पतंजलि द्वारा कोरोनिल लांच के बाद से ही बाबा रामदेव का व आयुर्वेद का मजाक उड़ाने वाले गैंग सामने आने लगे।
आचार्य बालकृष्ण एवं आयुर्वेद का मजाक उड़ाने वाले ये गैंग इनसे पहले भी थे। जिन्होंने आयुर्वेद को कभी पनपने ही नहीं दिया। ये वही लोग हैं जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं के घोर विरोधी रहे हैं। इनको खाना भारत का है और गीत एलोपैथिक के गाने हैं। ये वही गद्दार लोग हैं जिनके कारण देश में ई क्षेत्रों में आज तक उन्नति नहीं हो पाई। आयुर्वेद पर पिछड़ता चला गया। कुछ दिनों से बाबा रामदेव राजीव दीक्षित और आचार्य बालकिशन ने जो बीड़ा उठाया वह अपने आप में अद्भुत है। सराहनीय कदम है और साहसी कदम है। क्योंकि एलोपैथिक के गैंग से लड़ना, उनकी लोबी से लड़ना, उनके अनैतिक व्यापार पर कुठाराघात करना आसान नहीं था। यह बीड़ा बाबा ने उठाया इससे हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। गर्वित होना चाहिएंं अपने भारतीय होने पर।
क्या पतंजलि ने बंदूक की नोक पर आप को लूटा?
क्या आचार्य बालकृष्ण ने आपकी जेब काटी ?
क्या आचार्य जी ने समोसा, चटनी ताबीज, भभूत के नाम से आपको उल्लू बनाया?
क्या बाबा ने फिल्म और सीरियल के माध्यम से भारतीय संस्कृति का या मानवीय मूल्यों का कहीं नुकसान किया? या अनैतिकता पूर्ण कोई कार्य किया? आज भी वो टेलीविजन के पर बताते हैं कि आप घर में अपना उपचार कैसे करें? अपके घर में ही औषधि उपचार कैसे करें? घर में बनाई हुई औषधियों से उनको कोई परहेज नहीं है। वह कभी यह नहीं कहते कि हमारी ही औषधि खरीदो। पतंजलि से बनी हुई औषधि ही खरीदोंं। उनका कहना है कि आपके आसपास अगर यह जडी बूटी मिल जाए तो ठीक, नहीं तो आप पतंजलि से ले सकते हैं। ₹ 1 की दवाई ₹18000 तक की एलोपैथिक में बिकती है। क्या बाबा ने ऐसा कोई काम किया? बाबा के आलोचकों को यह सोचना चाहिए कि भारतीय संस्कृति का मान बढ़ाने वाले, भारतीय चिकित्सा पद्धति का मान बढ़ाने वाले, आयुर्वेद का मान बढ़ाने वाले योग को 200 देशों तक पहुंचाने वाले बाबा रामदेव और बालकिशन और साथ में राजीव दीक्षित जी का भी बहुत बड़ी भूमिका थी।
इसमें सबको धन्यवाद करने के बदले इनकी आलोचना करना कितना उचित होगा?
जरा सोचिएं
क्या 200 देशों में योग पहुंचाकर रामदेव जी व पतंजलि ने हाफिज सईद व दाऊद इब्राहिम जैसा गुनाह व वैश्विक अपराध किया है ?
क्या मदर टेरेसा जिसको जीते जी चमत्कारी संत घोषित किया,
जो छूकर बीमारी ठीक करती थी
वह हॉस्पिटल में तड़प तड़प कर मरी,
आपने कभी कोई प्रश्न उठाया?
क्या आचार्य बालकृष्ण या बाबा रामदेव ने खुद को भगवान, गॉड या अवतार घोषित किया ?
क्या हॉस्पिटल खोलना, अनाथालय खोलना, विद्यालय खोलना, धर्मशाला बनाना, शहीदों को सम्मानित करना, लंगर चलना, किसान के खेत से जड़ी बूटियां खरीदकर मिलावट रहित चीजे बनाकर पाप किया है ?
