जीवन बहुमूल्य है। ईश्वर की धरोहर है। इसे स्वयं खोने का अधिकार मनुष्य को नहीं है। सुख दुख जीवन में आते रहते हैं, आते रहेंगे दुखों से घबराना नहीं, सुखों में अत्यधिक उल्लास नहीं मनाना। यही जीवन का सार गर्भित अध्याय है। जीवन में बहुत सी कठिनाइयां, परेशानियां, चुनौतियां आएंगी और उनका सामना करना मनुष्य को आता है। सामना करने से ही हर समस्या का समाधान होता है। कायरता पूर्ण तरीके से अपने जीवन को समाप्त कर देना एक बड़ा पाप है। आओ जानते है कुछ मुख्य कारण।
1.प्रश्न
अपनी जिंदगी से किसे प्यार नहीं है? चाहे हम रोजाना अपनी लाइफ को कोसते रहते हैं, विभिन्न परिस्थितियों पर खुद से ही सवाल करते हैं कि हमारे पास ऐसी जिंदगी क्यों है? लेकिन अंत में इस जिंदगी को जीने का जज्बा रखते हैं। इसे यूं ही अचानक खत्म करने का फैसला नहीं लेते।
2. आत्महत्या का कारण
लेकिन फिर लोग आत्महत्या क्यों करते हैं? उनके ज़हन में आत्महत्याका ख्याल आता भी कैसे है? उन्हें क्यों ये एहसास होता है कि अब बस बहुत हो गया, और अब समय है खुद को खत्म करने का, दुनिया को अलविदा कहने का।
3. कई वजहे हैं
हम आए दिन आत्महत्या के विभिन्न मामले खबरों के माध्यम से सुनते हैं। किसी ना किसी वजह के चलते लोग खुद को खत्म कर लेते हैं। जब हम आत्महत्या का कोई मामला सुनते हैं तो सच में हैरानी होती है, हम यह समझ नहीं पाते कि आत्महत्या करने का यह कारण क्या वाकई सही था? क्या यह कारण इतना बड़ा था कि कोई खुद की जान ही ले ले?
4. लोग आत्महत्या क्यों करते हैं
लोग आत्महत्या क्यों करते हैं और वे क्या भावनाएं हैं जो उनके भीतर चलती हैं जिसके कारण वे आत्महत्या करते हैं, यह वाकई जानने लायक है। यहां हम आपको ऐसे ही कुछ कारणों से अवगत कराने जा रहे हैं, जो किसी व्यक्ति के लिए आत्महत्या का कारण बनते हैं। यह कारण शायद आपके लिए बेतुके हों, शायद आप इन्हें इतनी गहराई से समझ ना सकें, लेकिन जो व्यक्ति इन कारणों की वजह से परेशान है वह इसे जरूर जान सकेगा।
5. एक बड़ी गलती
आत्महत्या करने का सबसे सामान्य कारण जो पाया गया है वह है ‘एक गलती’। दुनिया की नजर में वह गलती है या नहीं, छोटी गलती है या बड़ी, लेकिन जब उस गलती को करने वाला उसे बहुत बड़ा मानने लगे तो यह एक बड़ी दुर्घटना की ओर इशारा करता है। अकसर लोग कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो उन्हें अंदर ही अंदर परेशान करती रहती हैं। उन्हें एक अपराधी होने का एहसास कराती हैं।
6. उदाहरण
