विश्व मित्र परिवार का 139वां कार्यक्रम हरित क्रांति और आत्मनिर्भर भारत सम्पन्न

तरंगन्यूज: नई दिल्ली: विश्व भर में फैली महामारी से परेशान सारा विश्व आज नए आयामों की तरफ बढ़ रहा है। इस कोरोना का काल में, इस प्रलय काल में सामाजिक संगठनोंं ने भी अपनी भूमिका निभाई है। इसी कड़ी में एक बहुत बड़ा निष्ठावान संगठन विश्व मित्र परिवार भी है, जिन्होंने अब तक बहुत से कार्यक्रम किए हैं लेकिन इस कोरोना वायरस काल में केवल वर्चुअल प्रोग्राम कर रहे हैं। वीडियो कार्यक्रम कर रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा या एप के द्वारा कार्यक्रम करते जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों की कड़ी में एक ऐसा कार्यक्रम किया गया जो आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर है। उसमें बहुत से गणमान्य लोगों ने भाग लिया। मुख्य रूप से मुख्य वक्ता श्री मार्कंडेय राय जी ने अपने वक्तव्य में भारत के सर्वांगीण विकास की बात पर बल दिया। उन्होंने कहा भारत का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। ये तब होगा जब हम सब लोग मिलकर भारत को स्वर्णिम भारत, विश्व गुरु भारत की गरिमा स्थापित करने में लगे। केवल एक व्यक्ति के करने से या केवल सरकार के सोच लेने से, सरकार के नियम कानून बना देने से ऐसा संभव नहीं है। श्री मार्कंडेय राय जी ने राष्ट्र के निर्माण के बहुत सारे गुुुर बताएं और इन सब बातों पर चर्चा करते हुए राष्ट्र निर्माण की, आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदमों का स्वागत किया। युवाओं का आवाहन किया।

ग्लोबल चैम्बर ओफ कॉमर्स & इंडस्ट्री के महासचिव श्री आशीष गुप्ता ने कहां कि ये सभा अपने स्वदेशी एप पर हो रही है ये प्रसन्नता की बात है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री विजय खुराना ने की। श्री खुराना जी ने खुशी प्रकट करते हुएं कहा कि इस स्वदेशी ऐप पर आयोजित की गई सभा सराहनीय है। जिओमीट पर यह मीटिंग रखी गई क्योंकि यह स्वदेशी है। आत्मनिर्भर भारत तभी बनेगा जब स्वदेशी को अपनाएंगे और अपने देश की चीजों को ग्लोबल बनाएंगे। इस लिए हमें गौकृषि पर विशेष ध्यान देना होगा। गाय बचेगी तो समाज व संस्कृति बचेगी।

कार्यक्रम का संचालन श्री गुरुजी भू ने किया। हरित क्रांति और आत्मनिर्भर भारत सभा का आवाहन और संचालन करने वाले श्री गुरु जी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का अर्थ यह नहीं है कि केवल हम अपने लिए ही आत्मनिर्भर हो जाएं। हमें समस्त विश्व की रक्षा के लिए, सुरक्षा के लिए और उसके भरण-पोषण के लिए भी तैयार होना है। आत्मनिर्भर भारत यही है कि हम वसुधैव कुटुंबकम वाले लोग हैं। हम समस्त विश्व को अपना परिवार समझते हैं। हमें सभी की शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा, न्याय, शान्ति का विशेष ध्यान रखना है। केवल मानव की ही नहीं वरन समस्त जीवो की रक्षा करने का दायित्व हम भारतीयों पर है। प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण का दायित्व हम भारतीयों पर है। प्रकृति के सभी जीव-जंतु पेड़-पौधे उन सब का संतुलन बनाए रखना, प्रकृति का संतुलन बनाए रखने का दायित्व भी हम भारतीयों पर ही है। इसलिए इस विषय को आगे बढ़ाते हुए हम इस विषय पर निरंतर चर्चा करते रहेंगे। अब हम सप्ताह में दो या तीन मीटिंग अवश्य करते हैं। यह मीटिंग जारी रहेंगी। सभी युवाओं का आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि युवा वर्ग ही आत्मनिर्भर भारत बना सकता है।आज विश्व की सर्वाधिक युवा शक्ति भारत के पास है। यह हमारी धरोहर है। यह हमारी पूंजी है। यही भारत की सबसे बड़ी पूंजी है। इसको हमें समझना होगा। इस युवा ऊर्जा का सदुपयोग करना होगा। दुरुपयोग की तरफ से रोकना होगा क्योंकि इसमें से कुछ युवा दुरुपयोग अपनी शक्ति का दुरुपयोग भी कर रहे हैं। उनको रोकना होगा। समझाना होगा। उस युवा शक्ति को सकारात्मक ऊर्जा की ओर लगाना होगा। सकारात्मक पहलुओं की ओर ले जाना होगा। सकारात्मक ऊर्जा के साथ हरित क्रांति करनी होगी। हरियाली को बचाना होगा। प्रकृति को संरक्षण देना होगा। प्रकृति और पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखना होगा। जैविक कृषि पर विशेष ध्यान देना होगा। तभी आत्मनिर्भर भारत बनेगा। इस सभा के मूल निष्कर्ष निकालते समय हमने देखा कि आत्मनिर्भर भारत किस तरीके से बनेंं। उसका अर्थ क्या है ? यह कुछ बिंदु नीचे दिए जा रहे हैं कि हम किस तरीके से आगे बढ़ सकते हैं और हमें आगे बढ़ना ही होगा।

