मानवता की बात करों धार्मिक कुतर्कों में कभी नही पडना चाहिएंं – गुरुजी भू

एक बार दो धार्मिक धर्मावलंबियों में कुछ बहस छिड़ गई और तर्क के साथ कुछ कुतर्कों को भी सुनना पड़ा आइए जानते हैं कुछ तर्क कुतर्क वितर्क।

 

एक मौलाना अपने मित्र हरपाल से बोले :- आइये हम ख़ुदा के तसव्वुर पर बात करें।

हरपाल :- जी ….जी कहें।

मौलाना  :- आपके धर्म में कितने ईश्वर की मान्यता है।

हरपाल :- जी…..33 करोड़ देवी-देवताओं को हमलोग मानते हैं। वैसे 33 कोटि है अर्थात 33 तरह के देव।

मौलाना  :- बुरा न मनाए, लेकिन आप हिंदुओं ने ईश्वर के तसव्वुर को बिगाड़ कर रख दिया है।

हरपाल :- कैसे?

मौलाना  :- जब वेदों ने एक सर्वशक्तिमान परमात्मा की बात कही तो क्यों आपलोगों ने उसके शक्ति को कम करने का पाप किया और बहुदेववाद की अवधारणा गढ़ ली और अब हालत ये है कि आपके यहाँ ईश्वर कुछ नहीं कर सकता बल्कि कामों को करवाने के लिए वह देवताओं का मोहताज़ है और ऐसे अलग-अलग कामों को करने के लिए उसने 33 करोड़ देवी- देवताओं को तैनात किया हुआ है।

हरपाल :- मसलन ?

मौलाना :- मसलन उसने पानी बरसाने के लिए इंद्र और वरुण को रखा, यमदूत और यमराज रखे ताकि लोगों के आमाल के हिसाब-किताब का काम उसे ले रखे, ज्ञान के लिए सरस्वती को रखा, धन के लिये लक्ष्मी रखी, अन्न के लिए अन्नपूर्णा को वगैरह वगैरह।

हरपाल :- “साहब! हमारे यहाँ तो जो है उसे मैं तस्लीम करता हूँ पर क्या यही आपके यहाँ नहीं है?”

मौलाना :- आप कहना क्या चाहते हो?

हरपाल :-  परमात्मा को देवताओं का मोहताज़ बताने की जो अवधारणा हमारे यहाँ वही तो आपके यहाँ है और हमारे यहाँ से कहीं अधिक है। उदाहरण देता हूँ आप गिनते जाइये।

● आपके यहाँ एक फरिश्ते हैं हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम जो सबसे बुजुर्ग और सबसे आला फ़रिश्ते माने जाते हैं। उनका काम है अल्लाह का संदेश रसूल तक पहुंचाना और रसूल का संदेश अल्लाह तक यानि उनका रोल तकरीबन वही है जो हमारे यहाँ नारद जी का है।

● दूसरे फ़रिश्ता हैं हज़रत मीकाईल अलैहिस्सलाम जिनके बारे में आता है कि वो आसमान वालों के इमाम हैं यानि धर्म गुरु यानि उनका दर्ज़ा ठीक वही है जो इधर देवगुरु बृहस्पति का है।

● एक फ़रिश्ता हैं हज़रत इजराइल हैं जिन्हें मौत का फ़रिश्ता कहा जाता है यानि ठीक वही ओहदा जो हमारे यहाँ यमराज का है। इजरायल के जिम्मे भी कुछ फ़रिश्ते हैं जिन्हें मलकुल-मौत कहा जाता है, यानि जैसे इधर यमदूत।

● एक फ़रिश्ते हैं मलकुल-क़तर अलैहिस्सलाम जिनका काम है बारिश करवाना यानि ठीक वही काम जो इधर इंद्र का है।

● जन्नत की निगरानी के लिये तैनात फ़रिश्ते का नाम है रिज़वान और जहन्नम पर तैनात फ़रिश्ते का नाम मालिक यानि स्वर्ग और नर्क के मालिक यमराज और चित्रगुप्त की तरह।

● एक फ़रिश्ते हैं रअद जिन्हें बदली का फ़रिश्ता माना है जिनका काम है बादलों के बीच से अग्नि पैदा करना यानि इधर के अग्नि देव से मिलता-जुलता काम।

● एक फ़रिश्ते हैं जिनका काम लोगों को अन्न प्रदान करना है यानि ठीक वही जो इधर अन्नपूर्णा देवी की भूमिका।