इसका एक बहुत ही कॉमन उदाहरण हम विद्यार्थियों में पाते हैं। जब कड़ी मेहनत के बाद भी वे परीक्षा में फेल हो जाते हैं या फिर उनके नंबर काफी कम आते हैं तो उन्हें यह एक बड़ी ‘गलती’ लगने लगती है। तब उन्हें पल-पल अपनी गलती का डर सताता रहता है, और यही डर बढ़ता हुआ उन्हें आत्महत्या की ओर ले जाता है। लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि ‘गलती’ सुधारी जा सकती है, लेकिन एक बार उनकी जिंदगी खत्म हुई तो वह वापस नहीं आएगी।
7. अपमान
अपमान एक ऐसा शब्द है जिसे आप जितनी गंभीरता से लेंगे, उतना ही परेशान होंगे। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसने कभी अपमान का अनुभव ना किया हो। बचपन से लेकर बुढ़ापे आने तक, किसी ना किसी समय वह इस घटना का शिकार जरूर होता है। घर में, स्कूल में, कॉलेज में, ऑफिस में, या राह चलते भी। लेकिन आप अपमान को कैसे अपनाते हैं, यह समझने लायक बात है।
8. उदासी है कारण
कुछ लोग जब इस घटना का शिकार होते हैं तो उनका अंतर्मन टूट जाता है। वह काफी उदास हो जाते हैं, उन्हें दुनिया के सामने जाने से भी शर्म आने लगती है। यही वे लोग हैं जो अपमान के चलते खुद को ही मौत के घाट उतारने के लिए तैयार हो जाते हैं। काश वे समझ सकते कि अपमान के नाम पर जिंदगी को खत्म करना ही एक बड़ा अपमान है, जो वे खुद के साथ ही करते हैं।
9. जब सब कुछ बदलने लगे
चलिए इस बात को एक उदाहरण सहित समझाते हैं। एक पति-पत्नी, जिनका एक बच्चा है और शादी को तकरीबन 10 साल हो चुके हैं। इन दस सालों के गुजरने के साथ ही उनके बीच धीरे-धीरे तकरार होने लगती है। छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े झगड़े। उनके लिए तो ये ऐसे झगड़े हैं जो उन्हें ‘तलाक’ जैसी परिस्थिति की ओर धीरे-धीरे ले जा रहे हैं।
10. जिन्हें बदलाव नहीं पसंद
लेकिन उस बच्चे के लिए यह कोई सामान्य बात नहीं है। वह रोज़ाना अपने माता-पिता के इस झगड़े का शिकार हो रहा है। जो दो लोग किसी समय उसे प्यार की परिभाषा समझाते थे वे आज उसी के सामने लड़ रहे हैं, चीख रहे हैं, चिल्ला रहे हैं। उनके द्वारा बोला जा रहा एक-एक लफ्ज़ उस बच्चे के दिमाग को तहस-नहस कर रहा है। और यही बच्चा आगे चलकर कुछ ऐसा कर बैठता है जो उसे नहीं करना चाहिए था।
11. बीमारी
आपके लिए या मेरे लिए बीमार होना कोई बड़ी बात नहीं होगी। सिर्फ इस वजह से यदि कोई आत्महत्या करता है तो उसे हम पागल ही कहेंगे। लेकिन उस व्यक्ति से पूछिए जो पिछले कई वर्षों से बीमार है। वह बिस्तर से उठ नहीं सकता, कहीं जा नहीं सकता, उसकी जिंदगी बिस्तर पर पड़े रहने तक ही सीमित हो चुकी है। वह असहाय है, बस इसी के चलते वह सोचता है कि या तो मौत खुद आ जाए या फिर मैं ही कुछ कोशिश कर लूं!