 

आज की सभा के निष्कर्ष

शुद्ध जल, वायु, आहार, सबका समान अधिकार।

हरित आत्मनिर्भर का अर्थ यह है कि हमें प्राकृतिक सन्तुलन को ध्यान में रखकर प्रकृति के संसाधनों का प्रयोग करना शुरु कर देना है।
इसका अर्थ है कि हमें सबसे अच्छा निर्माण करने की क्षमता भारत में विकसित करनी है।

 

हरित आत्मनिर्भर का अर्थ यह नहीँ है कि आई फोन की जगह लावा का फोन प्रयोग करना शुरु कर देना है।
इसका अर्थ है कि आई फोन से अच्छा फोन निर्माण करने की क्षमता भारत में विकसित करनी है।

आत्मनिर्भर का अर्थ यह नहीँ है कि तुरन्त BMW को फेककर मारुती पर आ जाना है।
इसका अर्थ है कि BMW से अच्छी क्वालिटी की गाङी हमारे देश के इंजिनीयर स्वयं विकसित कर सकें।

आत्मनिर्भर का अर्थ यह नहीँ है कि राॅडो की घङी फेककर टाईटन को लगा लेना है।
इसका अर्थ है कि खुद राॅडो से अच्छी घडी निर्माण करने की क्षमता भारत में विकसित करनी है।

आत्मनिर्भर का अर्थ यह नहीँ है कि देशी और विदेशी कंपनियों की लिस्ट बताकर जबरदस्ती देशी वस्तुएं खरीदना है।
इसका अर्थ है कि हम एसा सर्वोत्तम ब्रांड खडा कर देना है कि लोग स्वयं उसे अपने पसंद, स्वेच्छा से, गर्व से, गुणवत्ता केे कारण खरीदना शुरु कर दें।

 

आत्मनिर्भर का अर्थ यह नहीँ है कि हम विदेशी सामान का आयात एकदम बन्द कर दें।
इसका अर्थ यह है कि हमारा खुद का माल इतना सस्ता और अच्छा हो कि विदेशी माल को छोङकर लोग स्वयं ही उसे खरीद लें।

 

आत्मनिर्भर का अर्थ यह नहीँ है कि आप दुनिया भर के साॅफ्टवेयर का प्रयोग बन्द कर दें।
इसका अर्थ यह है की आप स्वयं  इतना अच्छा साॅफ्टवेयर विकसित करें की दुनिया भर के लोग अपनी स्वेच्छा से उसका चयन करने को मजबूर हो जांय।

 

आत्मनिर्भर का अर्थ यह नहीँ है कि आप भीखमंगो की तरह अपने खाते में रुपये लेने का आग्रह करें।
इसका अर्थ यह है की आप अपना उद्योग सरकार की मदद से लगाएं और धीरे-धीरे अपने पैरो पर खङे होते हुए सरकार का पैसा वापस कर दें।

 

आत्मनिर्भरता का मतलब स्वदेशी खरीददारी भी नहीं है।
इसका अर्थ है देश और दुनिया को जिन वस्तुओं की, जिस गुणवत्ता की आवश्यकता है, उन उन वस्तुओं को उन उन क्वालिटी का देश में बनाने की क्षमता विकसित करनी है।

 

आत्मनिर्भरता का मतलब देश और दुनिया में गिङगिङा कर अपना माल बेचना नहीं है।
इसका मतलब है की अपनी क्वालिटी और ब्रांडिंग इस स्तर की करनी है कि लोग “बाई च्वाईस” आत्मनिर्भरता को अपने पूर्वाग्रह पर तौलना बन्द करिए।
नये सिरे से सोचना शुरु करिए।

आत्मनिर्भरता का मजाक उङाना स्वयं अपने वजूद का मजाक उङाना है।
आत्मनिर्भर होना हर व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का स्वप्न होना ही चाहिए।

 

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