क्या आचार्य बालकृष्ण जी विजय माल्या, नीरव मोदी की तरह देश को लूटने का अपराध किया है?
आप सालों तक आप अपनी जेब कटवा कर फेयर एंड लवली रगड़ते रहे, क्या आप गोरे हुए?
इस पतंजलि का पाप यह है कि इसने कोलगेट जो नीम, तुलसी, वेद, रामायण, महाभारत को नही मानती थी, हम हड्डियों का चूर्ण रगड़ते थे।
उस 80 साल पुरानी कोलगेट को इसी हवाई चप्पल में रहकर , फटी बनियान पहनने वाले आचार्य ने वेदशक्ति बनाने को मजबूर कर दिया ?
पर उससे आपको दिक्कत नही,
क्योंकि हिंदुस्तान यूनिलीवर, कोलगेट, नेस्ले तो आपकी अपनी कंपनियां है।
और वह तो व्यापार नही जो कमाती है वह सीधे अंग्रेजो को नही प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष में भेजती है ?
क्या आप ने सवाल उठाया कि जब 2000 साल पहले महर्षि सुश्रुत 100 प्रकार की सर्जरी कर सकते थे, तो आज भारत में आयुर्वेद के ऊपर अनुसंधान क्यों नहीं की होता?
क्या आपने कभी पश्न उठाया कभी ?
आज भारत में एलोपैथी के ऊपर सारा बजट क्यों खर्च किया जाता है ?
क्या आपने कभी कश्मीर में पत्थरबाजी करने वाले आतंकवादियों पर सवाल उठाया?
क्या आपने किसी डॉक्टर को आंखों के डॉक्टर को चश्मा लगाते हुए इलाज करते देखकर उसके ऊपर सवाल उठाया?
क्या हमने देश के अंदर लाखों विदेशी कंपनियां जो लूट रही है उस पर सवाल उठाया ?
जॉनसन एंड जॉनसन के ऊपर अमेरिका में पाउडर से कैंसर होने 32000 करोड का जुर्माना किया गया, लेकिन शायद इसपर आपको यकीन ना हो तो गूगल कर लो ।
क्या आपने कभी उसके ऊपर सवाल उठाया ?
कभी पोस्ट डाली कि भारत मे उसको बैन किया जाए?
याद रखिये हम यह विरोध करके पतंजलि का नही भारत का नुकसान कर रहे हैं?
लाला लाजपत राय ने कहा था कि पूरी दुनिया में केवल भारतीय हिंदू ऐसी कौम है जो अपने महापुरुषों ,अपने व्रत, त्योहार, परंपराओं , संस्कृति और अपने भगवानों को गाली देकर उनका अपमान करके गर्व महसूस करते हैं?
हम होली पर, दिवाली पर , करवा चौथ पर, रक्षाबंधन पर, अपने तो अपने भगवान श्रीकृष्ण पर , हनुमान जी को भी नही छोड़ा, उन पर चुटकुले बनाकर , उनका मजाक करके , उपहास बनाकर उनके ऊपर पोस्ट वायरल करके हम समझते हैं हम बहुत पढ़े लिखे हो गए,
सोचते है कि हमने बहुत बड़ा तीर मार लिया और हम महान हो जाएंगे।
अगर आप पतंजलि बाबा रामदेव , आचार्य बालकृष्ण को गाली देकर तीस मार खां बन सकते हैं,
आपको भारत रत्न मिल जायेगा, आप परमवीर बन जायंगे तो आप जरूर कीजिये,
ताकि ऊपर बैठकर भगत सिंह , राजगुरु, आज़ाद, बिस्मिल, सावरकर जी हमे देखकर सिर पीट सके कि हम जैसे निक्कमे, नकारा लोगों के लिए वह क्यों खामखां फांसी चढ़े?…….
हर समय भारतीय संस्कृति , धर्म , आयुर्वेद और देवी देवताओ का विरोध क्यों ?