग्रहण काल में अभिमंत्रित तुलसी बीज के साथ बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोरथ पूर्ति होती है। अपनी मनोकामना किसी भी भाषा में पवित्र मन से लिख सकते हैं। ग्रहणकाल में विशेष विधि से अभिमंत्रित तुलसी बीज हो तो अतिउत्तम होगा।
नए सूती लाल कपड़े में जटावाला नारियल बांधकर अभिमंत्रित तुलसी बीज के साथ बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
रविवार को अथवा पुष्य नक्षत्र में, दोनो एक साथ हो तो अतिउत्तम, अभिमंत्रित तुलसी बीज को गंगाजल से स्नान करायें। तुलसी को माता मान कर, उसकी पूजा करके, लाल कपड़े में लपेट कर, तिजोरी में रखें। धनवर्षा होने लगेगी।
पीपल वृक्ष को जल चढ़ाकर धूप दीप दिखायें। ग्रहणकाल में विशेष विधि से अभिमंत्रित तुलसी बीज पेड़ के नीचे रखकर धन आगमन के मंत्र पढ़ें। हर समस्या के समाधान के नये स्रोत खुल जायेंगे।
एक से अधिक ग्रहण काल में अभिमंत्रित बीजो का अत्यधिक महत्व है। अधिक जानकारी गुरुजी को मेल करके प्राप्त करें।

 

गुरुजी भू
shrigurujibhu@gmail.com
(लेखक: प्रकृति प्रेमी, विश्व चिंतक, अध्यात्मिक अध्येता, शोधकर्ता, विश्व मित्र परिवार के संस्थापक, प्रकृति परिवार एवं वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव के संस्थापक तरंग समूह के संपादक कामधेनु टीवी के संपादक है)

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