सावधान: आपके बैंक खाते से भी पैसे चोरी हो सकते है

तरंगन्यूज: पिछडा कहे जाने वाले झारखंड के जामताड़ा में काफी समय से क्रेडिट और डेबिट कार्ड फ्रॉड चल रहा है। बीच बीच में ये फ़्रॉड कम तो होता है, लेकिन अब तक इस पर पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सका है। हाल ही में जामताड़ा नाम से एक नेटफ्लिक्स की सीरीज़ भी आई थी।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अब एक बार फिर से जामतड़ा से बैंक से पैसे गायब करने की ख़बर है। लेकिन इस बार ई-सिम फिशिंग फ्रॉड हो रहे हैं। आइए जानते हैं ये ई-सिम फ्रॉड क्या है और आप इसका शिकार होने से कैसे बच सकते हैं।

पुलिस के अनुसार साइबर क्रिमिनल्स लोगों को धोखा देने के लिए इनोवेटिव तरीके अपना रहे हैं। ई-सिम कार्ड के बारे में एयरटेल या किसी भी कम्पनी की तरफ से खुद को बता कर कॉल करते हैं।

ई-सिम फ़्रॉड नया नहीं है और काफ़ी पहले से ही भारत में ई-सिम फ्रॉड के ज़रिए लोगों के पैसे उड़ाए जाते हैं। पहले जानते हैं ई-सिम क्या है?

ई सिम क्या है?

मोटे तौर पर समझें तो दो तरह के सिर होते हैं। एक फ़िज़िकल और दूसरा वर्चुअल। फ़िज़िकल सिम वो है जो आप अपने फ़ोन के कार्ड स्लॉट में लगाते हैं। लेकिन ई-सिम आपको फ़ोन में लगाना नहीं होता है और ये आपके फ़ोन में पहले से ही इनबिल्ट होता है।

हालांकि भारत में चुनिंदा कंपनियां ही ई-सिम की सर्विस देती हैं। ई-सिम सपोर्ट सिर्फ़ मोबाइल में होने से नहीं होता, बल्कि इसके लिए नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर को भी सपोर्ट देना होता है।

जैसे फ़िज़िकल सिम के साथ आप किसी टेलीकॉम कंपनी का प्लान यूज करते हैं, इसी तरह ई-सिम के साथ ही। अगर कोई जियो या एयरटेल का ई-सिम लेना चाहते हैं तो प्लान भी उन्हीं कंपनियों के होंते है।

ई सिम से चोरी कैसे की जाती हैं?

साइबर क्रिमिनल्स पहले फ़ोन नंबर की डायरेक्टी का ऐक्सेस हासिल करते हैं। इसके बाद टार्गेट कस्टमर को कॉल करके ख़ुद को टेलीकॉम कंपनी का कस्टमर केयर बताते हैं।

दूसरे स्टेप के तौर पर उन्हें एक मैसेज भेजा जाता है जिसमें वॉर्निंग मैसेज दिया गया होता है। KYC कराने को कहा जाता है और ऐसा न करने पर सिमट ब्लॉक हो सकता है।

कॉल करके एक बार फिर से उन्हें ई-सिम ऐक्टिवेशन के बारे में बताया जाता है और इसके बाद उनसे बेसिक डीटेल्स मांगी जाती है।

दूसरे मैसेज में लिंक भेजा जाता है जो एक फ़ॉर्म होता है। इसमें जानकारी फ़िल करते ही वो साइबर क्रिमिनल्स के पास आ जाती है।

टार्गेट यूज़र को रजिस्टर्ड आईडी से नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर को ई-सिम ऐक्टिवेशन के लिए मेल करने को कहा जाता है। ई-सिम ऐक्टिवेट होने के बाद उन्हें QR कोड भेजा जाता है। इस QR कोड को किसी भी तरीक़े से साइबर क्रिमिनल्स हासिल कर लेते हैं और अपने ई-सिम सपोर्ट वाले फ़ोन में इसे ऐक्टिवेट कर लेते हैं। इसके बाद असली कस्टमर का फ़िज़िकल सिर डीऐक्टिवेट कर दिया जाता है।

इसके बाद नंबर से जुड़े जितने भी अकाउंट हैं उन्हें स्कैन किया जाता है. जहां भी बिना एटीएम पिन के पैसे ट्रांसफ़र करने की सर्विस होती है। उस अकाउंट से पैसे ट्रांसफ़र कर लिए जाते हैं। चूँकि फ़ोन नंबर का ऐक्सेस उनके पास होता है, इसलिए ओटीपी भी एंटर कर सकते हैं। फोन नंबर के ज़रिए यूपीआई  वाले ऐप्स से बैंक अकाउंट्स भी फ़ेच किए जा सकते हैं।

कैसे बचें?

  • इस तरह के फ्रॉड से बचने के मूलमंत्र एक ही है। आप किसी भी ऐसे कॉल पर भरोसा न करें जो आपसे ओटीपी की मांग करे। किसी भी लिंक को क्लिक करने से पहले सावधानी बरतें।
  • किसी भी क़ीमत पर किसी कॉलर के साथ अपने कार्ड का पिन शेयर न करें और न ही किसी भेजे गए लिंक पर अपनी जानकारी एंटर करें।

साभार

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