12. उनके पास कोई ऑप्शन नहीं बचता
ऐसे मामले सच में बेहद संजीदा होते हैं, यहां आप किसी तरह की राय देकर परिस्थिति पर काबू नहीं पा सकते। क्योंकि जिस दर्द से वह रोगी गुजर रहा है, उसे केवल वही समझ सकता है। वह व्यक्ति रोज अनगिनत दवाएं ले रहा है, लेकिन उसका दर्द कम होने का नाम नहीं लेता। और उनके लिए यदि कोई ऑप्शन बचता है तो वह है हमेशा के लिए इस दर्द से छुटकारा पा लेना।
13. जब कोई चला जाए
आत्महत्या करने के कई सारे कारणों में से यह भी एक बड़ा कारण है। जब हम किसी को बेहद प्यार करते हैं, उसके बिना अपना एक पल भी गुजार नहीं सकते, जब वही व्यक्ति अचानक हमें छोड़ कर इतनी दूर चला जाए जहां से वह वापस नहीं आएगा, तो यह आत्महत्या का एक कारण बनता है।
14. उनके जाने का दुःख
लवर्स और पति-पत्नियों के बीच कुछ ऐसा ही प्यार होता है। कुछ लोग तो इस झटके को बर्दाश्त कर जाते हैं, लेकिन कुछ लोग अपने जीवनसाथी की मौत को वास्तविक रूप में अपना नहीं पाते। उनकी लाइफ उनके उस पार्टनर के साथ ही चली जाती है, अगर पीछे कुछ छूट जाता है तो वह एक अधमरा शरीर। जिसकी जीने की कोई इच्छा नहीं है। यदि आपकी नजर में कोई ऐसा व्यक्ति हो तो उसे किसी मनोवैज्ञानिक से मिलवाएं, इससे पहले कि काफी देर हो जाए।
15. जब लगे कि हम मूर्ख हैं
यह प्राब्लम कहने को इतनी बड़ी नहीं लगती, लेकिन ये आत्महत्या का कैसे कारण बनती है यह जानने योग्य बात है। दरअसल मूर्ख होना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। कोई भी व्यक्ति मूर्ख पैदा नहीं होता, उसे मूर्ख बनाता है यह समाज। जो पल-पल उसे यह एहसास दिलाता है कि वह बाकी लोगों की तरह तेज़ दिमाग वाला नहीं है। वह चीजों को उतनी तेजी से समझ नहीं सकता, जैसा कि बाकी लोग जान लेते हैं।
16. लेकिन असल बात को समझें
लेकिन उसकी मूर्खता का कारण वह खुद नहीं है, ये वो लोग हैं जो उसे इस बात का निरंतर एहसास कराते हैं। उसके दोस्त, परिवार वाले और यहां तक कि जो उसे प्यार करते हैं वह भी उसकी मूर्खता का ढोल उसके सामने बजाते रहते हैं। लेकिन वे नहीं जानते कि अंदर ही अंदर वह व्यक्ति इन तानों से परेशान हो चुका है, और वह दिन दूर नहीं जब वह कोई बड़ा कदम उठा सकता है।
17. जब लोग बनते हैं कारण
यह कारण कुछ वैसा ही जैसा कि हमने मूर्खता वाले मामले में बताया, लेकिन इसकी गहराई कुछ अधिक है। आपने अकसर ऐसे लोगों को देखा होगा जो एक-दूसरे की टांग खींचते रहते हैं। बात-बात पर उन्हें नीचा दिखाते हैं। स्कूल में या कॉलेज में ऐसे कुछ लोग होते हैं जो मिलकर ग्रुप में से किसी एक को बुरा-भला सुनाते हैं, उसका मजाक उड़ाते हैं, इसे वह हंसी-मजाक करने का एक जरिया बना लेते हैं।
18. जब कोई बनाये मजाक
और यह रोजाना का काम बन जाता है, लेकिन जिस व्यक्ति का मजाक बनाया जा रहा हो, जिसका सरेआम अपमान किया जा रहा हो, वह वक्त के साथ मानसिक रोगी बन जाता है। वह इन बातों से परेशान हो जाता है और दुनिया से और सभी लोगों से दूर चला जाना चाहता है। ऐसे लोगों को उनके परिवार वाले भी जब नहीं समझते, तब मामला और भी उलझ जाता है।
19. शोषण
