सामाजिक बुराइयों का दोषी कौन – गुरुजी भू

 

मनोरंजन के नाम पर घिनौनापन

माता पिता बच्चों के साथ टीवी देखते है जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहाग रात मनाते है।

एकता कपूर नाम की एक ही प्रोड्यूसर ने लाखों घरों में आग लगा दी है।

एसे हजारों प्रोड्यूसर बाजार में पैसे कमाने, भारतीय संस्कृति को मिटाने को उतर चुके है।

किस करते है। आँखो में आँखे डालते है।
टप्पू के पापा और बबिता जिसमे एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकता नज़र आएगा ,पूरे परिवार के साथ देखते है।
इन सब serial को देखकर आपको गुस्सा नही आता ?
फिल्म्स आती है जिसमे किस (चुम्बन, आलिंगन), रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है।
पर आप बड़े मजे लेकर देखते है, इन सब को देखकर आपको गुस्सा नही आता ?
खुलेआम TV- फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते है।
उनके मन मे जहर घोलते है।
तब आपको गुस्सा नही आता ?
क्योकि आपको लगता है कि रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है पुलिस,
प्रशासन, न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी है
लेकिन क्या समाज और मीडिया की कोई जिम्मेदारी नही।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस दोगे क्या ?
आप तो अखबार पढ़कर।
News देखकर बस गुस्सा निकालेंगे।
कोसेंगे सिस्टम को,
सरकार को,
पुलिस को,
प्रशासन को,
DP बदल लेंगे,
सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे,
बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे लेकिन
TV चैनल्स, वालीवुड, मीडिया को कुछ नही कहेंगे।
क्योकि वो आपके मनोरंजन के लिए है।
सच पुछिऐ तो TV Channels अश्लीलता परोस रहे है ,पाखंड परोस रहे है, झूंठे विज्ञापन परोस रहे है , झूंठे और सत्य से परे ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र, ताबीज आदि परोस रहै है।
उनकी भी गलती नही है। क्योंकि आप खरीददार हो ?
बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो ।

जो लोग मजारों पर मत्था फोडने जाते है उनकी विकृत मानसिकता के कारण आतंकवाद पनप रहा है।

अभी टीवी का खबरिया चैनल मंदसौर के गैंगरेप की घटना पर समाचार चला रहा है।
जैसे ही ब्रेक आये:-
पहला विज्ञापन बोडी स्प्रे का जिसमे लड़की आसमान से गिरती है,
दूसरा कंडोम का,
तीसरा नेहा स्वाहा-स्नेहा स्वाहा वाला,
और चौथा प्रेगनेंसी चेक करने वाले मशीन का
जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है।
क्योंकि
“हादसा एक दम नहीं होता,
वक़्त करता है परवरिश बरसों !”
ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है।

ये राक्षस को भी भगवान बनाकर पेश करता है तो विवेकशून्य मूर्ख जनता मानती है।

अपने परिवार के संस्कारों के आप स्वयं उत्तरदायी है।

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