● एक फ़रिश्ते को नदी और समंदर का फ़रिश्ता माना जाता है जैसे इधर वरुण देव।

● इन सबके अलावा कुछ और फ़रिश्ते हैं जिनके जिम्मे अलग अलग काम है। मसलन हज़रत इस्राफील को कयामत के दिन सूर फूँकने को रखा गया है, एक हैं हज़रत मीता तरुश जिन्हें पर्दों का सरदार कहा जाता है, एक रूह नाम के फ़रिश्ते हैं जो चौतीस पदम् तीस खरब भाषाओं में अल्लाह की तस्बीह करते हैं, बर्क नाम के एक फ़रिश्ते के चार मुँह हैं, एक फ़रिश्ते का नाम है सुदाक है जिसका जिस्म विशालकाय है, एक हैं दीक जिनका काम है रोज आसमान वालों को सुबह-सुबह जगाना, एक फ़रिश्ते हैं मलिकुल-जीबाल जिन्हें पहाड़ों का फ़रिश्ता माना जाता है, एक हैं रमाईल जिन्हें मोमिनों के रूह का खजांची कहा जाता है, एक फ़रिश्ते हैं दोमह इनको काफ़िरो के रूह का पहरेदार कहा जाता है, दो फ़रिश्ते हैं मुनकर और नकीर जो मरे हुए लोगों की रूहों से सवाल-जबाब करेंगे, इनके तीन सहयोगी भी होंगे जिनका नाम है- अनजर, नाकुर और रूमान। कुछ फ़रिश्ते हैं जिन्हें पेड़ से गिरते पत्ते गिनने पर लगाया गया है, शराहील नाम का फ़रिश्ता रात का निगहबान है और हराहील दिन का, एक फ़रिश्ते हैं इरतियाईल जो मोमिन के दिल से गम मिटाते हैं, कुछ फरिश्तों ने अपने सर पर जमीन को उठाया हुआ है, कुछ फ़रिश्ते हैं जो जन्नतियों के लिए जेवर तैयार करने के काम में लगे हैं और ये तो केवल कुछ उदाहरण मैंने आपको दिये हैं जिनके बारे में मुझे मुंह-जबानी याद है यानि इसके बेशुमार उदाहरण और हैं।

और जहाँ तक इधर 33 करोड़ देवी देवताओं की बात है फिर तो आप और भी मुश्किल में आने वाले हो क्योंकि एक हदीस में आता है कि हर इंसान के साथ बीस फ़रिश्ते लगे होते हैं यानि वर्तमान विश्व में अगर मानव आबादी छह अरब है तो फ़रिश्ते की तादात हुई 120 अरब, फिर एक और हदीस में है कि जो मोमीन होंगे उनपे 360 फ़रिश्ते तैनात होते हैं अब मोमीन की संख्या आप बताकर उसमें 360 से गुना कर उसकी सही तादाद निकाल लें। इसके आगे बात करें तो आठ फ़रिश्ते हैं जिन्होंने अल्लाह का अर्श उठाया हुआ है, कई और फ़रिश्ते हैं जो शबे-कद्र की रात धरती पर नाज़िल होते हैं, 19 फ़रिश्ते जन्नत पर तैनात हैं, जन्नम में जब किसी को आग के हवाले किया जायेगा तो उसे वहां 1000 फ़रिश्ते घसीटते हुए ले जायेंगे, एक फ़रिश्ते इस्माईल हैं जिनके अधीन 70 हज़ार फ़रिश्ते हैं, सूरज के निकलते वक़्त उनपर 360 फ़रिश्ते पर्दा करते हैं, 70,000 फ़रिश्ते पुकारते हैं कि निकल आओ फिर शाम को 7 फ़रिश्ते सूरज पर बर्फ फ़ेंककर उसे ठंडा करते हैं, कई फ़रिश्ते हैं जिन्हें माओं के गर्भ पर तैनात किया गया है, एक रिवायत के अनुसार काबा के रुक्म-ए-यमनी कोने के पास इतने फ़रिश्ते तैनात हैं कि उनकी गिनती असंभव है।

अब एक आखिरी उदाहरण और देकर समाप्त करूँगा। आपके किताबों के अनुसार धरती के काबे के ठीक ऊपर सातवें आसमान पर एक काबा और है जिसे बैतूल मामूर कहा जाता है और उसके बारे में कहा जाता है कि उसके बनने के दिन से आजतक हर दिन सत्तर हजार फ़रिश्ते उसका तवाफ़ करते हैं और जिस फ़रिश्ते ने उसका तवाफ़ कर लिया उसका नम्बर अब कयामत के रोज ही आयेगा। अब आपकी सुविधा के लिए मान लीजिये कि उस बैतूल मामूर का निर्माण आज से चौदह सौ साल पहले हुआ और कयामत कल ही आने वाली है तो भी फ़रिश्तो की तादाद बनती है: 70,000× 365× 1400 , अब आप ऊपर से सबका टोटल करिये तो पता चलेगा कि आपके फरिश्तों की कुल तादाद ने हमारे 33 करोड़ देवताओं की तादाद को कबका पीछे छोड़ दिया है :relaxed: उधर अगर हमारे वाले देवताओं के मोहताज़ हैं तो इधर वही मोहताज़ी फरिश्तों पर है इसलिए बेहतर है कि मजहबी मामलों में कम से कम मेरे जैसे लोगों के साथ ठंड रखा कीजिए।

मौलाना :- अच्छा फिर कभी गुफ़्तगू होगी।

हरप्रीत :- जी ! आपका सदैव स्वागत है।

 

इसलिए कहता हूँ कि मानवता की बात करों धार्मिक कुतर्कों में कभी नही पडना चाहिएंं।

– गुरुजी भू

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