शोषण… मानसिक या शारीरिक, दोनों ही एक गुनाह है। लेकिन ना जाने शोषण करने वाले लोग इस बात को कब समझेंगे! जो लोग शोषण का शिकार होते हैं, उनके लिए इससे बाहर निकलने का सबसे आसान तरीका होता है आत्महत्या कर लेना। और तब जब शोषण करने वाला हर पल उन्हें प्रताड़ित करता रहता है, रोज़ उसे वही परिस्थिति से गुजरना पड़ता, तब आत्महत्या करने का उसका फैसला और भी मजबूत होता चला जाता है।
20. भावनाएं
सिर्फ कमजोर दिल के लोग ही भावनाओं के चलते आत्महत्या का फैसला लेते हैं, यदि आप यह समझते हैं तो आप बिल्कुल गलत हैं। आत्महत्या अपने आप में ही एक कठोर फैसला है। खुद को खत्म कर देना आसान कैसे हो सकता है? शारीरिक शोषण की तरह ही किसी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना, आत्महत्या का एक बड़ा कारण बन जाता है।
21. तब करते हैं लोग आत्महत्या
यह अकसर उनके साथ होता है जो प्यार में धोखा खाते हैं। किसी को दिल से प्यार करने के बाद, अपनी सारी लाइफ उनके साथ बिताने का सपना देखने के बाद जब कोई धोखे का शिकार होता है तो वह बुरी तरह से टूट जाता है। उसके अंदर भावनाओं का वह तूफान चलता है जो संभाले नहीं संभलता। ऐसे लोगों को यदि जल्द से जल्द उन बुरी भावनाओं से बाहर लाया जाए तो बचाव हो सकता है अन्यथा परिणाम बुरा ही होगा।
22. यौन उत्पीड़न
आत्महत्या का इससे बड़ा कारण शायद हो नहीं सकता। यहां हम केवल महिलाओं की बात नहीं करेंगे, बल्कि हाल ही में हुए एक रिसर्च में यह पाया गया है कि पुरुष भी आजकल यौन उत्पीड़न के कारण आत्महत्या तक करने की सोच लेते हैं।
23. इससे बहार निकलना है मुश्किल
ऑफिस में, स्कूल में, कॉलेज में, कहीं बाहर या फिर खुद के ही घर में लोग यौन उत्पीड़न का शिकार हो जाते हैं। यह सच में समाज में फैल रही एक बड़ी और भयंकर बीमारी जैसा हो गया है। इस पर काबू पाना भी मुश्किल बन गया है। कौन, कहां और कब अपने चेहरे पर शराफत का मुखौटा लगाए चल रहा है, लेकिन असलियत में वह किसी की जिंदगी तबाह कर सकता है यह कोई नहीं जानता। आजकल यौन उत्पीड़न का शिकार हो चुके लोगों को इस दर्द से बाहर निकालने के लिए कई मनोवैज्ञानिक इलाज मौजूद हैं, लेकिन इसमें सफलता कम को ही मिलती है।
24. डिप्रेशन
अब तक बताए सभी प्वाइंट्स का सार एक ही है…. डिप्रेशन! कारण कोई भी हो, कैसा भी हो अंत में लोग डिप्रेशन का शिकार होकर ही आत्महत्या का फैसला लेते हैं। कोई बीमारी के कारण डिप्रेशन में चला जाता है, कोई प्यार खो जाने के कारण इस परेशानी का शिकार होता है तो कोई शोषण की वजह से डिप्रेशन के दलदल में धंसता चला जा रहा है।
25. हर किसी के लिए यह अलग है
वैसे तो डिप्रेशन को कोई सीमित परिभाषा नहीं है, जो लोग इसका शिकार हैं वह इसे अपने तरीके से ही परिभाषित करते हैं। शायद आप भी डिप्रेशन की एक नई ही परिभाषा दें। डिप्रेशन के कारण आत्महत्या करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। यह काफी दुखद बात है, लेकिन एक कड़वा सच यह भी है कि डिप्रेशन से लड़ना बहुत मुश्किल है।
अपने अपनों से वार्तालाप करें, मित्रों से, परिवार से, रिस्तेदारों से बात करें, छोटी छोटी बातों को मन में तूल ना दें। झिझके नही, घबरायें नही, विचलित ना हो, शर्माएं नही खुुलकर बात करें। योग, प्राणायाम् करें, ध्यान लगायें।